हैलो दोस्तों!कैसे है आप सब ?बहुत दिनों से समय न मिलने की वजह से ये कहानी नहीं लिख सकी,अब कोशिश रहेगी कि हर शनिवार या रविवार को इस कहानी का अध्याय मिलता रहेगा।पर आपसे शिकायत है की आपने पिछले अध्याय में रेटिंग्स नही दी। जितनी जल्दी आप रेटिंग्स देंगे ,उतनी जल्दी के अध्याय लिखूंगी।💖
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🌷🌷🌷🌷हुक्म और हसरत 🌷🌷🌷🌷🌷🌷
सिया +अर्जुन=अर्सिया
#Arsia
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सिया ने बचपन से ये सीखा था कि जो दिल की सुनेगा, वो घर से दूर हो जाएगा।
इसलिए उसने अपने सुरों को सीने में दफ़न कर लिया —
बस जब कभी बहुत टूटी हुई होती…
तो पियानो की चाभियाँ उसकी सिसकियाँ बन जातीं।
आज भी जब अर्जुन उसके करीब आता,
तो सिया का मन करता वो उसकी धड़कनें सुनाए… पियानो के सुरों में।
पर नहीं — वो सिर्फ़ एक राजकुमारी थी, जिसकी आवाज़ सिर्फ़ आदेश देती है, संगीत नहीं।
वो सिर्फ़ 10 साल की थी, जब उसने एक दिन डरते-डरते अपने पिता से कहा —
“पिता जी, मुझे पियानो सीखना है… मैं बड़ी होकर पियानिस्ट बनना चाहती हूँ।”
राजा साहब ने अख़बार नीचे रखा, और उसकी ओर देखा —
सीधा, गंभीर और अस्वीकृति से भरा।
“तुम राजा की बेटी हो, सिया।
पियानो नहीं… राजनीति सीखो।
“राजघराने की लड़कियाँ संगीतकार नहीं होतीं सिया,
वो संस्कार और सत्ता की विरासत होती हैं।”
ये सब बचपना है।”
उस रात सिया ने चुपचाप तकिए में मुँह छुपा कर बहुत रोया।
उसने पियानो की किताबें जलाई नहीं —
लेकिन उन्हें सबसे गहरे बॉक्स में छिपा दिया।
उसी दिन उसने सीखा —
राजघरानों में सुरों की कोई कीमत नहीं होती।
**
उस रात अर्जुन महल की बालकनी में खड़ा था।
नीचे लॉन में सिया बैठी थी —
पियानो के सामने, आँखें बंद किए…
और सुर, जैसे आत्मा से निकल रहे थे।
अर्जुन की मुट्ठियाँ धीमे-धीमे ढीली होने लगीं।
उसी वक़्त अर्जुन का मोबाइल वाइब्रेट हुआ —
हेड ऑफिस से मैसेज:
“सिक्योरिटी ब्रीच इन राजस्थान रीजन. इंटरवेंशन रिक्वायर्ड.”
अर्जुन ने बिना हिले स्क्रीन देखा।
"डोंट वरी... आई एम ऑलरेडी देर!."
**
सिया ने अर्जुन को अपनी बालकनी से देखा,जो फोन पर किसी से बात कर रहा था।
सिया ने धीमे से बगल की मेज़ पर
अपना पियानो मेडल रखा —
और धीरे से बोली:
“कभी अगर मैं तुम्हें सुनाऊँ…
तो तुम समझोगे अर्जुन?
कि कुछ लोग शोर में नहीं… सुरों में बिछते हैं।”
**
उस रात, जब सिया ने अर्जुन को अपने ऑफिस से कॉल करते सुना…
उसकी आवाज़, उसका लहजा — कुछ अलग था।
वो जानती थी, वो सिर्फ़ एक बॉडीगार्ड नहीं हो सकता।
उसमें एक रहस्य था… और शायद, वो भी किसी छुपे सपने की राख लेकर चल रहा था।
**
मीरा ने अर्जुन को लाइब्रेरी में अकेला पाया।
“तुम उससे चाहते हो, है न?”
अर्जुन ने कुछ नहीं कहा।
“मैं विक्रांत को जानती हूँ।
वो जैसा दिखता है, वैसा है नहीं।
और अगर तुम वाकई उसके खिलाफ कुछ जानते हो — तो सिया को बता दो, वरना मैं बता दूँगी।”
अर्जुन की आँखों में पहली बार गुस्सा नहीं… भय था।
“अगर तुमने अभी कुछ कहा…
तो इस बार सिर्फ़ एक दिल नहीं टूटेगा।”
मीरा रुकी।
“तो कम से कम उसे खुद से दूर मत कर दो।”मीरा ने सामने देखते हुए धीरे से कहा।
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महल की गैलरी में काव्या अकेली बैठी थी।
तभी विवेक आया, दो कप चाय लिए।
“ये लीजिए… बिना शक्कर की, जैसे आपको पसंद है।”
काव्या ने सर उठाया — उसकी आँखों में सवाल थे।
“आपको कैसे पता?”
