The Risky Love - 4 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | The Risky Love - 4

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The Risky Love - 4

देविका को पता चली सच्चाई...

अब आगे.......

विवेक आदित्य को समझाते हुए कहता है कि हम भी पैहरगढ जाएंगे..." जिसे सुनकर आदित्य अपने आंसूओं को पोंछते हुए कहता है...." हां विवेक सही कहा, , मुझे पैहरगढ जाना होगा , अब देर नहीं करनी चाहिए...."

विवेक अकेले उसके जाने की बात सुनकर कहता है....." भाई , आप अकेले नहीं जाओगे ,  मैं भी आपके साथ ही जाऊंगा...."

विवेक की जाने की बात सुनकर आदित्य उसे मना करता है लेकिन इशान उसका सपोर्ट लेते हुए कहता है....."आदित्य तू अकेला नहीं जाएगा , हम दोनों तेरे साथ जाएंगे..." 

" लेकिन मैं तुम दोनों को खतरे में नहीं डाल सकता...." 

विवेक आदित्य की बात को बीच में रोकते हुए कहता हैं...." भाई , आप ये क्यूं कह रहे हैं , , हम कबसे आपके लिए पराए हो गए हैं......"

" बिल्कुल आदित्य विवू ठीक कह रहा है , हम तेरे लिए पराए कबसे हो गये...." 

तभी सुविता जी आदित्य के पास आकर कहती हैं..." बेटा इन्हें अपने साथ ले जा , मुझे उम्मीद है तुम जरूर सफल होंगे , जाओ अब बहस करके यहां अपना टाइम खराब मत करो शाम होने वाली तुम जल्दी जाओ ...." 

आदित्य सुविता जी की बात को मान लेता है और तीनों काल अघोरी बाबा को प्रणाम करते हैं फिर वहां से कार में बैठकर पैहरगढ के लिए निकल पड़ते हैं.......

उधर  , पैहरगढ गांव में हलचल मची हुई थी , पुराने किले में अचानक से होते बदलाव को देखकर सब बहुत परेशान से देविका जी के घर के पास इकट्ठा हो रहे थे.....

देविका जी अपने घर के बाहर हो रहे शोर को सुनकर झिल्लाते हुए बाहर आकर कहती हैं...." ये क्या शोर मचा रखा है सबने....?..."

" देविका जी , पुराने किले में बदलाव हो रहे हैं , सब तरफ चमगादड़ का शोर मचा हुआ है , उल्लूओ का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है वहां , और कुत्ते डरके कोनो में छिपने लगे हैं...." 

देविका जी हैरानी से कहती हैं....." ये सब सिर्फ विरान पड़े रहने की वजह से ये सब हो रहा है....."

तभी उनमें से एक बुजुर्ग औरत कहती हैं..." ऐसा नहीं है , , अब तक वहां बिल्कुल सन्नाटा पसरा हुआ था और अब अचानक मावस के तीन पहले ही ये सब शुरू हुआ है , , !

देविका जी परेशान हो जाती है और सबसे कहती हैं..." हमें अमोघनाथ जी के पास जाना होगा वहीं इसके बदलाव की वजह बताएंगे.....आप सब यही रुकिए , रमन कांची चलो मेरे साथ..." 

देविका जी के कहने पर दोनों उनके साथ चले जाते हैं , देविका जी पंचायत बैठक से होती हुई सीधा एक पुराने से मंदिर के प्रांगण में पहुंचती है सीधा उसके तहखाने वाले कमरे में पहुंचती है जहां सब तरफ माशालो की रोशनी फैली हुई थी और , हर जगह तांत्रिक उपाय की चीजें पड़ी हुई थी , जल्दी जल्दी कदम बढ़ाते हुए अंदर ध्यान में बैठे अमोघनाथ जी के सामने पहुंचती है.....

बिना आंखें खोले ही अमोघनाथ जी बोल उठे ...." आओ देविका आओ  , .!

देविका जी हाथ जोड़ते हुए कहती हैं...." अमोघनाथ जी , समस्या आन पड़ी है , !

