Kurbaan Hua - Chapter 6 in Hindi Love Stories by Sunita books and stories PDF | Kurbaan Hua - Chapter 6

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Kurbaan Hua - Chapter 6

और फिर हर्षवर्धन अलमारी खोल कर उसमें से टावल निकाल कर सनजना के बालों को सूखा ने लगा | सनजना को ये अच्छा नहीं लगा उसने हर्षवर्धन से टावल छीनने कि कोशिश करने लगी, हर्षवर्धन भी अपनी ओर टावल को खिंचने लगा | सनजना कोशिश करती रही जिसे देख हर्षवर्धन ने टावल छोड दिया , सनजना ने बाल पोछ कर हर्षवर्धन से कहा, मुझे दूसरे कपड़े चाहिए | हर्षवर्धन ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा, अलमारी खोलकर खुद ले लो | सनजना अलमारी खोलते हुए बोली कि, मुझे तुम्हारे कपड़े नहीं पहनने समझे, मैं लडकी हूं मुझे लडकियों वाले कपड़े चाहिए | और तभी जब सनजना ने अलमारी खोल अंदर देखा तो उसके होश उड गए वो आंखे बडी कर बोली " ये सब क्या है यहां लडकियों के इतने कपड़े यहां तुम्हारे अलावा कोई लड़की भी रहती है | हर्षवर्धन ने अपनी बाहों को फोल्ड कर कहा " ये तुम्हारे है तुम्हारे लिए है | हर्षवर्धन हल्की मुस्कान के साथ सनजना की ओर देखता रहा। उसकी आँखों में शरारत और अधिकार का मिला-जुला भाव था।

सनजना ने गुस्से से एक कदम आगे बढ़ाते हुए कहा, "तुम पहले से ही सब प्लान करके बैठे थे, है ना? मुझे अगवा करने का, यहाँ रखने का, और यहाँ तक कि मेरे कपड़ों का भी इंतज़ाम कर रखा था! घटिया इंसान हो तुम!"

हर्षवर्धन ने एक गहरी साँस ली, फिर धीमे कदमों से उसकी तरफ बढ़ा। "मैं घटिया हूँ?" वह फुसफुसाया, उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। "तो फिर तुम्हें अब तक यहाँ मेरे साथ होना भी नहीं चाहिए था, है ना?"

सनजना ने पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन हर्षवर्धन ने अलमारी के दरवाजे पर हाथ रख दिया, रास्ता बंद कर दिया। "जानता हूँ, तुम्हें गुस्सा आ रहा है... लेकिन इस सच से मुँह मत मोड़ो कि कहीं न कहीं तुम्हें भी मेरे करीब आने से कोई ऐतराज नहीं है," उसने धीमे से कहा।

सनजना का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने खुद को संभालते हुए कहा, "बकवास बंद करो! मुझे जाने दो!"

हर्षवर्धन ने एक हल्की मुस्कान के साथ कहा, "जाने तो मैं कब का दे देता... लेकिन ...

उसकी नज़दीकी से सनजना की साँसें भारी होने लगीं। उसने खुद को मजबूत बनाए रखा और झटके से हर्षवर्धन को पीछे धकेलते हुए बोली, "तुम्हारी इस बकवास मे मैं नहीं  फँसने वाली मैं नहीं हूँ!"

हर्षवर्धन ने मुस्कुराते हुए कहा, "देखते हैं, कब तक खुद को मुझसे दूर रख पाती हो..."

मन में सनजना सोचने लगी आखिर ये इंसान मुझसे चाहता क्या है नफरत है तो ये बार बार मेरे करीब आने कि कोशिश क्यों करता है | हर्षवर्धन कमरे से चला गया और फिर सनजना अलमारी से कुछ कमफ्टेबल कपड़े लेकर बाथरूम में चेंज करने चली गई | वही हर्षवर्धन हाॅल में टीवी देख रहा था सनजना जब पकड़े बदल कर हाॅल में पहुंची तो हर्षवर्धन उसे एक नज़र देखने लगा | मन ही मन बोला" ये इस सिपल कपडों में भी इतनी खुबसूरत लग रही है | सनजना ने देखा कि हर्षवर्धन उसे ही देख रहा था | जिसके बाद वो बदबूदाते हुए बोली" ये मुझे ऐसे क्यों देख रहा है कही मैंने कपड़े ऊल्टे तो नही पहन लिये | सनजना ने मासूम सा चेहरा बना कर कहा " देखो मुझे घूरना बंद करो जिसके बाद हर्षवर्धन ने कहा " तो क्या चूमना शुरू कर दू | सनजना घबरा कर हर्षवर्धन से दो कदम दूर होकर खडी हो गई | मन ही मन ये सोच " इस आदमी का कुछ पता नहीं कही सच में चूमना शुरू कर दे | सनजना का चेहरा एकदम लाल पड़ गया, मानो किसी ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया हो। उसने घबराकर इधर-उधर देखा, लेकिन बचने का कोई रास्ता नहीं था।

" तुम... तुम ये क्या बकवास कर रहे हो?" उसने गुस्से में आंखें तरेरी।