🌷🌷 हुक्म और हसरत 🌷🌷
अध्याय 6
अगली सुबह भोजन कक्ष :
भोजन कक्ष में सिया की प्लेट अभी भी खाली थी।
काव्या ने धीरे से पूछा,
“आप कुछ खा क्यों नहीं रहीं?”
सिया ने अर्जुन की ओर देखा, जो दीवार से टिककर सब पर नज़र रख रहा था।
“जब कोई हर पल देख रहा हो, तो भूख नहीं लगती।
और जब हर घूंट शक की निगाह में हो, तो पानी भी ज़हर लगता है।”
काव्या कुछ कहने ही वाली थी कि अर्जुन वहाँ से चला गया।
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जयगढ़ यूनिवर्सिटी, ऑडिटोरियम।
आरव और रोशनी का आज पहला ज्वाइंट प्रेज़ेंटेशन था।
रोशनी ने स्टेज के पीछे घबराकर कहा,
“मैं भूल जाऊँगी सब! मेरा हाथ काँप रहा है…”
आरव ने उसका हाथ थामा —
“तुम बोलोगी, मैं खड़ा रहूंगा।
अगर तुम लड़खड़ाओ, मैं थाम लूँगा।
और अगर सब हँसे, तो मैं सबसे पहले हँसूँगा — ताकि तुम्हें लगे, तुम अकेली नहीं।”
रोशनी की आँखें भर आईं।
स्टेज पर उन्होंने बायोलॉजी प्रोजेक्ट पेश किया — और तालियाँ बटोरीं गई।
नीचे उतरते हुए, रोशनी फुसफुसाई —
“आज तुम्हारे बिना… मैं शायद माइक तक नहीं पहुंचती।”
उसकी बात पर आरव मुस्कुरा दिया।
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इधर मीरा अपने कोर्ट ऑफिस में बैठी कोई फाइल देख रही थी कि विक्रांत पीछे से आया —
“क्या इस बार आप जीतेंगी, या फिर फिर से दीवार बन जाएँगी?”
मीरा ने बिना देखे कहा,
“आपको आदत है हार की, विक्रांत।
आप बहस हारते हैं, बात हारते हैं…।”
“आप मानती हैं कि मैंने कुछ खोया?”
“आप सब कुछ खो चुके हैं… पर मानते कुछ नहीं।”
विक्रांत मुस्कुराया, मगर वो हँसी दिल में चुभी।
“एक दिन आप भी किसी से हारेंगी, मीरा —
और तब शायद समझ आएगा कि जीतना हमेशा जीत नहीं होता।”मीरा ने उसकी तरफ देख हल्की सी मुस्कान दी।
"देखते है!"
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वही एक शख्स अपने कमरे में बैठा, दीवार पर पुराने नक़्शे देख रहा था।
एक गुप्त फाइल उसकी मेज़ पर थी:
“Operation: Rajvansh – The Fall of Udaipur’s Throne”
“अब वक़्त आ गया है, सिया।
तुम्हारा महल भी देखेगा… बदले की आग कैसे ताज को भस्म कर देती है।” उसकी आंखों में बदले की आग थी।🔥🔥
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सिया अपने कमरे में मौजूद काव्या के साथ कुछ जरूरी कागजी काम कर रही थी। वो गलियारे से होते हुए निकल ही रही थी, की उसकी नजर अर्जुन के कमरे में गई।
सिया ने उस कागज को काव्या के हाथ में दिया और अर्जुन की दीवार से लगी फोटो को देखा —
वो घोड़े पर सवार, उसकी आँखों में वही ठंडी धार थी ,और चेहरा हमेशा की तरफ भावहीन और खूबसूरत"!!🔥😐
कव्या मुस्कराई —
“कहीं आप उसे एडमायर तो नहीं कर रहीं?”😂
“एडमायर नहीं…” सिया ठंडी साँस लेते हुए बोली,
“समझने की कोशिश कर रही हूँ — वो हर पल लड़ता है, लेकिन कभी थकता नहीं,कभी हंसता नही!"..कभी खुल कर बोलता नही.."पर उसकी आंखे ....!🥺
वो बहुत कुछ बोलती है"।सिया ने उसकी तस्वीर में खोए हुए कहा।🫣
"उफ्फ!..ये प्यार नही तो क्या है? काव्या सिया को देख मन में बोली।🤫
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महल की सीढ़ियों पर खड़ी सिया, हल्की-सी चाय की चुस्कियों के बीच आकाश को देख रही थी।
तभी अर्जुन पास आया, हमेशा की तरह काली जैकेट, ठंडी निगाहें।😐
“तैयार हो जाइए। बाहर चलना है।”
“कहाँ?” सिया ने चौंकते हुए पूछा।
“घोड़ों को दौड़ाना है।
आपकी सुरक्षा का एक हिस्सा ये भी है कि आप खुद तेज़ भागना जानें।”
सिया मुस्कराई, “या फिर ये कोई नया बहाना है… मुझे तंग करने का?”
