रचना: बाबुल हक़ अंसारी
भाग 3: ख़ामोश लम्हों की आवाज़ें
वो खिड़की से हट गया...
पर बाहर की बारिश अब उसके अंदर उतर चुकी थी।
कमरे की दीवारें चुप थीं, पर उनमें रिया की हँसी गूंज रही थी।
आर्यन ने अलमारी से वो पुरानी डायरी निकाली —
जिसके हर पन्ने में रिया की साँसें बसी थीं।
पन्ने पलटते हुए एक पेज के बीच
कोई छोटा-सा लिफ़ाफ़ा फँसा हुआ मिला।
कांपते हाथों से उसने उसे निकाला —
लिफ़ाफ़े पर लिखा था:
"जिसे तुम प्यार कहते हो,
वो कभी-कभी हमारी रूह को किसी और से बाँध देता है..."
अंदर एक और अधूरी चिट्ठी थी —
स्याही कुछ धुंधली थी, पर हर शब्द चीख रहा था:
> "अयान,
तुम अगर ये पढ़ रहे हो,
तो जान लो — मैं रोज़ खुद को थोड़ा-थोड़ा खोती जा रही हूँ।
आर्यन मुझे अच्छा लगता है… बहुत।
पर तुम्हारे बिना सब अधूरा है।
क्या तुम्हें भी कभी मेरी रूह ने छुआ था?"
नीचे सिर्फ़ तीन शब्द थे —
"मैं माफ़ी चाहती हूँ…"
---
आर्यन ने वो चिट्ठी अपने सीने से लगाई।
अब वो टूटा नहीं था…
अब वो समझ गया था —
रिया ने सिर्फ़ एक रिश्ता निभाया था,
पर एक रिश्ता कभी भुलाया नहीं था।
उसी पल मोबाइल की स्क्रीन चमकी —
श्रेया का मैसेज आया था:
> "अगर तुम सच में जानना चाहते हो कि अयान कौन था...
तो कल शाम उस हॉस्पिटल आ जाना जहाँ रिया का एक्सीडेंट हुआ था..."
आर्यन ने आँखें मूँद लीं —
क्योंकि अब सवाल नहीं रहे थे…
अब सिर्फ़ जवाब चाहिए था।
"अक्स जो कभी मिटते नहीं..."
शाम हो चुकी थी…
आर्यन उसी पुराने हॉस्पिटल के सामने खड़ा था,
जहाँ रिया की ज़िंदगी ने करवट बदली थी।
हवा में अजीब-सी गंध थी — जैसे किसी पुराने राज़ की।
श्रेया पहले से वहाँ मौजूद थी।
उसने आर्यन को देखा, कुछ पल चुप रही,
फिर धीमे से कहा —
“रिया को जब होश आया था एक्सीडेंट के बाद...
तो उसने सबसे पहले अयान का नाम लिया था।
‘क्या वो ठीक है?’ यही पूछती रही…”
आर्यन हक्का-बक्का था।
पर वो तो... मर गया था ना?” — आर्यन ने काँपती आवाज़ में पूछा।
श्रेया ने उसकी ओर देखा, और कहा —
“नहीं आर्यन…
अयान मरा नहीं था — उसे गायब कर दिया गया था।”
आर्यन की सांसें अटक गईं।
“क्या मतलब?”
“रिया के पापा को अयान बिल्कुल पसंद नहीं था।
वो चाहते थे कि रिया एक ‘अच्छे घर’ में जाए।
पर रिया और अयान… भागने वाले थे उसी दिन…”
लेकिन एक्सीडेंट उसी दिन हुआ…” आर्यन बुदबुदाया।
हाँ। और उसके बाद अयान का कुछ पता नहीं चला।
हॉस्पिटल रिकॉर्ड से लेकर उसके घर तक…
सब मिटा दिया गया था।”
आर्यन को लगने लगा,
उसके पास जो सच था, वो अधूरा था।
और रिया के जज़्बात… अब भी किसी अंधेरे में थे।
क्या अब भी… कोई उम्मीद है अयान के ज़िंदा होने की?” — उसने पूछा।
श्रेया ने जेब से एक पुरानी तस्वीर निकाली।
तस्वीर में रिया एक कैफ़े में बैठी थी…
उसकी नज़र कैमरे पर नहीं,
किसी को देखने में उलझी थी… कैमरे के बाहर।
और पीछे शीशे में एक धुंधली परछाई दिख रही थी —
अयान।
आर्यन की उंगलियाँ तस्वीर पर जम गईं।
उसने धीरे से कहा —
“अगर वो ज़िंदा है…
तो मैं उसे ढूंढकर रहूंगा।”
ताकि रिया की कहानी अधूरी न रहे।”
.........अब आगे की कहानी ..............
क्या अयान अब भी कहीं ज़िंदा है?
अगर हाँ, तो वो क्यों छुपा है?
और क्या आर्यन अब भी रिया से उतना ही जुड़ा है…
जितना कभी अयान था?
याह सब मंजर अगले भाग में...................