“जो कम बोलते हैं, वो ज़्यादा देखते हैं।”
“आप भी तो कम बोलती हैं,” उसने जोड़ा।
एक खामोशी फैली —
मीठी, और थोड़ी असहज।
काव्या उठकर चल दी — चाय वहीं छोड़ दी।
पर होठों पर हल्की सी मुस्कान थी।
"कुछ तो खास बात है आप में "विवेक ने काव्या की पीठ देखते हुए गर्म चाय होठों से लगा ली।
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महल के पुराने हिस्से में सफाई चल रही थी।
सिया गलती से स्टाफ को एक पुरानी स्टोर रूम की सफाई करने से मना नहीं कर पाई।
वहीं रखा था — उसका छुपा हुआ पियानो।
वो ठहर गई।
साँसें धीमी हुईं।
अर्जुन पीछे से आया, और उसकी नजर उसी पियानो पर पड़ी।
“ये आपका है?” उसने पूछा।
सिया पलटकर कुछ नहीं बोली।
बस झुककर बैठी और उंगलियाँ सुरों पर चलने लगीं —
धीमे, लेकिन आत्मा तक उतरने वाले सुर।
अर्जुन वहीं खड़ा रह गया।
जैसे वक्त रुक गया हो।
सिया के हाथों से उठती हुई धुन…
ना कोई शब्द, ना कोई ज़ुबान — लेकिन अर्जुन को हर सुर समझ में आ रहा था।
उसके कंधे का ज़ख्म दुखना बंद कर गया था।
उसकी आँखों में कुछ था — जो शायद वो खुद से भी छुपाता था।
पियानो की हर एक धड़कन में, अर्जुन ने सिया का दर्द, अकेलापन और उसका बगावत भरा प्यार महसूस किया।
सिया ने बजाना बंद किया।
सिया ने सामने देखा तो अर्जुन हाथ बांधे सिया को मुस्कुरा कर देख रहा था।
“अब बताओ अर्जुन… तुम सच में कौन हो?”सिया ने अर्जुन की आंखों में देख में में कहा।
अर्जुन ने उसकी आंखों में देखा — चुपचाप।
फिर हमेशा की तरह सिर्फ़ एक शब्द…
“मैं वही हूँ… जो तुम्हारी साँसें गिनता है, और अपना नाम छुपाता है।”उस ने भी उसी की भाषा में उसे जवाब दिया।
“हम दोनों ही थे — छुपे हुए कलाकार…
एक सत्ता की परछाई में, दूसरा सुरों की कैद में।”
रात को अर्जुन फिर से पियानो रूम के पास गया।
सिया नहीं थी — लेकिन पियानो खुला था।
उसने अपनी उंगलियाँ भी चाबी पर रखीं…
एक सुर — टूटा सा।
दूसरा — थोड़ा कांपता हुआ।
वो अच्छा नहीं बजा रहा था,
पर जो बजा — उसमें सिर्फ़ एक भावना थी…
सिया।
“एक ने सुरों में अपना दर्द छुपाया, और दूसरे ने उन्हीं सुरों में अपना इकरार।”
**
मुंबई के भव्य ग्रैंड स्टेट हॉल में “एशिया बिज़नेस एक्सीलेंस अवॉर्ड्स” की रात थी।
रेड कारपेट पर मशहूर हस्तियाँ, मीडिया का शोर और कैमरों की चमक हर कोने में फैल रही थी।
लेकिन जब मिस्टर S. के नाम की घोषणा हुई —
पूरा हॉल ठहर गया।
“एंड द अवॉर्ड फॉर बेस्ट ग्लोबल विजनरी एंटरप्रेन्योर गोज टू...
मिस्टर एस, फाउंडर ऑफ एस. कॉर्पोरेशन.”
स्पॉटलाइट दरवाज़े पर पड़ी — और वहाँ से एक लंबा, सधी चाल में चलता पुरुष मंच की ओर बढ़ा।
उसने ब्लैक हाई-कॉलर टक्सीडो पहना था,
चेहरे पर ब्लैक मास्क और आँखों पर डार्क सनग्लासेस।
लेकिन उसका व्यक्तित्व ऐसा था कि किसी को उसका चेहरा देखने की ज़रूरत ही नहीं थी।
बिलकुल फिट, चौड़े कंधे, मस्कुलर बॉडी…
हर कदम पर जैसे शक्ति और नियंत्रण बह रहा हो।
उसके बाल काले, हल्के से स्लीक बैक, गले में सोबर क्लासिक घड़ी, और जूते क्राफ्टेड मिलानी लदर।
बगल की लड़कियाँ फुसफुसा रही थीं —
“ओह माय गोड ! देखो उसका कंधा… ये तो बिलकुल किसी आर्मी अफसर जैसा लग रहा है।”
“मैं शर्त लगाती हूँ ये कभी मॉडल रहा होगा… लुक एट हिज जोलाइन!”