अर्जुन ने उसकी ओर देखा — थोड़ी देर… थोड़ा लंबा…
“मैं तंग नहीं करता, राजकुमारी। मैं सिर्फ़ आपका साथ निभाता हूँ।
चाहे वो तलवारों में हो… या आपकी हिफाजत में।”✨
महल के अहाते में घोड़ों की टापें गूंज रही थीं।
बाहर मैदान में दो घोड़े खड़े थे — एक सफ़ेद, एक काला।
“आप घोड़ा चला भी लेते हैं?” सिया ने चिढ़ाते हुए पूछा।😒
“और ...!तलवार भी"!😐
अर्जुन घोड़े की लगाम थामे खड़ा था, ब्लैक शर्ट, बूट्स और आँखों में वैसी ही सख़्त शांति।😎
“और अगर मैं गिर गई?”🥺
“तो मैं उठाऊँगा… गिरने नहीं दूँगा।”😐
सिया के दिल में एक पल को कुछ काँपा —
वो शब्दों से नहीं, लेकिन अपने साए से उसे बाँधने लगा था।
सिया सफेद घोड़े पर बैठी, बाल खुले, आंखों में चमक।✨🌷
अर्जुन काले घोड़े पर, जैसे कोई योद्धा अतीत से निकल आया हो।
“आपको घोड़ा चलाना आता है?,” अर्जुन बोला।
“मुझे लड़ना आता है… घोड़े से या आपसे — देख लेंगे।”
दोनों घोड़े दौड़े — रेत उड़ती रही, हवाएं गूंजती रहीं।
अचानक सिया का संतुलन बिगड़ा। घोड़ा थोड़ा डगमगाया।
अर्जुन एक झटके में पास पहुँचा —
अर्जुन ने तुरंत उसका हाथ पकड़ लिया — उसकी कमर पर हल्का सहारा, उसकी साँसें उसकी गर्दन के पास।🫣
सिया की आँखों में उस दिन पहली बार अर्जुन के लिए डर नहीं, भरोसा था।
और अर्जुन की नज़रों में… हसरत का पहला हल्का रंग।✨💗
और पहली बार… उनके बीच की हवा भी भारी लगने लगी।
“मैं गिरती नहीं,” सिया फुसफुसाई।
“मुझे डर है… मैं तुम्हारे सामने हार जाऊँ,” अर्जुन ने मन ही मन सोचा — लेकिन कहा कुछ नहीं।
अर्जुन ने घोड़े के पीछे आकर खुद बैठा — अब दोनों एक ही सवारी पर थे।
दो जिस्म, एक लय — और हवा उनकी चुप्पियों को पढ़ रही थी।सिया उसके बाजुओं में थी — उसकी साँसें अर्जुन की गर्दन से टकरा रही थीं।
“छोड़ दीजिए…”😳
“गिर जाओगी।”😐
“तो थाम लोगे?”😚
“हर बार।”👿🔥
थोड़ी देर बाद सिया ने हल्के से पूछा,
“अगर कोई कहे कि आप सिर्फ़ एक बॉडीगार्ड नहीं हैं?”🤫
“तो मैं कहूँगा — वो कुछ जानता है, जो जानना अभी ख़तरनाक है।”👿
अर्जुन की उंगलियाँ उसकी कमर पर टिक गई थीं, मजबूती से, मगर बेहद सहेज कर। सिया के हाथो के ऊपर अर्जुन के हाथ...जैसे की ये मिलने के लिए ही बने हो..!"
और सिया की धड़कनें… अब घोड़े से नहीं, उससे तालमेल बना रही थीं।❤️✨
**
क्लासरूम में रोशनी को एक जूनियर लड़के ने गुलाब देकर कहा:
“आपका प्रेज़ेंटेशन कमाल था।”
आरव वहीं पास में बैठा था। उसने अनजाने में अपनी किताब ज़ोर से बंद कर दी।उसने अपनी मुठ्ठी जोर से भींच ली।
“क्या हुआ?” रोशनी ने मुस्कराते हुए पूछा।
“कुछ नहीं... फूलों से एलर्जी है शायद,” वो बोला।
रोशनी को उसका जवाब अटपटा सा लगा।
पहली बार आरव ने महसूस किया —
रोशनी की हँसी किसी और से भी बँट सकती है, और उसे ये मंज़ूर नहीं।
"बिलकुल भी नही..!"
"कभी नहीं..!"
