अपहरण कांड की शुरुआत...
अब आगे.........
आदिराज अदिति को अमोघनाथ को सौंप कर खुद उस घेरे के आस पास उस बोतल को ढूंढ़ने लगते हैं , , आस पास उस शीशी को न मिलने की वजह से आदिराज के चेहरे पर डर झलकने लगा था और उस अभिमंत्रित खंजर को उठाकर जल्दी से उसे एक लाल कपड़े में लपेटकर उसपर मौली को लपेटते हुए मंत्रों का जप कर रहे थे , , उस खंजर को पूरी तरह ढकने के बाद उसे वो कमर में बांध लेते हैं और फिर काली माता के सामने रखे मौली को उठाकर उसमें एक रूद्राक्ष को पीरोकर उसे गंगाजल से सींच कर फिर एक बार मंत्र पढ़कर उसे अदिति के गले में डाल देते हैं......
अमोघनाथ हैरानी से पूछता है....." आदिराज जी! आप इतने परेशान क्यूं लग रहे हैं , , ;
" अमोघनाथ तुम अच्छे से जानते हो , वो बेताल एक शक्तिशाली आत्मा है और उसका अचानक इस तरह गायब होना किसी बड़ी विप्पत्ति की ओर इशारा कर रहा है , इसलिए मुझे पहले अदिति को सुरक्षित करना होगा , उसे ये बात हरगिज नहीं पता चलनी चाहिए कि वनदेवी ने मेरी बेटी के रूप में जन्म लिया है , , ...अब हमे उस विप्पत्ति से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहना होगा , क्योंकि वो बेताल अचानक रात को किसी पर भी हमला कर सकता इस...."
आदिराज अदिति और अमोघनाथ के साथ बाहर आते हैं , , जहां मंदिर के प्रांगण में लोगों की भीड़ थी जोकि अपनी अपनी समस्या को सुलझाने के लिए आदिराज के पास आए हुए थे , , इसलिए आदिराज वहीं तख्त पर बैठ जाते हैं और अदिति को भी अपनी गोद में ही बैठा लेते हैं....
कुछ ही देर बाद सब अपनी अपनी परेशानी का उपाय लेकर वहां से चले जाते हैं और अदिति भी उनकी गोद में सो जाती है , जभी आदिराज उस तख्त से उठने ही वाले थे की तभी एक आदमी भागता हुआ आता है...." महाराज जी..!मेरी मदद कीजिए...."
" क्या हुआ...?.."
वो आदमी कांपती हुई आवाज में कहता है...." महाराज जी...! मेरी बेटी कल रात से घर नहीं लौटी है , हमें लगा कि वो अपनी मासी के यहां होगी लेकिन वो वहां नहीं है महाराज , , आप को अपनी दिव्य संत हैं , कृपया देखकर बताइए मेरी बेटी कहां है...?..."
आदिराज अमोघनाथ की तरफ देखकर अपने आप से कहते हैं...." मैं तुम्हें कैसे बताऊं , मेरी शक्ति अब पहले जैसी तीव्र नहीं है , जबसे उस बेताल का पैशाची शक्तियों ने मुझपर प्रभाव डाला है तब मैं अपनी दिव्य दृष्टि खो रहा हूं बस कुछ आभास ही हो रहा है जैसे कुछ बहुत ग़लत होने वाला है...."
आदिराज के चेहरे पर चिंता की सिंकज देखकर अमोघनाथ उस व्यक्ति से कहता है...." देखो तुम चिंता मत करो, तुम्हारी बेटी लौट आएगी , अभी तुम घर जाओ हम उसे ढूंढने के लिए किसी को भेजते हैं...."
अमोघनाथ की बात सुनकर वो हाथ जोड़कर वहां से चला जाता है लेकिन आदिराज एक निराशा भरी आवाज में कहते हैं...." अमोघनाथ , , तुम कुछ ही शक्तियों को जानते हो इसलिए अब वो समय है जब तुम भी मेरे जैसे शक्तिशाली तांत्रिक पूजा विधि अपनाकर कुछ सिद्धियां प्राप्त करो...."
