(जब दिल के रिश्तों पर राज़ भारी पड़ने लगें...)
---
अनुज ने गुस्से में उसका कॉलर पकड़ लिया और दहाड़ा —
"तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन के करीब आने की??"
एवी ने झटके से अनुज को धक्का दिया और अकड़ते हुए बोला —
"अबे हट! मुझे तुझसे नहीं, तेरी बहन से काम है।"
रात्रि ने बीच में आकर दोनों को अलग किया और गुस्से में पूछा —
"क्या काम है तुम्हें मुझसे?"
एवी का लहजा अब भी अकड़भरा था —
"ऐसे नहीं, मुझे तुमसे अकेले में बात करनी है।"
अनुज का गुस्सा और भड़क उठा। उसने एवी के चेहरे पर ज़ोरदार मुक्का जड़ दिया —
"तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन से ऐसे बात करने की... तेरी तो...!"
रात्रि (आंखों में आग लिए):
"अगर चाहते हो कि कल के अखबारों में तुम्हारा एक और स्कैंडल न छपे तो अभी के अभी निकल जाओ।"
लेकिन एवी की अकड़ में कोई कमी नहीं आई।
वो रात्रि के करीब आया और बुदबुदाया —
"तुम्हें सच में लगता है कि मैं ऐसे स्कैंडल्स से डरता हूं?"
रात्रि ने उसे ज़ोर से धकेला।
एवी:
"तुम मेरी बात सुनो... तुम्हें मेरी बात सुननी होगी।"
रात्रि (गुस्से से कांपती आवाज़ में):
"Get out, I said!"
तभी एवी का सेक्रेटरी अंदर आया —
"सर, प्लीज़ चलिए यहां से... कोई स्कैंडल हो जाएगा।"
सेक्रेटरी ने दोनों से माफ़ी मांगी और एवी को जबरन बाहर ले गया।
---
Scene: रात्रि और अनुज घर लौटते हैं
रात्रि (अनुज से):
"भैया, प्लीज़... calm down।"
अनुज:
"तू अभी भी मुझे शांत कर रही है? ये दूसरी बार है! चल, मेरे साथ पुलिस स्टेशन!"
रात्रि:
"भैया, पहले घर चलते हैं। फिर सोचेंगे।"
---
Scene: घर के दरवाज़े पर परेश
परेश (गंभीर स्वर में):
"तुम दोनों मुझसे बहुत कुछ छुपाने लगे हो। मेरे बच्चे इतने बड़े कब हो गए?"
रात्रि:
"पापा, क्या हुआ?"
परेश:
"तुम्हारे ऑफिस में फोन किया था मैंने। अब बताओ, आगे तुम बताओगे या मुझे खुद पता लगाना पड़ेगा?"
अनुज (धीमे स्वर में):
"जब दो महीने पहले एवी का एक्सीडेंट हुआ था... वो मेरे हॉस्पिटल में ही आया था।"
---
फ्लैशबैक: हॉस्पिटल, दो महीने पहले
अनुज ड्यूटी खत्म करके निकलने ही वाला था —
"चलो अब निकलता हूं वरना मेरी पागल बहन यहीं आ जाएगी..."
तभी एक घायल शरीर हॉस्पिटल में लाया गया —
"डॉक्टर साहब, प्लीज़ मेरे सर को बचा लीजिए!" — असिस्टेंट चीखा।
अनुज:
"Formalities पूरी करो।"
ऑपरेशन सफल रहा।
अनुज (सुकून से):
"अब ये ठीक है, थोड़ी देर में होश आ जाएगा।"
पर तभी...
रात्रि (कबिन के बाहर से):
"भैया, चलना नहीं है क्या? सब जा चुके हैं पार्टी में!"
अनुज:
"तू मेरे केबिन में बैठ, मैं अभी आया।"
दूसरी तरफ एवी को होश आ जाता है।
एवी (गुस्से में):
"किसने बचाया मुझे... मेरी परमिशन के बिना?"
