अगले दिन सुबह, होटल में usual कामकाज जारी था, लेकिन कियारा का ध्यान किसी और ओर भटकता जा रहा था। हर बार जब अयान की आवाज़ इंटरकॉम पर सुनाई देती, या वो लॉबी से गुजरते, तो कियारा के दिल की धड़कन एक लय तोड़ देती।
वो समझ नहीं पा रही थी कि ये सब सिर्फ admiration है या कुछ ज़्यादा गहरा।
काउंटर पर files संभालते हुए उसने देखा, अयान conference hall की ओर बढ़ रहे थे। उनके कदम confident थे, पर उनकी आँखों में हमेशा की तरह एक ठहराव था — जैसे वो अपने अंदर बहुत कुछ छिपाए हुए हों।
कियारा की नज़रें कुछ पल वहीं ठहर गईं। फिर खुद को संभालते हुए उसने नज़रें झुका लीं।
थोड़ी देर बाद अयान वापस आए। “कियारा,” उन्होंने धीमे से पुकारा।
वो तुरंत उठी, “Yes, sir?”
“Coffee available है? थोड़ा काम के बीच में break चाहिए।”
“Of course, sir,” कियारा मुस्कुराई और pantry की ओर बढ़ गई।
कॉफी तैयार करते वक्त उसके हाथ थोड़ा काँपे। वो खुद पर हँस दी — “क्या मैं सच में इतनी nervous हो रही हूँ?”
जैसे ही वो कप लेकर आई, अयान ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “Thanks… तुम हमेशा काम में इतनी sincere रहती हो, ये rare quality है।”
कियारा ने बस हल्का “Thank you” कहा, लेकिन उसकी आँखों में झलक रहा था वो अनकहा एहसास जो अब शब्दों में बँधना नहीं चाहता था।
अयान ने कॉफी का एक सिप लिया और खिड़की से बाहर देखा — समंदर दूर तक नीला फैला था।
“कभी-कभी ये view काम के सारे stress को मिटा देता है,” उन्होंने कहा।
कियारा ने धीरे से जवाब दिया, “शायद इसलिए मुझे ये जगह इतनी पसंद है… यहाँ हवा में एक शांति है, जैसे हर लहर कुछ कहती हो।”
अयान ने उसकी तरफ़ देखा — वो नज़र कुछ पल के लिए ठहर गई। बस एक सेकंड, पर उस एक सेकंड में न जाने कितनी बातें थी जो दोनों कह नहीं पाए।
वो पल एकदम शांत था। सिर्फ़ हवा, समंदर की आवाज़, और दो धड़कनों की धीमी रफ्तार।
अयान ने बात बदलते हुए कहा, “By the way, कल एक event meeting है, तुम्हें साथ चलना होगा। Client handling तुम्हारे presence में smoother होगा।”
कियारा के चेहरे पर हल्की चमक आई। “Sure, sir,” उसने जवाब दिया, लेकिन उसके दिल ने धीरे से कहा — “शायद यही पहला कदम है उस connection का…”
शाम को, जब सब काम निपट चुका था, कियारा ने अपनी diary खोली और कुछ लिखा —
> “कभी-कभी किसी की मुस्कान, किसी के शब्द, किसी का सुकून — बिना कुछ कहे, मन के सबसे गहरे कोनों को छू जाते हैं।”
वो मुस्कुराई और खिड़की से झाँका — अयान अपनी गाड़ी की तरफ़ जा रहे थे, सूरज डूब रहा था, और आसमान पर हल्की गुलाबी परत थी।
कियारा ने महसूस किया, जैसे उस शाम में कुछ नया बोया गया हो — शायद एक अनजाना एहसास, जो अब उसके दिनों में घुलने लगा था।
To Be Continued…
क्या आने वाले दिन कियारा और अयान के बीच की यह ख़ामोशियाँ किसी नई कहानी की शुरुआत बनेंगी,
या फिर यही अनकहे जज़्बात उनके बीच ऐसी दीवारें खड़ी कर देंगे,
जिन्हें कोई शब्द, कोई मुलाक़ात भी तोड़ नहीं पाएगी?
कभी-कभी नज़रों का मिलना, बातों से ज़्यादा कह जाता है…
शायद अब वही वक़्त आने वाला है, जब दिल अपनी ज़ुबान खुद लिखेगा।