" आप ऐसा क्यूं कह रहे हैं...?..."
" क्योंकि अमोघनाथ मुझे आभास हो रहा है जैसे कुछ बड़ा भयानक होने वाला है जिसमें शायद मैं अपनी सारी शक्ति खो दूं.... इसलिए तुम उन सिद्धियों को प्राप्त करो ... हमारे अलमारी के खाने के नीचे तुम्हें एक छोटा सा छेद दिखेगा उसके अंदर अपनी तर्जनी अंगुली को डालकर घुमा देना जिससे तुम्हारे सामने कुछ गुप्त सिद्धियों की किताबे मिलेंगी , तुम उनपर अपना कार्य शुरू करो...."
" लेकिन मैं तो केवल आपके सान्निध्य में रहकर ये सब करना चाहता था...."
आदिराज उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहते हैं...." देखो अमोघनाथ ! परिस्थिति के अनुसार सबको अपना कार्य चुन लेना चाहिए इसलिए तुम जाओ और इन सब विद्याओं को प्राप्त करो....."
" ठीक है , जैसा आप चाहते हैं वैसा ही होगा , मैं कल से इन सिद्धियों की उपासना करूंगा..."
" मुझे तुमसे यही उम्मीद थी , , अब तुम जाओ..."
धीरे धीरे समय बीतता गया लगभग चार बीत चुके थे , लेकिन अब गांव की स्थिति सामान्य नहीं थी हर महीने दो लड़कियां गायब होने लगी थी जोकि सबके के काफी परेशानी की बात थी , , पंचायत में इसको लेकर काफी आवाज उठ रही थी की गांव की सुरक्षा अब संकट में है , अब सबका आदिराज की शक्तियों पर से विश्वास कम हो चुका था.....
लेकिन अमोघनाथ और आदिराज अपने शक्तियों के जरिए इस तरह हो रहे गांव के अपहरण कांड के बारे में जानने की कोशिश कर रहे थे ,.....
अमोघनाथ ने आदिराज के बताए अनुसार तांत्रिक विधि करके काफी शक्तियां प्राप्त कर ली थी , जिससे वो मिलकर आदिराज की सहायता कर रहा था , , काफी घंटों की मेहनत के बाद उन्हें गांव की सीमा के निकट एक अदृश्य किला दिखाई देता है , जिसे देखकर वो दोनों काफी हैरान नजर आने लगते हैं , ,
" आखिर ये किला कैसा है जो गांव के समीप होकर भी अदृश्य लग रहा है....?..." आदिराज ने हैरानी से कहा..
" आदिराज जी ! ये किला कहीं उसी बेताल ने तो नहीं बनाया...."
" नहीं अमोघनाथ , वो ऐसा नहीं कर सकता , ये जरूर किसी तांत्रिक का काम है , तुम अपनी गुढ़मति शक्ति का उपयोग करो , और मेरी प्रगाट्य शक्ति में मिला तो तब ही हम इस किले का रहस्य और अबतक गायब हो चुकी लड़कियों के बारे में पता कर पाएंगे....".
" जैसा आप कहें आदिराज जी...."
अमोघनाथ अपनी आंखें बंद करके दोनों हाथों को जोड़कर मंत्रों कू जरिए गुढ़मति शक्ति का आव्हान करने लगता है तो आदिराज भी अपनी शक्ति का आव्हान करने लगते हैं ..... थोड़ी ही देर बाद दोनों के आव्हान से एक पीले रंग की रोशनी और एक हरे रंग की रोशनी निकलती है और दोनों रोशनी आपस में मिलकर एक बड़े से गोल शीशेनुमा आकर ले लेती है....
और धीरे धीरे उस शक्ति के घेरे में दिखाई देने लगता है.....
.…............to be continued............
उस शक्ति घेरे में क्या दिखाई देता है....?
जानने के लिए जुड़े रहिए......