नर्स:
"Dr. अनुज ने।"
एवी गुस्से में लड़खड़ाता हुआ अनुज के केबिन तक पहुंचता है... और गिर पड़ता है।
रात्रि पीछे मुड़ती है —
"अरे सर, आप ठीक हैं?"
रात्रि ने उसे संभाला।
एवी (धीमे, भीगे स्वर में):
"तुम... गुस्सा मत होना। मैं तुम्हें ढूंढ़ ही रहा था। और अब तुम... मिल गई हो।"
वो रात्रि का माथा चूम लेता है।
अनुज केबिन में घुसता है —
"दूर हट मेरी बहन से! तेरी हिम्मत कैसे हुई!"
और वो फिर एवी को पंच मारता है।
एवी का असिस्टेंट आता है —
"सर, आपके डैड आ चुके हैं। प्लीज़ चलिए!"
एवी (रात्रि की ओर):
"तुम डरना मत... मैं फिर आऊंगा।"
रात्रि:
(सन्न, चुप)
Present time
---
Scene: अगली सुबह – ऑफिस
रात्रि:
"कोई कॉन्ट्रैक्ट फाइनल हुआ?"
नेहा:
"मैम, सारे प्रपोज़ल्स कैंसल हो गए। सिर्फ एक बचा है, जो हमारी हर टर्म्स एक्सेप्ट कर रहा है।"
रात्रि (थोड़ी झिझक के बाद):
"ठीक है, उसे फाइनल कॉल दो।"
---
Scene: मीटिंग के बाद – नेहा की कॉल
नेहा, राबिया को कॉल करती है।
राबिया:
"मैं थोड़ी देर में कॉल करती हूं।"
---
Scene: रात्रि का केबिन
रात्रि (आंधी जैसे सवालों में उलझी):
"कहीं तो होगी वो जगह... लेकिन कहां?"
डोर नॉक होता है।
रात्रि:
"Yes, please come in."
Mr. Maan दाखिल होते हैं।
रात्रि (चौंककर):
"आप...? Mr. Maan...? आप यहां?"
Mr. Maan:
"आपने ही तो कॉन्ट्रैक्ट साइन के लिए बुलाया है।"
रात्रि (घबराकर):
"ये... आपका प्रपोज़ल था?"
वो फौरन नेहा को बुलाती है।
नेहा:
"मैम, आपने ही कहा था उन्हें फाइनल कॉल दो।"
रात्रि (हैरानी में):
"मुझे... फंसा दिया गया है क्या?"
---
रात्रि कुछ देर सोचती है। कॉन्ट्रैक्ट पढ़ती है — एक कहानी चाहिए थी... मगर शर्तें कुछ और बयां कर रही थीं।
बीस मिनट बाद...
रात्रि:
"हम ये कॉन्ट्रैक्ट साइन करेंगे।"
साइनेचर होते हैं।
Mr. Maan का फोन बजता है — वो एक तरफ जाकर कॉल लेता है।
Mr. Maan (धीरे से):
"हां, तुम्हारा काम हो गया। रात्रि ने कॉन्ट्रैक्ट साइन कर लिया है।"
फोन कट होता है।
वो ज़ोर से हंसता है और फुसफुसाता है —
"अभी तो ये सिर्फ शुरुआत है... अब तुम्हारी किस्मत मेरे हाथों लिखी जाएगी, मिस रात्रि मित्तल।"
---
To Be Continued...
**- कौन है ये शख्स जो रात्रि की जिंदगी की हर डोर पकड़ना चाहता है?
क्या है वो सच जो अनुज और रात्रि छुपा रहे हैं?
और वो सपना... वो जगह... आखिर किस सच का दरवाज़ा है?**
जानने के लिए पढ़ते रहिए – इश्क़ और अश्क
(हर इश्क़ में एक राज़ छिपा होता है... और हर अश्क़ में एक जवाब।)
---