“उफ्फ़, उसका चलना… वो कोई आदमी नहीं, आग है!”
और फिर जब मिस्टर S. ने अवॉर्ड लिया,
मंच से सिर्फ़ चार शब्द बोले —
“लेट द वर्क स्पीक!”
बस…
कोई लंबी स्पीच नहीं, कोई मुस्कान नहीं —
फिर भी वो शख़्स सबके दिल में उतर गया।
कैमरा जब उसकी उंगलियों पर ज़ूम करता —
तो घाव के पुराने निशान, वेन की परतें और बर्फ़-सी मजबूती साफ दिखती।
वो चला गया… लेकिन असर छोड़ गया।
*****लेकिन उसी रात...
मुंबई के उसी ग्रैंड स्टेट हॉल की सीसीटीवी फ़ुटेज एक अज्ञात आईपी पते से हैक की गई।
फ़ुटेज में मिस्टर S. की तस्वीर एक फुल स्क्रीन पर आ रही थी —
चेहरा ढका हुआ, लेकिन निगाहें जमी हुई थीं।
वहीं, एक कंप्यूटर स्क्रीन पर दो चेहरे ब्लिंक कर रहे थे —
Target 1 – Arjun Suryavanshi
Target 2 – Siya Rathore
एक अनदेखी आवाज़ फुसफुसाई —
"स्टेज सेट हो चुका है...
अब अर्जुन की हुकूमत, और सिया की मोहब्बत — दोनों ही हमारी बिसात बनेंगे।"
कर्सर ने ‘एक्सीक्यूट: मिशन राजगद्दी’ पर क्लिक किया।
जारी(..)
अब आप बताइ😊ए रीडर्स...
1.क्या सिया को अर्जुन की सच्चाई का अंदाज़ा हो रहा है?
2.क्या अर्जुन वाकई में वही मिस्टर S. है — या कोई और उस नाम के पीछे है?
3.क्या पियानो ही वो कड़ी है जो इन दोनों के जज़्बात जोड़ सकता है?
4.विक्रांत और मीरा के बीच जो तकरार है, क्या उसमें भी कोई पुराना राज छुपा है?
5.और... जो Target लिस्ट बनी है — क्या ये दोनों अब सिर्फ़ मोहब्बत में नहीं, जंग में भी साथ होंगे??
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✨ अगला अध्याय — एक ऐसा सच लाएगा, जो पूरे राजवंश को हिला देगा।
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🌸🌸🌸आपकी अपनी लेखिका :Diksha singhaniya "मिस कहानी"
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(𝔖𝔭𝔢𝔠𝔦𝔞𝔩 𝔱𝔥𝔞𝔫𝔨𝔰 𝔤𝔬𝔢𝔰 𝔱𝔬 ʟᴀᴛᴀ sʜᴀʀᴍᴀ,ᴊᴀʏsʜʀᴇᴇ,ᴀɴɪᴛᴀ ᴘᴀᴛᴇʟ 𝕒𝕟𝕕 𝕞𝕒𝕟𝕪 𝕞𝕠𝕣𝕖😍...)𝕥𝕙𝕖𝕣𝕖 𝕒𝕣𝕖 𝕤𝕠 𝕞𝕒𝕟𝕪 𝕡𝕖𝕠𝕡𝕝𝕖 ,𝕓𝕦𝕥 𝕚 𝕔𝕒𝕟𝕥 𝕤𝕖𝕖 𝕒𝕝𝕝 𝕠𝕗 𝕥𝕙𝕖𝕞,𝕠𝕟𝕝𝕪 𝕗𝕚𝕣𝕤𝕥 𝕥𝕨𝕠 𝕡𝕖𝕠𝕡𝕝𝕖 𝕨𝕙𝕠 𝕘𝕚𝕧𝕖 𝕣𝕒𝕥𝕚𝕟𝕘𝕤 𝕒𝕣𝕖 𝕧𝕚𝕤𝕚𝕓𝕝𝕖 𝕥𝕠 𝕞𝕖!
◉‿◉ 𝕥𝕙𝕒𝕟𝕜𝕤 𝕒𝕘𝕒𝕚𝕟🤭🤭
𝕗𝕠𝕝𝕝𝕠𝕨 𝕞𝕖 𝕗𝕠𝕣 𝕟𝕖𝕩𝕥 𝕖𝕡𝕚𝕤𝕠𝕕𝕖(𝕒𝕟𝕕 𝕚.𝕨𝕚𝕝𝕝 𝕟𝕒𝕞𝕖 𝕥𝕨𝕠 𝕞𝕠𝕣𝕖 𝕟𝕒𝕞𝕖𝕤 𝕚𝕟 𝕞𝕪 𝕟𝕖𝕩𝕥 𝕖𝕡𝕚𝕤𝕠𝕕𝕖)