tanha Safar: jajbaton ki chhanv mein bheega Ishq - 9 in Hindi Love Stories by Babul haq ansari books and stories PDF | तन्हा सफ़र: जज़्बातों की छांव में भीगा इश्क़ - 9

Featured Books
Categories
Share

तन्हा सफ़र: जज़्बातों की छांव में भीगा इश्क़ - 9

                       भाग:9

          "एक सेकंड… तीन तक़दीरें.     

             रचना बाबुल हक़ अंसारी


[ट्रेन की गड़गड़ाहट…]

पटरी कांप रही थी, सीटी अब कानों को चीर रही थी।
तीनों — अयान, आर्यन और वेद — धातु की उस ठंडी पटरी पर गुत्थमगुत्था थे।

चाकू अब भी वहीं चमक रहा था, रेल की रोशनी में जैसे ख़ून का रंग समा गया हो।


[एक पल का सच]

अयान ने पूरी ताक़त से वेद को पकड़ रखा था, लेकिन वेद के हाथ अयान की गर्दन पर कसते जा रहे थे।
आर्यन ने अंधाधुंध लात मारकर वेद को हटाने की कोशिश की…
पर तभी वेद की कोहनी उसके सीने पर लगी, और आर्यन सांस के लिए हांफने लगा।

ट्रेन अब बस कुछ गज दूर थी।
उसके पहिए की घरघराहट मानो कह रही थी — "जिसे बचना है, अभी बच ले…"


[किस्मत का वार]

अचानक, हुडी वाला फिर से दिखाई दिया।
वो बिजली की रफ़्तार से पटरी पर कूदा और चाकू उठाने बढ़ा…
लेकिन तभी, आर्यन ने उसका हाथ पकड़कर इतनी ज़ोर से खींचा कि दोनों पटरी के किनारे लुढ़क गए।

वेद ने मौके का फायदा उठाकर अयान को धक्का दिया —
अयान पटरी से बस एक कदम दूर था, और पीछे से ट्रेन धड़धड़ाती आ रही थी।


[एक सेकंड…]

अयान की आंखें वेद से मिलीं — उनमें नफ़रत भी थी, और वो अधूरा दर्द भी, जिसे सिर्फ़ दोनों जानते थे।

आर्यन ने गले में दर्द होते हुए भी चीखा —

"अयान…!"



अयान ने आखिरी क्षण में वेद का हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा…
और उसी खिंचाव में वेद ट्रेन के सामने जा गिरा।



[मौत की चीख़ और सन्नाटा]

एक पल में शोर ख़त्म हो गया।
ट्रेन आगे बढ़ गई, लेकिन पटरी पर अब सिर्फ़ अयान और आर्यन थे…
और वो चाकू, जो ख़ून में भीगा, पत्थरों के बीच पड़ा था।

अयान ने सांस लेते हुए कहा —

> "ये ख़त्म नहीं हुआ… जिसने हुडी पहनी थी, वो अब भी ज़िंदा है… और वो ही असली खेल चलाने वाला है।"



आर्यन ने उसकी तरफ देखा —
अब उनकी जंग वेद के साथ नहीं… उस अनदेखे साये के साथ थी।


अगले भाग में —
वो साया सामने आएगा… और सच उजागर होगा, जो अब तक सबसे गहरी परत में दबा था।
लेकिन क्या ये उजागर होना, दोनों की जान के बदले में होगा?




---

[अंधेरे कमरे की गूंज…]

वेद की मौत के बाद अयान और आर्यन उस जगह लौटे, जहां सारी शुरुआत हुई थी —
स्टेशन मास्टर का पुराना दफ़्तर।
कमरा सूना था, लेकिन कोने में एक पुराना प्रोजेक्टर रखा था…
और पास में एक कागज़, जिस पर बस एक लाइन लिखी थी —
 "तुम सोच भी नहीं सकते… मैं कौन हूं।"


[हुडी वाला — असली खेल]

अचानक कमरे का दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।
दीवार पर प्रोजेक्टर की रोशनी पड़ी —
और स्क्रीन पर दिखाई दिया हुडी पहने वही शख़्स, जिसकी छाया दोनों को कई बार डराती रही थी।

उसकी आवाज़ भारी और ठंडी थी —

  “तुम दोनों मेरे मोहरे थे… जैसे वेद था। फर्क बस इतना कि वेद लालच का गुलाम था, और तुम लोग प्यार के।”



अयान ने दांत भींचते हुए कहा —

 “तू है कौन?!”



हुडी वाला हंसा, और धीरे-धीरे उसने चेहरा दिखाया…
अयान की सांस रुक गई —
वो रिया का बड़ा भाई, रूद्र था।


[रिया का अतीत…]

रूद्र ने बताया कि अयान और रिया का रिश्ता उसके लिए एक जंग थी।
उसके पिता की मौत के पीछे अयान के परिवार का नाम जुड़ा था,
और वो चाहता था कि रिया कभी भी अयान के साथ खुश न रह सके।

इसलिए उसने वेद को इस्तेमाल किया, श्रेया को डराया, और पूरे खेल का धागा अपने हाथ में रखा।

  “वेद ने सिर्फ़ वार किया… लेकिन उसे वार करने के लिए मैंने ही तलवार थमाई थी।”


[माइंड-गेम की बिसात]

रूद्र ने कमरे में चारों तरफ़ टाइमर लगा रखे थे।
हर टाइमर पर लाल लाइट जल रही थी —
और स्क्रीन पर एक मैसेज चमक रहा था:

 "तीन मिनट में… ये खेल हमेशा के लिए खत्म होगा।"



आर्यन ने फुसफुसाकर कहा —

 “ये बम है… और ये हमें यहां से जिंदा नहीं जाने देगा।”



रूद्र ने मुस्कुराते हुए कहा —

“तुम दोनों को आज समझ आएगा, कि मौत भी कभी-कभी इंसाफ़ होती है।”




---

[क्लिफहैंगर…]

टिक… टिक… टिक…
कमरे में सिर्फ़ टाइमर की आवाज़ थी, और बाहर प्लेटफॉर्म पर दूर जाती ट्रेन की गूंज।

अयान ने रूद्र की आंखों में देखा —

 “अगर तूने रिया से सच छुपाया है… तो मैं मरने से पहले उसे सब बता दूंगा।”



रूद्र की आंखों में पहली बार हल्की घबराहट आई।
लेकिन टाइमर अब सिर्फ़ 30 सेकंड पर था…


अगला भाग तय करेगा —
क्या अयान और आर्यन इस मौत के खेल से निकल पाएंगे?
या रूद्र का बदला उन्हें हमेशा के लिए ख़ामोश कर देगा?


---