Kurbaan Hua - Chapter 4 in Hindi Love Stories by Sunita books and stories PDF | Kurbaan Hua - Chapter 4

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Kurbaan Hua - Chapter 4

हर्षवर्धन ने उसके चेहरे को अपनी मजबूत उंगलियों में कैद कर लिया और धीरे-धीरे उसके करीब झुकने लगा। सनजना ने अपनी साँसें रोक लीं।

"डर रही हो?" हर्षवर्धन ने हल्की मुस्कान के साथ पूछा।

"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?" सनजना ने उसे धक्का देने की कोशिश की, लेकिन हर्षवर्धन ने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया।

"तुम जितनी बार भागने की कोशिश करोगी, मैं तुम्हें उतनी ही बार अपने करीब खींच लूँगा," हर्षवर्धन ने फुसफुसाते हुए कहा।

सनजना की आँखों में गुस्सा और घबराहट दोनों थे। "तुम मुझे जबरदस्ती अपने पास नहीं रख सकते!"

"तो फिर मुझे रोक कर दिखाओ!" हर्षवर्धन ने उसकी कमर पर अपनी पकड़ मजबूत कर दी।

सनजना ने उसकी आँखों में देखा—उनमें नफरत थी, लेकिन कहीं गहरे कहीं कुछ और भी था, कुछ ऐसा जिसे वो समझ नहीं पा रही थी।

"तुम एक दिन पछताओगे, हर्षवर्धन!" उसने कांपती आवाज़ में कहा।

हर्षवर्धन मुस्कुराया, "देखते हैं, सनजना! लेकिन तब तक... तुम मेरी कैद में हो।"

कमरे में एक अजीब सी खामोशी छा गई। सिर्फ़ दो दिलों की तेज़ धड़कनें सुनाई दे रही थीं... जो नफरत और मोहब्बत के बीच कहीं उलझ गई थीं।

दार्सल  में वो लडके के का नाम हर्षवर्धन था | इस वक़्त उसकी आंखों में सनजना के लिए एक ऐसी नफरत दिख रही थी जिसमें अगर वो खुद भी फना हो जाए तो उसे ज़रा फर्क नहीं पडेगा | सनजना खुद के लिए हर्षवर्धन कि आंखों में इतनी नफरत देख डरी हुई थी | अब उसे हर्षवर्धन से डर लग रहा था | सनजना ने कहा डरते हुए " मैं तो तम्हे जानती भी नहीं हूं फिर क्यों तुम मुझे परेशान कर रहे हो | 

हर्षवर्धन ने कहा " तुम्हारे किसी भी सवाल का जवाब मैं देना ज़रूरी नहीं समझता हूं | 

इस" पर सनजना ने कहा, बिलकुल नही मिस्टर, तुम्हे मेरे सभी सवालों के जवाब देने होगे | 

हर्षवर्धन ने सनजना को छोड़ दिया | और सनजना को वही कमरे में बंद कर खुद हाॅल में जाकर सोफे पर बैठ गया अपने पैर उसने टेबल पर दिये पास ही टीवी का रिमोट था | उसने टीवी जोर से चला दिया | वही सनजना कमरे के अंदर से दरवाजे पर अपने नाजुक हाथों से मार रही थी | रोते हुए सनजना थक कर वही बैठ गई, उसके कपड़े गिले थे उसे ठंड लगने लगी थी | 

वही दूसरी तरफ सनजना को तलाश रही उसकी तीनों दोस्त जब घर पहुंची ये सोच कि कही सनजना घर तो नहीं आ गई | दार्सल में सनजना दिल्ली में एक आलीशान बगले में रहती थी उसकी तीनों सहेली भी उसके साथ ही रहती थी | उस बगले में बहोत सारे नौकर थे | नौकर में एक नौकरानी थी, सुषमा मासी नाम सनजना उस पुकारती थी | सहेली घर पहुंच जब सनजना का नाम लेकर उसे पुकार ने लगी तो सुषमा मासी उनकी आवाज सून हाॅल में आती है उन्हें लगा कि साथ सनजना भी आई हो लेकिन जब सहेलियों ने सुषमा मासी से कहा कि " सनजना घर लौटी क्या, 

सुषमा मासी हैरान थी क्योंकि सनजना तो घर पर नहीं थी वो उन लोगो से बोली कि " अरे तुम ऐसा सवाल  क्यों कर रही हो सनजना तो तुम्हारे ही साथ पास होने कि खुशी में डिस्को गई थी ना, 

सहेलियों ने कहा " हां लेकिन वहां अचानक ही कही से पुलिस आ गई और सब को परेशान करने लगी | 

इसके बाद सनजना कि सहेलियों सुषमा मासी को डिस्को में हुई सारी घटना अच्छे से बताती है | जिस पर वो गुस्से से बोली" ये पुलिस वाला ऐसे ही है जहां गलत होता है वहां कभी नहीं जाती है जहां नहीं होता है वहा जाकर लोगों को परेशान करती है |पता नहीं सनजना इस वक़्त कहा होगी | नाजुक सी मेरी बच्ची, 

लवली ने चिंता जताते हुए कहा " है भगवान् पीलिज जल्दी से सनजना कि खबर दे दो | मुझे बहोत डर लग रहा है |