The Risky Love - 2 in Hindi Love Stories by Pooja Singh books and stories PDF | The Risky Love - 2

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The Risky Love - 2

ज़ब मैं इस दुनिया से चली जाउंगी.....

अब आगे...........

विवेक खुद से ही कहता है....." अदिति ये ब्रेसलेट क्यूं देकर गई हो मुझे...?..." बहुत देर सोचने के बाद उसे इस ब्रेसलेट के पीछे की वजह समझ आ जाती है......
फ्लैशबेक.......
" अदिति तुम इतना परेशान सी क्यूं बैठी हो...?..." विवेक एक चुलबुली मुस्कान को छिपाते हुए कहता है
अदिति वहीं गुमसुम सी कहती हैं..." विवेक कुछ नहीं हुआ तुम जाओ..."
विवेक उसके चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी तरफ करके पूछता है...." मेरी स्वीट हार्ट को क्या हुआ है...?... मुझे नहीं बताओगी..."
" विवेक तुम्हें पता है , मैं जो ब्रेसलेट पहनती हूं.."
विवेक उसे टोकते हुए कहता है..." अदिति वो प्लेटिनम का था न..."
अदिति उसके हाथों को हटाते हुए कहती हैं....." तो , वो प्लेटिनम हो या फिर मेटल का मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन वो मुझे भाई ने अपनी फर्स्ट सैलरी पर मुझे गिफ्ट किया था , उस टाइम उनके चेहरे की खुशी देखकर मुझे वो ब्रेसलेट बहुत अच्छा लगा था इसलिए मैं उसे कभी अपने हाथ से नहीं उतारती थी , , लेकिन पहले तो उसका लाॅक टूटा , कोई बात नहीं लेकिन अब तो वो गुम ही हो गया..."
विवेक मुस्कुराते हुए अपनी पाॅकेट से उस ब्रेसलेट को निकालकर अदिति को दिखाता हुआ कहता है...." क्या तुम इसे ही ढूंढ रही थी...."
अदिति उसे देखकर ऐसे खुश हो जाती है मानो उसे कोई बेसकिमती खजाना मिल गया हो , जल्दी से विवेक के हाथ से लेकर पहनती हुई कहती हैं...." तुम्हें ये कहां मिला , , और इसका लाॅक भी ठीक है अब...."
विवेक अदिति के गाल पर हाथ रखते हुए कहता है...." मैं इसी हैप्पीनेस को देखते रहना चाहता हूं , , इसलिए मैंने इसे तुम्हारे बैग से लेकर ठीक करवाया था , मुझे पता था ये तुम्हारे लिए कितना इम्पोर्टेंट है...."
अपने लिए इतनी केयर देखकर अदिति झट से विवेक के गले लग जाती है और उससे कहती हैं..."विवेक ये ब्रेसलेट अभी तक तो सिर्फ़ भाई के प्यार की निगरानी थी लेकिन तुमने इसे ठीक करके अपना प्यार भी इसमें भर दिया है ...ये ब्रेसलेट हमेशा मेरे दिल के करीब रहेगा , मैं इसे अपने से दूर जब ही करूंगी जब मैं इस दुनिया से चली जाऊंगी...." 
फ्लैशबैक आॅफ...
विवेक अदिति की बात सोचकर सुन्न पड़ जाता है और वही घुटनों के बल‌‌ बैठकर अपने चेहरे को अपने हाथों में भर लेता है...
अचानक विवेक के ऐसे परेशान होने से इशान उसे संभालते हुए कहता है....." विवू अदिति यही कहीं होगी.... ऐसे परेशान मत हो , देख आदित्य भी बहुत टेंस्ड हो रहा है इसलिए अपने आप को कंट्रोल कर....."
 " भाई नहीं कर सकता मैं खुद को कंट्रोल , ये ब्रेसलेट बता रहा है , अदिति हमेशा के लिए हमसे दूर चली गई है और आप कह रहे हैं कंट्रोल कर...." 
