हर्षवर्धन ने बिना कुछ कहे अपनी जैकेट उतारी और उसे संजना के कंधों पर डाल दी। "तुम्हें पहले ही कह देना चाहिए था, पागल लड़की।"
संजना ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हारी बाहों में इतनी गर्मी थी कि मुझे देर से एहसास हुआ।"
हर्षवर्धन ने उसकी ठंडी उँगलियों को अपने हाथों में लिया और अपनी हथेलियों से गर्म करने लगा। लेकिन ठंड लगातार बढ़ती जा रही थी। हवाएँ अब और भी तेज़ हो गई थीं, जिससे संजना के गाल लाल पड़ गए थे।
"अब और नहीं, हमें यहाँ से चलना होगा। आओ, कार में चलते हैं," हर्षवर्धन ने फैसला किया।
संजना ने सिर हिलाया और दोनों उठे। लेकिन जैसे ही वे कार की ओर बढ़े, संजना का पैर एक पत्थर से टकरा गया और वह हल्की-सी डगमगा गई। हर्षवर्धन ने झट से उसे पकड़ लिया और पास खींच लिया।
"तुम सच में एक मुसीबत हो," हर्षवर्धन ने हँसते हुए कहा और उसे अपनी बाहों में उठाकर कार तक ले गया।
कार में प्यार की गर्माहट
हर्षवर्धन ने संजना को कार की सीट पर बैठाया और तुरंत हीटर ऑन कर दिया। ठंड से काँपती संजना ने अपनी हथेलियाँ हीटर के पास कीं और राहत की साँस ली।
"अब ठीक लग रहा है?" हर्षवर्धन ने पूछा।
संजना ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया, "थोड़ा-सा। लेकिन अभी भी ठंड है।"
हर्षवर्धन ने एक शरारती मुस्कान के साथ कहा, "तो फिर मुझे तुम्हें और गर्म करना पड़ेगा।"
संजना ने नकली गुस्से से उसकी ओर देखा, "अच्छा? और वो कैसे?"
हर्षवर्धन ने बिना कुछ कहे धीरे-धीरे उसके गालों को अपने हाथों से छुआ। उसकी उँगलियों की गर्मी ने संजना को अंदर तक गुदगुदा दिया।
"देखो, अब तो तुम्हारे गाल भी गर्म हो गए," हर्षवर्धन ने मुस्कुराते हुए कहा।
संजना ने उसकी शरारत को महसूस किया और हल्की-सी मुस्कान दी। हर्षवर्धन ने धीरे से उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में लिया और अपने होठों से छूकर उन्हें गर्म करने लगा। संजना की धड़कन तेज़ होने लगी।
"तुम्हें पता है, मुझे ऐसा लग रहा है कि ये ठंड अच्छी है," संजना ने धीरे से कहा।
"क्यों?" हर्षवर्धन ने हैरानी से पूछा।
"क्योंकि तब ही तुम मुझे और करीब लाते हो," संजना ने शरारती मुस्कान के साथ जवाब दिया।
हर्षवर्धन हँस पड़ा। "तुम्हें मुझसे दूर जाने की इजाज़त ही नहीं है, समझी?"
संजना ने अपनी आँखों को हल्का-सा बंद किया और अपने सिर को हर्षवर्धन के कंधे पर टिका दिया। कार के अंदर हल्की-हल्की बारिश की आवाज़ आ रही थी, और बाहर की ठंडी हवा अब उन्हें बिल्कुल महसूस नहीं हो रही थी।
हर्षवर्धन ने उसकी आँखों में झाँका और धीरे से उसके माथे पर एक हल्का-सा किस किया। "अब गर्मी मिल रही है?"
संजना ने हल्के से सिर हिलाया और कहा, "हाँ, अब बिल्कुल ठीक लग रहा है।"
हर्षवर्धन ने उसे और करीब खींच लिया।
संजना ने मुस्कुराई,हर्षवर्धन ने उसकी आँखों में गहराई से देखा
कार के अंदर अब सिर्फ उनकी धीमी आवाज़ें, हल्की बारिश, और उनकी धड़कनों की ताल थी। बाहर चाहे जितनी भी ठंडी हवाएँ चल रही हों, लेकिन कार के अंदर उनकी मोहब्बत की गर्मी ने सब कुछ बेमानी कर दिया था…
संजना और हर्षवर्धन इस पल में जैसे सारी दुनिया को भूला चूके थे हर्षवर्धन इस पल बदले को भूला बैठा था तो संजना भी ये भूल चूकी थी हर्षवर्धन उसका किडनैप था आखिर दोनों के बीच आगे और क्या क्या होने वाला था आगे नफरत बढगी या दोनों के बीच ये एहसास जो प्यार कि कहानी कह रहे थे | संजना इस वक़्त हर्षवर्धन कि बाहों में खुद को लेकर बैठी थी | उसके लिए इस वक़्त हर्षवर्धन ही सब कुछ था | भोली सी संजना अपने किडनैप को मन ही मन पंसद कर रही थी ये जाने बिना कि इसका अंजाम क्या होगा |