Kurbaan Hua - Chapter 39 in Hindi Love Stories by Sunita books and stories PDF | Kurbaan Hua - Chapter 39

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Kurbaan Hua - Chapter 39

कार में सफर: नफरत या मोहब्बत?

संजना कार की खिड़की से बाहर झांक रही थी। घने जंगलों के बीच से गुजरती सड़क पर सिर्फ कार की हेडलाइट्स का उजाला था। रात गहरी हो चली थी, लेकिन उसके दिल में सवालों का तूफान उठ रहा था। उसने धीरे से अपनी जगह बदली और हर्षवर्धन की ओर देखा, जो गहरी सोच में डूबा ड्राइव कर रहा था।

"हम अब कहाँ जाएँगे?" संजना ने हल्की लेकिन उत्सुक आवाज़ में पूछा।

हर्षवर्धन ने एक क्षण के लिए उसकी ओर देखा, फिर वापस सड़क पर नज़रें टिका दीं। "जहाँ किस्मत ले जाए," उसने ठंडे लहजे में कहा।

"मतलब?" संजना ने भौंहें चढ़ाईं। "तुमने मुझे किडनैप किया, अब तक पता नहीं कि मुझे कहाँ ले जा रहे हो?"

हर्षवर्धन के होंठों पर हल्की मुस्कान आई, लेकिन वह तुरंत गंभीर हो गया। "मेरे पास प्लान था... लेकिन कुछ चीजें बदल गई हैं," उसने धीमे स्वर में कहा।

संजना की उत्सुकता और बढ़ गई। "क्या बदला?"

हर्षवर्धन ने गहरी सांस ली। वह अब खुद से भी यह सवाल करने लगा था कि जो कुछ भी वह कर रहा है, क्या वह सही है? उसने यह सब अपने बदले की आग में किया था, लेकिन संजना के मासूम चेहरे और उसकी बेबाक बातों ने कहीं न कहीं उसे हिला दिया था।

"तुम्हारी आँखों की सच्चाई..." हर्षवर्धन ने अचानक कह दिया।

संजना चौक गई। "क्या मतलब?"

"मतलब ये कि मैं सोच रहा था कि तुम भी बाकी सबकी तरह हो, पर तुम... अलग हो," हर्षवर्धन ने उसकी तरफ देखे बिना कहा।

संजना को यह सुनकर अजीब लगा। "तुम्हें क्या लगा था मैं कैसी हूँ?"

"एक लालची, चालाक लड़की, जो अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकती है," हर्षवर्धन की आवाज में तल्खी थी।

संजना ने गहरी सांस ली। "और अब?"

हर्षवर्धन कुछ पल चुप रहा। फिर बोला, "अब लगता है कि शायद... मैंने गलत समझा था।"

संजना का दिल धड़क उठा। यह वही शख्स था जिसने उसे जबरन यहाँ लाया था, लेकिन अब उसकी आँखों में कोई और ही बात थी।

"तो अब क्या करने का इरादा है?" संजना ने हल्की मुस्कान के साथ पूछा।

"अभी के लिए तो बस तुम्हें किसी सुरक्षित जगह ले जाना चाहता हूँ।"

"और उसके बाद?"

हर्षवर्धन ने संजना की आँखों में सीधे देखा। "पता नहीं...

संजना की सांसें तेज हो गईं। वह जानती थी कि यह रिश्ता जितना अजीब था, उतना ही खतरनाक भी। लेकिन इस वक्त, इस अजनबी सफर में, उसे खुद भी नहीं पता था कि वह डर रही थी या इस सफर का हिस्सा बनना चाहती थी।

बाहर घना अंधेरा था, लेकिन कार के अंदर एक नई रोशनी जगने लगी थी—शायद नफरत से मोहब्बत की तरफ।वही दूसरी तरफ कपूर हाऊस में, संजना के गायब होने पर  छुट्टी पे गए, उसके दोनों चाचा ( धनुष कूपर और महेश कपूर  ) साथ ही उनकी पत्नी ( धनुष कि पत्नी दमनी और महेश की पत्नी संध्या  ) और बच्चे  [ धनुष के दो लड़के ( विकी , मोहित) लड़की ( तारा) महेश के लडका- लड़की ( तेज - बबली) ] लौटता है,

कपूर हाउस में तूफ़ान: संध्या और सुषमा मासी की बहस

कपूर हाउस में हलचल मची थी। जैसे ही महेश कपूर और धनुष कपूर अपने परिवार के साथ अंदर आए, घर का माहौल तनावपूर्ण हो गया। संध्या के रोने की आवाज़ ने माहौल को और भारी बना दिया।

"अरे मेरी बच्ची कहाँ है? किसने उसे किडनैप कर लिया? कितने दिन हो गए उसे देखे हुए!" संध्या ने दहाड़ मारते हुए कहा। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे, लेकिन चेहरा किसी शिकारी की तरह गुस्से से भरा हुआ था।सब चुपचाप खड़े थे। संध्या का रोना-धोना बढ़ता ही जा रहा था। जैसे ही उसकी नज़र संजना की तीनों सहेलियों—मिताली, अवनी और लवली —पर पड़ी, उसका गुस्सा और भड़क गया।

"सब इन तीनों तितलियों की वजह से हुआ है!" उसने तेज़ आवाज़ में चिल्लाते हुए कहा। "इन्हीं के संग घूमती थी मेरी संजना, और अब देखो न जाने कहाँ चली गई।"