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घोड़े से उतरने के बाद सिया ने अपने बाल ठीक किए।
बगीचे में सुंदर सुंदर फूलो को देख मुस्कुराई।
चलते-चलते सिया ने पेड़ से एक गुलमोहर का फूल तोड़ा।🌷✨
“ये फूल मुझे बचपन से अच्छा लगता है,” वह बोली।
"बिलकुल आपकी तरह ,चुपचाप खिलता हुआ, मगर आँखों में रह जाने वाला।”अर्जुन ने मन ही मन कहा।अर्जुन को अपनी तरफ एक टक देखता देख सिया ने उस फूल को तोड़ अर्जुन की आंखों के सामने हिलाया,जैसे की अर्जुन को जगा रही हो नींद से।
“आप मुझे घूरते क्यों रहते हैं?”सिया ने मुंह बना कर कहा।😌
अर्जुन ने धीमे से कहा —
“क्योंकि कुछ चीज़ें घूरने की नहीं… महसूस करने की होती हैं।
जैसे तुम… जब हँसती हो, लगता है किसी वीराने में गुलमोहर खिल गया हो।”✨🌷❤️
सिया चौंकी।
"क्या मेरे कान खराब है ? या मुझे कुछ ज्यादा ही सुनाई दे रहा है!"🙄
"अर्जुन ने इतने सारे शब्द बोले वो भी एक बार में,
...और वो भी मेरे लिए!"🙄 सिया मन ही मन आंखे बड़ी बड़ी कर बोली। अर्जुन को अब अहसास हुआ की वो क्या बोल गया। पर ...सिया को इस तरह देख अर्जुन हल्के से मुस्कुराया
और कुछ न समझने का नाटक किया।
"क्या आपने अभी मेरे बारे में कुछ कहा?"😳
"नहीं..तो?"😐
"अरे..!अभी तो आपने मुझे गुलमोहर बोला"?😳
"कब?"अर्जुन बेहद सहज तरीके से बोला।🤔
"अभी..!"😳
"मैने गुलमोहर बोला था, पर आपको नही..!
"मैने कभी नही सोचा ..की आपको अपने अंगरक्षक से ऐसे अपना नाम सुनना चाहेंगी?"✨🔥🤫
सिया उसकी बात पर सकपका गई। उसने अपने लाल होते गाल और गर्म होते चेहरे को अपने हाथो से छुआ।😳
"लगता है मेरी तबियत खराब है..मुझे चलना चाहिए।
सिया बिना पीछे मुड़े आगे को चल दी।अर्जुन उसकी पीठ को एक टक देखता रहा, जब तक वो उसकी नजरों से ओझल न हो गई ।
“गुलमोहर?... नहीं !🌷✨
"मोह..!"💗✨
"मेरी मोह..!🥺✨
“तेज, खूबसूरत… मगर अकेला।
और हर मौसम में खिलने वाला।”
"बिलकुल मेरी मोह की तरह"!🌷😘
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जयगढ़ प्रशासन की मीटिंग में मीरा ने कहा:
“आपकी पार्टी जयगढ़ की अस्मिता को बेच रही है।”
विक्रांत ने जवाब दिया:
“और आप वही हैं जो कानून की किताब से लोगों के जज़्बात दबाती हैं।”
मीरा उठ खड़ी हुई।
“मैं कानून की बात करती हूँ क्योंकि मुझे दिल की सच्चाई पर भरोसा नहीं।”
विक्रांत ने धीरे से कहा:
“इसलिए शायद… कोई कभी आपके दिल तक पहुँचा ही नहीं।”
मीरा चुप हो गई। पहली बार किसी बात ने उसे अंदर तक हिलाया था।
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अर्जुन अकेला अपने कमरे में था, हाथ में सिया की गिरा दी हुई चूड़ी।
“मैं रक्षक हूँ… लेकिन कब से मैं खिंच रहा हूँ उसकी तरफ?”
आईने में उसने खुद को देखा —
उसके चेहरे पर एक खिंचाव था:
दूसरों से बचाने वाला अर्जुन, और खुद से बचने की कोशिश करता हुआ अर्जुन।
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सिया महल की छत पर अकेली खड़ी थी। बाल खुले, सफेद कुर्ती में सादगी की मिसाल।
अर्जुन पीछे आया।
“आप यहाँ क्यों हैं?” सिया ने पूछा।
“आपको ढूँढना अब मेरी आदत बनता जा रहा है।”
“तो क्या मैं आपकी जिम्मेदारी हूँ?”
“अब सिर्फ़ नहीं…” अर्जुन बोला, “शायद कुछ और भी।”
सिया चुप रही। उसकी पलकें झुक गईं।😌
“मैं जब आपके पास आता हूँ… तो खुद को सबसे ज़्यादा खोया हुआ महसूस करता हूँ।” अर्जुन ने मन में कहा।
दोनों कुछ पल तक बस चुपचाप आसमान देखते रहे।
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पेश हु एक शायरी सिया के लिए अर्जुन की तरफ से ..!
🌷✨तेरी हँसी में गुलमोहर की बात है,
हर रंग में छुपी कोई जज़्बात की बात है।
तू हँसती है तो मैं हारता हूँ खुद से,
तेरे हर लम्हे में मेरी रात की बात है।🌷✨
(बताना जरूर कैसी थी?)
©Diksha
(जारी..)
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©Diksha "मिस कहानी"😘