“जो ढूंढे वो रस्ता नहीं… चेहरा होता है।”
बाबुल हक़ अंसारी
आर्यन अगले दिन उसी कैफ़े में पहुँचा — जहाँ की तस्वीर में रिया बैठी थी।
वो कोना अब भी वैसा ही था…
बस मेज़ पर अब रिया की जगह खाली कुर्सी थी।
उसने वहाँ के पुराने वेटर से पूछा —
“क्या आप इस लड़की को पहचानते हैं?”
वेटर ने तस्वीर देखी, कुछ पल ठहरा और बोला:
“रिया… हाँ, अक्सर आती थी। पर अकेली नहीं।”
“उसके साथ कोई लड़का भी आता था, शांत… पर बहुत ख्याल रखने वाला।
वो कभी ज्यादा नहीं बोलता था, पर उसकी आंखें बहुत कहती थीं।”
आर्यन की रगों में कुछ दौड़ गया —
“अयान?”
“नाम नहीं पता, साहब। पर जब भी आते… लगता जैसे वक़्त रुक जाता हो।”
वेटर ने एक पुराना बिल निकालकर दिया —
उस पर एक नाम था —
A.Y.N – Table 11
आर्यन की आंखों में नमी उतर आई।
रिया और अयान का वो कोना अब एक अधूरी किताब लगने लगा था।
उसी कुर्सी पर बैठकर उसने आँखें बंद कीं —
और सब कुछ सामने आ गया…
रिया, पहली बार उस कैफ़े में बैठी थी, और अयान चुपचाप उसे देख रहा था।
रिया तेज़ बारिश से भीगी हुई उस कैफ़े में घुसी थी।
बाल बिखरे, आँखों में गुस्सा, और हाथ में गिरी हुई किताब।
काउंटर पर बैठे लड़के से टकराई — किताब उसके पैरों में जा गिरी।
देख के चल नहीं सकते?” — रिया ने झल्लाकर कहा।
लड़का नीचे झुका, किताब उठाई…
बिना कुछ कहे मुस्कुरा दिया।
वो था — अयान।
माफ़ कीजिए, बारिश में अक्सर रास्ते गड़बड़ हो जाते हैं… और कभी-कभी मुलाक़ातें भी।”
उसका जवाब इतना शांत था कि रिया मुस्कुरा गई।
अरेवाह, आप तो शायरी भी करते हैं?” — रिया ने नज़रें टेढ़ी कीं।
नहीं… बस कभी-कभी दिल कह देता है, और मैं लिख देता हूँ।” — अयान ने पहली बार उसकी आँखों में देखा।
उस शाम रिया की कॉफ़ी ठंडी रह गई,
पर दिल में कुछ गरम होने लगा था —
जैसे कोई अनकही बात, किसी पुराने गीत की तरह।
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फ्लैशबैक वहीं थम गया…
आर्यन अब उस जगह बैठा था,
जहाँ किसी वक़्त रिया और अयान ने पहली बार एक-दूसरे को महसूस किया था।
“जो ढूंढे वो रस्ता नहीं… चेहरा होता है।
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आर्यन अब हर उस दरवाज़े को खटखटा रहा था
जहाँ कभी अयान की परछाई भी पड़ी हो।
कैफ़े, लाइब्रेरी, मेट्रो स्टेशन…
वो सब जगहें घूम चुका था जहाँ रिया की डायरी में तारीख़ें दर्ज थीं।
एक दिन पुरानी लाइब्रेरी में एक बूढ़े पुस्तकपालक से मुलाक़ात हुई।
आर्यन ने जैसे ही अयान का नाम लिया —
बूढ़े ने हल्की मुस्कान के साथ कहा:
“वो आता था यहाँ… किताबें नहीं पढ़ता था, सिर्फ़ एक पेज पर रुकता था।”
“कौन-सी किताब?” — आर्यन की साँसें अटक गईं।
“कहीं अधूरा था शायद। वो बस ‘The Fault In Our Stars’ की एक लाइन पढ़ता —
‘Some infinities are bigger than other infinities…’
और चला जाता।”
आर्यन को समझ आ गया —
अयान रिया को कभी भुला नहीं पाया था।
उसने वहाँ रखी वही किताब उठाई,
जिस पन्ने पर अयान की उँगलियों के निशान थे —
वहाँ नीचे RIA नाम लिखा था… हल्के खरोंच में।
[फ्लैशबैक – रिया और अयान की आख़िरी मुलाक़ात]
रिया ने उस रात अयान को कॉल किया था —
“-मैं घर से निकल रही हूँ… बस तुम पहुँच जाना।
आज नहीं रुकी तो कभी नहीं चल सकूँगी।”
अयान पहले ही रेलवे स्टेशन पहुँच चुका था,
पर वो जानता था — रिया की दुनिया ज़ंजीरों में बंधी है।
जब रिया पहुँची —
उसके होंठ काँप रहे थे, आँखों में आँसू थे।
“तुम चलोगे ना मेरे साथ?” — उसने अयान की उंगलियाँ थामीं।
“तुम चल रही हो… बस इतना ही काफी है।” — अयान ने उसका माथा चूमा।
और तभी…
एक कार तेज़ी से उनकी ओर बढ़ी —
रिया के पापा की।
एक पल… और सब कुछ चुप हो गया।
धक्का, चीख, टूटता वक़्त…
और जब रिया की आँख खुली — अयान वहाँ नहीं था।
फ्लैशबैक खत्म।
आर्यन की आँखों से आँसू गिर पड़े।
अब बात सिर्फ़ रिया के खो जाने की नहीं,
बल्कि अयान के मिटा दिए जाने की थी।
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●• अब आगे की कहानी •●
क्या अयान ज़िंदा है और खुद को छुपा रहा है?
या वो किसी ऐसी सज़ा में है जिसे दुनिया नहीं देखती?
और आर्यन — क्या वो अब रिया के प्यार की आख़िरी लौ बचा पाएगा?