इशान उसे डांटते हुए कहता है...." क्या बहकी बहकी सी बातें कर रहा है ... क्या पता वो घर चली गई हो ...एक बार घर चलकर देखते हैं फिर कोई डिसीजन लेना..."
विवेक इशान की बात पर बेमन से सहमति जताता है और उसके साथ जाने के लिए तैयार होता है , 
इशान आदित्य को समझाता है ....." आदित्य इतना परेशान मत हो , हम अदिति को ढूंढ लेंगे , क्या पता वो घर चली गई हो इसलिए मैं और विवेक उसे ढूंढने जा रहे हैं .... मां आप आदित्य का ध्यान रखना हम बस थोड़ी देर में आ जाएंगे..." 
इशान और विवेक वहां से सीधा आदित्य के घर पहुंचते हैं इशान कार साइड में पार्क करता है और फिर दोनों जल्दी से घर की तरफ जाते हैं , मेन डोर पर पहुंचकर बेल रिंग करते हैं , , पांच छः रिंग करने के बाद भी कोई रिस्पांस नहीं मिलता तो विवेक डोर को हल्का सा प्रेस करता है तो वो आसानी से खुल जाता है , दोनों इसे देखकर हैरान रह जाते हैं लेकिन जल्दी से घर के अंदर पहुंचकर अदिति को बुलाने के लिए आवाज लगाते हैं लेकिन कोई जबाव नहीं आता पूरे घर में सन्नाटा पसरा हुआ था....
इशान उसे पूरे घर को अच्छे से देखने के लिए कहता है 
उधर अघोरी बाबा को होश आता है और सूरज की तेज रोशनी को देखते हुए हड़बड़ा उठकर चारों तरफ देखते हुए पूछते हैं...." वो पिशाच मारा गया क्या...?..."
अघोरी बाबा के होश में आने पर सब उनके पास पहुंचते हैं ... अघोरी बाबा आदित्य को हैरानी से देखते हुए पूछते हैं..." तुम ठीक हो .." और फिर सुविता जी की तरफ देखकर पूछ्ते है..." तुम्हारा बेटा कहां है वो ठीक है..."
" हां बाबा वो ठीक है .." 
अघोरी बाबा : फिर कहां है तुम्हारा बेटा...?
सुविता जी आगे बताती है...." बाबा वो तो अदिति , वो जिस लड़की को अपने वहां बैठाया था , उसे ढूंढने गये है...".
अघोरी बाबा हैरानी भरी नजरों से वहां देखते हैं फिर उनकी नजर उस त्रिशूल खंजर पर गई जो अभी भी सही सलामत वहीं रखा था लेकिन उसमें से कल की जैसी कोई रोशनी नहीं निकल रही थी , उसे देखकर कहते....." छल ...वो छल गया... अपने मकसद में कामयाब हो गया....हे ! शिव शंभू ..."
अघोरी बाबा की बात सुनकर सब सवालिया नज़रों से उन्हें देखते हैं फिर आदित्य उनके पास जाकर पूछता है.." क्या आपको अदिति के बारे में कुछ पता है..?...
अघोरी बाबा उसे गौर से देखते हैं तो उन्हें कल रात बीती घटना दिखने लगती है जिसे देखकर और पीछे मुड़कर कहते हैं..." तुम सही सलामत हो केवल अपनी बहन के कारण , आज उसने अपनी जान को उस पिशाच के हवाले सौंप दिया है और बदले में उससे तुम्हारी जिंदगी ली है....और सिर्फ तुम्हारी ही नहीं इन सबकी भी नहीं तो वो चमगादड़ इन सबको कल ही खा चुका होता...."
अघोरी बाबा की बात आदित्य पर बिजली की तरह गिरी थी, वो पूरी तरह टूट चुका था और झट से नीचे बैठकर रोने लगता है , अब वो याद आंसू बनकर बह रही थी...
" अदि तूने मुझे क्यूं बचाया...?... तेरा भाई तेरी जिंदगी लेकर नहीं जी सकता...." 
 
...............to be continued...........