" हम जानते हैं देविका , , ! इतना कहकर अमोघनाथ जी अपनी आंखें खोलकर , देविका जी के पास आकर कहते हैं.." संकट आनी शुरू हुई है देविका , , हमने तुम्हें चेतावनी दी थी लेकिन तुमने उसपर ध्यान नहीं दिया देविका ...गामाक्ष अपने मकसद को पूरा करने के बहुत करीब है , , !..."

" मैं कुछ समझी नहीं अमोघनाथ जी...." 

" देविका तुम्हारी बेटी , वो दिव्य आत्मा अब उसकी कैद में है , वो तुम्हारी बेटी को ले आया है ...." 

अमोघनाथ जी की बात सुनकर देविका जी दंग रह जाती है और घबरा जाती है जिससे रमन और कांची उन्हें संभालते हैं... लेकिन देविका जी उन्हें अपने से दूर कर देती है और वही बैठकर एक बार जोर से चिल्लाते हुए कहती...." क्यूं मेरे साथ ऐसा होना था...." और फिर रोने लगती है , और रोते हुए ही कहती हैं....." मैंने इतने सालों क्या इस लिए ही अपने बच्चों को अपने से  दूर  रखा था कि एक दिन ऐसे खबर सुनने को मिलेगी.... लेकिन अमोघनाथ जी ! क्या सिर्फ मेरी बेटी ही उसकी कैद में है और आदित्य वो नहीं...." 

" नहीं देविका तुम्हारा बेटा उसकी कैद में नहीं है ‌‌, जहां तक हम देख पा रहे हैं, , उसकी जान को कोई खतरा नहीं है , आज से तीन दिन बाद वो पिशाच राज तुम्हारी बेटी की बलि देकर सदा के लिए मुक्त हो जाएगा , जोकि ये अच्छी बात नहीं है , , !..."

" हमें उसे रोकने के लिए कुछ करना होगा अमोघनाथ जी.."

अमोघनाथ जी आगे कहते हैं....." देविका , उसे खत्म करना इतना आसान नहीं है , , !

" मैं कुछ भी करूंगी लेकिन अपनी बेटी की बलि नहीं देने दूंगी , , मुझे अपने पति के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देना है , , !

" तुम कुछ नहीं कर सकती देविका , ..." 

देविका जी हैरानी से पूछती है ....." मैं कुछ नहीं कर सकती मतलब फिर कौन‌ करेगा...?..."

" तुम्हारा बेटा करेगा और....." अमोघनाथ जी इतना कहकर रूक जाते हैं....

" और कौन अमोघनाथ जी...?...."

अमोघनाथ जी कहते हैं....." देविका , तुम्हारी बेटी को वो अत्यधिक प्रेम करता है..." 

" लेकिन कौन अमोघनाथ जी ऐसे उलझाइए मत..."

" देविका वो गांव के समीप पहुंच चुके हैं , तुम्हारा बेटा अपनी बहन को बचाने यहां आ चुका है और उसके साथ ही वो लड़का है जो तुम्हारी बेटी को बचाने में सहायक होगा , जाओ देख लो उसे , उसके कमर पर पिशाच के नाखुनो के निशान हैं.... "

" पिशाच का निशान है , मतलब अमोघनाथ , लेकिन उन्हें ये सब कैसे पता चला कि अदिति यहां पर कैद है.....?..."

" ये सब तुम्हें वो ही बता देंगे बस तुम अनजान बनने की कोशिश करना , ताकि वो तुम्हें सारी सच्चाई बयां दे..."

" जी अमोघनाथ जी , , " 

देविका इतना कहकर वहां से दोनों के साथ बाहर आती है और रमन और कांची को समझाती है...." गांव में किसी को भी यहां की बात मत बताना ..."

दोनों उसकी बात सुनकर हां में सिर हिलाते हुए, चले जाते हैं....

 

...........to be continued...........

क्या होगा जब देविका की और आदित्य की मुलाकात होगी....?

जानने के लिए जुड़े रहिए.......