कमरा अंधेरे में डूबा था। खिड़की से आती हल्की चांदनी बस इतनी थी कि चीज़ों के धुंधले साए दिख जाएं। हर्षवर्धन ने टीवी की आवाज़ और तेज़ कर दी थी, लेकिन उसकी आँखों के सामने सिर्फ़ एक ही चेहरा था—सनजना का।
वो बंद कमरे के अंदर रोते-रोते चुप हो गई थी। ठंड से कांपते हुए उसने खुद को समेट लिया। आँखों में आंसू थे, लेकिन दिमाग में सिर्फ़ सवाल। "आखिर ये शख्स मुझसे इतनी नफरत क्यों करता है?"
उधर हर्षवर्धन की मुट्ठियां कस गई थीं। उसने आंखें बंद कीं और लंबी सांस ली।"तुम मेरी ज़िंदगी में आ ही क्यों गई, सनजना?"
वो खुद भी नहीं समझ पा रहा था कि उसे गुस्सा ज्यादा था या वो तकलीफ जो उसके अंदर जल रही थी।
दिल की आवाज़
कुछ देर बाद हर्षवर्धन उठकर कमरे की ओर बढ़ा। उसने दरवाज़ा खोला तो देखा कि सनजना ज़मीन पर बैठी ठंड से कांप रही थी।
उसका दिल एक पल के लिए कांपा, लेकिन उसने तुरंत खुद को संभाल लिया।"ड्रामा करना बंद करो, सनजना!" उसने सख्त लहजे में कहा।
सनजना ने धीरे से सिर उठाया। उसकी आंखें सूजी हुई थीं।"मुझे जाने दो..." उसकी आवाज़ इतनी धीमी थी कि जैसे कोई टूटी हुई सरगम हो।
हर्षवर्धन ने उसे घूरा। "तुम्हें जाना होता तो तुम यहां तक आती ही क्यों?"
"मैं अपनी मर्ज़ी से नहीं आई! तुमने जबरदस्ती मुझे यहां लाया!"
हर्षवर्धन कुछ पल खामोश रहा। फिर उसने अपना जैकेट उतारकर सनजना की तरफ बढ़ाया।"पहनो। ठंड लग जाएगी।"
सनजना ने गुस्से से उसकी तरफ देखा। "मुझे तुम्हारी कोई चीज़ नहीं चाहिए!"
हर्षवर्धन की आँखें चमकीं। वो नीचे झुका और उसके करीब आ गया।"अगर मैं कहूं कि मैं चाहता हूं कि तुम्हें मेरी हर चीज़ चाहिए हो?"
सनजना की सांसें थम गईं। उसकी धड़कन इतनी तेज़ हो गई कि उसे लगा कि हर्षवर्धन तक उसकी आवाज़ पहुंच रही होगी।
हर्षवर्धन ने उसके गाल पर हल्का हाथ रखा और फुसफुसाया, "डर क्यों रही हो? मैं तुम्हें खा नहीं जाऊंगा, सनजना!"
सनजना ने झटके से उसका हाथ हटाया। "मुझे तुमसे नफरत है, समझे!"
हर्षवर्धन हल्के से मुस्कुराया। "शायद... लेकिन ये नफरत जितनी बढ़ेगी, तुम्हारी धड़कनों की रफ़्तार उतनी ही तेज़ होगी!"
घर में हलचल
उधर, सनजना की दोस्त लवली, मिताली और अवनी घर में बेचैन घूम रही थीं।
"हमें पुलिस में रिपोर्ट करनी चाहिए!" मिताली ने कहा।
सुषमा मासी ने माथे पर हाथ रखा। "पुलिस से उम्मीद मत रखो। वो खुद ही डिस्को में सबको परेशान कर रही थी।"
अवनी ने चिंतित होकर कहा, "हमें खुद कुछ करना होगा।"
लवली ने अचानक कुछ सोचते हुए कहा, "क्या कोई ऐसा हो सकता है जो सनजना से नफरत करता हो?"
सभी चुप हो गईं। मिताली ने धीरे से कहा, "एक नाम दिमाग में आ रहा है...
निकिता ने चौककर पूछा, "वही जो स्कूल में सनजना के पीछे पड़ा था?"
लवली ने सिर हिलाया, "हां! और वो तब से सनजना को देखकर अजीब सा बिहेव करता था!"
सुषमा मासी का चेहरा गंभीर हो गया। "अगर वो लड़का सच में सनजना के पीछे है, तो हमें जल्दी कुछ करना होगा!"
मजबूरी या मोहब्बत?
कमरे में फिर से खामोशी थी।
हर्षवर्धन ने गहरी सांस ली और कहा, "देखो सनजना, मैं तुमसे कुछ नहीं चाहता। बस ये मत सोचना कि मैं तुम्हें इतनी आसानी से जाने दूंगा।"
सनजना ने तड़पकर कहा, "आखिर क्यों?! कौन सी दुश्मनी निकाल रहे हो मुझसे?"
हर्षवर्धन ने आंखें बंद कीं और धीरे से कहा, "क्योंकि...
सनजना के माथे पर बल पड़े। "क्या?? मैं तुम्हें जानती तक नहीं!"
हर्षवर्धन ने कड़वी हंसी हंसी, "शायद
सनजना की सांस अटक गई। "तुम कहना क्या चाहते हो?"
हर्षवर्धन ने धीरे से उसके बालों को पीछे किया और उसके कान में फुसफुसाया, "कि ये कहानी यहीं खत्म नहीं होगी... बल्कि अब शुरू होगी!"
कमरे में सिर्फ़ धड़कनों की आवाज़ रह गई थी—जो नफरत और मोहब्बत के बीच उलझी हुई थीं...