tanha Safar jajbaton ki chhanv mein bhoga Ishq - 2 in Hindi Philosophy by Babul haq ansari books and stories PDF | तन्हा सफ़र: जज़्बातों की छांव में भीगा इश्क़ - 2

Featured Books
  • मज़ाक

    लेखक आनन्द कुमार ने यह कहानी लिखी है जो इस प्रकार है -
    सिटी...

  • अधूरा इश्क़ — हिस्सा 1

      # अधूरा इश्क़ — हिस्सा 1 ### *जब दिल ने पहली बार धड़कना स...

  • नज़र से दिल तक - 15

    सुबह से ही आसमान में बादल घिरे हुए थे। अस्पताल के बाहर हल्की...

  • Secrets of The Night - 3

     Secrets of the Night – झील के भीतरझील की सतह पर उभरा वह चमक...

  • परछाईयों का शहर

    । यहाँ प्रस्तुत है 1500 शब्दों की रहस्यमयी और रोमांचक हिंदी...

Categories
Share

तन्हा सफ़र: जज़्बातों की छांव में भीगा इश्क़ - 2

भाग-2: अधूरी चिट्ठी और अनसुना नाम.          रचना: बाबुल हक़ अंसारी

उसने एक लंबा साँस लिया…  

फिर बुदबुदाया —  
**"कभी-कभी तन्हाई में सबसे ज़्यादा आवाज़ें होती हैं… बस सुनने वाला कोई नहीं होता।"**

  ••● अब आगे की कहानी ●••


उसे अब आँसू बहाना छोड़ना पड़ गया था —  
क्योंकि अब वो समझ चुका था,  
कि **इंतज़ार भी एक तरह की आदत होती है…**  
जिसे छोड़ा नहीं जाता।

पर उस सुबह, आदत से हटकर कुछ हुआ।

जब उसने डायरी को धीरे से बंद किया और उसे वापस उसी संदूक में रखने लगा,  
तो एक कोने से कुछ फंसा हुआ सा काग़ज़ निकला।  
पीला… हल्का सा फटा हुआ…  
शायद किसी चिट्ठी का अधूरा हिस्सा।

उसने ध्यान से पढ़ा —  
*"…अगर मैं लौटूं, तो पहचान लोगे ना?"*  
नीचे एक नाम लिखा था — **"अयान"**

आर्यन ठिठक गया।  
रिया की ज़िंदगी में **अयान** कौन था?  
कभी उसने इस नाम का ज़िक्र नहीं किया था।  
न उनकी बातों में, न उनकी डायरी में…  
फिर ये नाम… ये चिट्ठी… क्यों?

उसका दिल धड़कने लगा —  
क्या ये वही चिट्ठी थी जो कभी भेजी ही नहीं गई?  
या कोई ऐसा राज़ था जिसे रिया ने जानबूझकर छुपाया?

आर्यन ने चिट्ठी को फिर से पढ़ा,  
इस बार शब्दों के पीछे छुपी बेचैनी को महसूस किया।

फिर उसके हाथ कांपे…  
और एक पुराना फ़ोटो लिफाफे से गिरा —  
रिया किसी लड़के के साथ हँस रही थी…  
पर वो लड़का आर्यन नहीं था।

वही था — **अयान**।

अब आर्यन के सामने सिर्फ़ सवाल थे —  
क्या रिया का तन्हा सफ़र सिर्फ आर्यन के साथ था?  
या कोई और भी उसके जज़्बातों की छांव में भीगा हुआ था?

बारिश फिर से शुरू हो चुकी थी…  
पर इस बार पानी से ज़्यादा कुछ और भीग रहा था —  
आर्यन का भरोसा।

........दरारें जो जवाब नहीं देतीं......

उस रात आर्यन की नींद नहीं आई।  
जिस डायरी को वह रिया की आत्मा मानता था,  
उसी से अब सवाल निकलकर उसकी आत्मा में उतर रहे थे।

अयान कौन था?  
क्यों था?  
और क्या आज भी कहीं है?

सुबह उसने एक फ़ैसला लिया —  
**रिया की तलाश अब यादों से नहीं, सच से होगी।**

कॉलेज के पुराने बैच ग्रुप्स, क्लास फ़ोटोज़, लाइब्रेरी के पुराने रिकॉर्ड —  
आर्यन ने हर रास्ता खंगाल डाला।  
कुछ नहीं मिला।

फिर उसने रिया की पुरानी सहेली **श्रेया** को मैसेज किया —  
सालों से कोई बात नहीं हुई थी, पर उम्मीद की आख़िरी किरण वहीं थी।

कुछ घंटों बाद जवाब आया —  
अयान? तुम रिया के इतने क़रीब थे… फिर भी नहीं जानते?

आर्यन ठिठक गया।

उसने फौरन कॉल मिलाया।  
फोन उठते ही श्रेया की आवाज़ आई —  
रिया अयान को अपना जुड़वाँ कहती थी…"

आर्यन: "क्या मतलब? जुड़वाँ भाई?"

श्रेया ने साँस भरी:  
"नहीं… **जुड़वाँ रूह… वो कहती थी कि अगर आत्माओं का कोई रूप हो,  
तो अयान उसकी दूसरी छाया था।**  
पर अयान… अब नहीं रहा।"

आर्यन को लगा जैसे किसी ने ज़मीन खींच ली हो।

"कब?" उसने फुसफुसाकर पूछा।

"रिया की ज़िंदगी में आने से दो साल पहले… एक एक्सिडेंट में।  
तभी से रिया बदल गई थी।  
वो हँसती थी, पर पूरी नहीं।  
शायद तुम्हें प्यार किया…  
पर पूरी तरह दे नहीं पाई, क्योंकि कुछ हिस्सा हमेशा अयान के पास रह गया।"

आर्यन की आँखें भीग गईं —  
पर इस बार दर्द का नाम था।

रिया ने कभी झूठ नहीं बोला था,  
बस वो सच बताया जो ज़रूरी था।

उसने फ़ोन धीरे से रखा,  
और खिड़की से बाहर देखा —  
बारिश अब भी वही थी…  
पर अब आर्यन भीग नहीं रहा था…  
वो धीरे-धीरे **भीतर से सूखने लगा था।**

(अभी जारी है........)