भाग :10
रचना:बाबुल हक़ अंसारी
"टिक-टिक… मौत का सौदा"
[तीन मिनट का खेल…]
टाइमर की टिक-टिक अब मौत का संगीत लग रही थी।
2 मिनट 59 सेकंड… 2 मिनट 58 सेकंड…
अयान और आर्यन के माथे पर पसीना था।
रूद्र, दीवार से टिककर उन्हें ऐसे देख रहा था, जैसे शिकारी अपने शिकार को आख़िरी सांसों में तड़पते देखता है।
“भाग लो अगर भाग सकते हो… लेकिन ये दरवाज़ा अब सिर्फ़ मेरी चाबी से खुलेगा।”
उसकी आवाज़ ठंडी थी, मगर आंखों में सुलगता हुआ बदला साफ़ झलक रहा था।
[आर्यन की चाल…]
आर्यन ने चारों तरफ नज़र दौड़ाई —
कोनों में टाइमर के साथ जुड़ी तारें थीं, जिनमें लाल रोशनी चमक रही थी।
उसने फुसफुसाकर कहा —
“अयान, अगर हम ये तार काट दें तो शायद टाइमर रुक जाए।”
अयान ने सिर हिलाया —
“ये रूद्र है… इतना आसान रास्ता छोड़ने वाला नहीं।”
रूद्र हंस पड़ा —
“सही कहा… एक गलत तार छुआ, तो धमाका समय से पहले होगा।”
[रील और रूद्र का सच…]
अचानक प्रोजेक्टर पर तस्वीरें बदलने लगीं।
रील पर रिया की तस्वीरें थीं —
बचपन की, हंसती हुई, और फिर… वो दिन, जब उसकी आंखों में दर्द था।
रूद्र की आवाज़ गूंज उठी —
“रिया ने हमेशा मुझसे पूछा कि मैं उसे क्यों रोकता हूं…
लेकिन वो नहीं जानती थी, कि अयान के पिता ने हमारे पिता को धोखा देकर सबकुछ छीन लिया था।
उसका प्यार मेरे लिए ज़हर था… और मैं उसे वो ज़हर कभी पीने नहीं देता।”
अयान की आंखें लाल हो गईं।
उसने दहाड़ते हुए कहा —
“प्यार गुनाह नहीं होता, रूद्र! गुनाह तेरे जैसे लोग करते हैं, जो दूसरों की खुशी से जलते हैं।”
[1 मिनट का मोड़…]
टिक-टिक अब और तेज़ सुनाई दे रही थी।
1:00 मिनट… 59 सेकंड… 58 सेकंड…
अचानक, आर्यन ने एक पत्थर उठाया और पीछे से एक टाइमर पर दे मारा।
चिंगारी भड़की… टाइमर झिलमिलाया और फिर बुझ गया।
अयान हैरान रह गया।
आर्यन ने मुस्कुराते हुए कहा —
“हर टाइमर असली नहीं था… कुछ बस डराने के लिए थे।”
रूद्र की आंखें क्रोध से जल उठीं।
“बेवकूफ! असली वाला बीच में है… और वो अब किसी भी हालत में नहीं रुकेगा।”
[30 सेकंड — मौत की आंखों में आंखें…]
अयान ने झपटकर रूद्र को पकड़ लिया।
दोनों फर्श पर गिर पड़े, और घूंसे बरसने लगे।
रूद्र ने गरजते हुए कहा —
“तेरे लिए रिया रोई थी… और आज तेरी चीख सुनकर वो चैन पाएगी।”
अयान ने पूरी ताक़त से रूद्र को धक्का देकर टाइमर के पास दे मारा।
घड़ी अब 15 सेकंड पर थी।
आर्यन ने चीखकर कहा —
“अयान… फैसला अभी करना होगा! या तो टाइमर रोक, या रूद्र को ख़त्म कर!”
[क्लिफहैंगर… 5 सेकंड बाकी]
कमरे में धुआं-धुआं था, घड़ी की सुइयां अब मौत की ओर दौड़ रही थीं।
5… 4… 3…
अयान ने कांपते हाथों से टाइमर की वायर पकड़ी…
और दूसरी तरफ रूद्र उसके गले पर हाथ कस चुका था।
2… 1…
रोशनी बुझ गई।
धमाके की गूंज से पूरा स्टेशन हिल उठा।
[मौत की राख…]
धमाके के बाद चारों तरफ़ धुआं फैल गया।
टूटे शीशे, बिखरे पत्थर और हवा में बारूद की बू…
अयान की आंखें धीरे-धीरे खुलीं।
उसने कांपते हाथों से खुद को संभाला —
आर्यन बेहोश पड़ा था, लेकिन सांस चल रही थी।
लेकिन रूद्र…?
वो कहीं दिखाई नहीं दे रहा था।
अचानक अंधेरे के बीच एक टूटी हुई हंसी गूंजी —
“सोचा था खेल ख़त्म हो गया? नहीं अयान… असली खेल तो अब शुरू होगा।”
धुआं हटते ही परछाई फिर खड़ी थी —
चेहरा आधा जला, मगर आंखें और भी ज़हरीली।
अगले भाग में पता चलेगा —
क्या वाक़ई धमाका हुआ?
या अयान ने आख़िरी पल में किस्मत को मात देकर सबकुछ पलट दिया?