Ishq aur Ashq - 10 in Hindi Drama by Aradhana books and stories PDF | इश्क और अश्क - 10

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इश्क और अश्क - 10



रात्रि ऑफिस पहुंची

अर्जुन: "मिस मित्तल आप आ गईं, चलिए हमें निकलना है!"

रात्रि: "पर कहां?"

अर्जुन: "आज से शूटिंग शुरू हो रही है।"

रात्रि: "पर अगस्त्य का क्या........"

(रात्रि की बात काटते हुए)

एवी: "वो अब इस प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं है।"

अर्जुन: "एक टीम वहां ऑलरेडी पहुंच चुकी है, हमें भी निकलना है।"

(सब निकल गए)


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रास्ते में ....

रात्रि: "क्या सच में अगस्त्य मान इस प्रोजेक्ट पर नहीं होंगे?"

एवी: "तुम इतनी परेशान क्यों हो रही हो? उसके बिना ही ये मूवी अच्छे से बन पाएगी।"

(अर्जुन कुछ नहीं बोला। रात्रि को अच्छा नहीं लग रहा था।)


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चलो चलो सब उतरो, हम आ गए – किसी ने आवाज लगाई।

रात्रि और सभी उतरे।

"वेलकम ब्रदर एंड टीम" – (अगस्त्य एक्शन में बोला)

सब अगस्त्य को यहां देख कर शॉक हो गए।

एवी (गुस्से में): "तुम यहां क्या कर रहे हो?"

अगस्त्य (हल्की हंसी के साथ): "मैंने आज तक इतना बेतुका सवाल नहीं सुना..... कमाल है! मेरी फिल्म, मेरा प्रोडक्शन और मेरा बजट! और मैं यहां क्या कर रहा हूं?"

एवी: "तुम्हारी.........."

(अर्जुन बीच में आकर बोला)

"भाई, आपको यहां नहीं आना चाहिए था।"

अगस्त्य: "अर्जुन, तुम मेरे छोटे भाई हो, let me help you in it।"

(इतना बोल कर अर्जुन चला गया)

एवी: "किसके लिए आए हो यहां?"

अगस्त्य (रात्रि को देखते हुए): "तुम टेंशन मत लो, तुम्हारी गर्लफ्रेंड के लिए नहीं आया।"

(एवी ने गुस्से में अगस्त्य का कॉलर पकड़ लिया)

सेट पर सबके कान खड़े हो गए

अगस्त्य (गुस्से में, चेहरा पास लाते हुए): "और तुम्हें मेरा कॉलर पकड़ने का हक़ किसने दिया?"

(अगस्त्य ने एवी के हाथों से अपना कॉलर छुड़वाया)

और वो वहां से चला गया।

एवी ने अपने चारों तरफ देखा और चिल्ला कर बोला: "अपने-अपने काम पर पहुंचो।"


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रात्रि बहुत गुस्से में थी....

एवी उसे समझाने के लिए आगे बढ़ा: "रात्रि........"

इतने में रात्रि वहां से निकल गई।

एवी मन ही मन में: "रात्रि मेरी गर्लफ्रेंड... सच्ची..." (और शरमाया)

उसकी आवाज मन से बाहर भी आ गई: "हाए......."

"जी सर" – एक जाते हुए स्टाफ मेंबर ने एवी को जवाब दिया।

एवी (छिड़ गया): "क्या है?"

मेंबर: "सर, आपने 'हाए' बोला ना...."

एवी मन में सोचने लगा: "इतनी तेज़ बोला क्या मैंने?"

मेंबर: "बोलिए सर, कुछ चाहिए आपको?"

एवी (चिढ़ता हुआ): "नहीं... नहीं... तुम जाओ।"


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दूसरी तरफ रात्रि गुस्से में अगस्त्य को ढूंढ रही है,
उसने अगस्त्य को देखा, वो किसी से फोन पर बात कर रहा था।

रात्रि उसके पास जा ही रही थी कि एक स्टाफ का मेंबर आया:
"मैम..."

रात्रि रुक गई: "हम्मम...."

मेंबर: "वो सब मेन क्रू मेंबर जा रहे हैं... आपको बुलाया है।"

रात्रि: "कहां जा रहे हैं........... अच्छा ठीक है, मैं आती हूं।"


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सब एक जगह मिलते हैं।

रात्रि अर्जुन से: "Mr. Maan, हम कहां जा रहे हैं?"

अर्जुन: "मिस मित्तल, जब तक यहां का सेटअप पूरा होता है, तब तक हम पास के गांव वालों के पास जा कर उनसे कुछ जानकारी ले लें।"


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सब बस में बैठ कर निकल पड़े...
रात्रि सोच में गुम थी और एवी रात्रि को देख रहा था।


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एक गांव आया – हसनपुर गांव...

सबने अपने-अपने हिसाब से जानकारी लेना शुरू की

पर पूरे गांव में किसी को उस महल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी...

"लगता है किसी को कुछ नहीं पता......" – (किसी ने कहा)

"चलो वापस चलते हैं।"


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लोग बातें करते करते बस पर चढ़ रहे थे...

एक मेंबर: "लेकिन वहां ऐसा क्या हुआ होगा जो इतना आलीशान महल मिट्टी में मिल गया?"

दूसरा मेंबर: "और तो और, कहीं किसी किताब में इस महल की कोई चर्चा नहीं।"

"क्या कहा आपने?" – पीछे से किसी ने आवाज दी।

(दोनों मेंबर ने उस आदमी को मुड़ के देखा)

"क्या हुआ भाई साहब?"

वो आदमी: "आप उस ऊंचे वाले महल की बात कर रहे हैं?"

एक मेंबर: "हां... वही... आप जानते हैं कुछ?"

वो आदमी: "मेरा नाम बहादुर है... मेरे बाबा (दादा) मुझे बचपन से ऊंचे महल की कहानी सुनाते थे... पर कितनी सच्चाई है, ये मैं नहीं जानता।"

वो मेंबर: "तुम चलो हमारे साथ..."

(वो दोनों बहादुर को अर्जुन के पास ले गए)

"सर, ये हमें कुछ बता रहा है, महल के बारे में..."

अर्जुन (बहादुर से): "हां जी... आप क्या जानते हैं? हमें बताएं।"

बहादुर: "जी... मेरे बाबा सब जानते हैं, आप उनके पास चलिए, वो आपको बताएंगे।"

एवी: "पर वो हैं कहां...?"

बहादुर: "आप चलिए..."


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सब बहादुर के पीछे चलने लगे,
वो उन्हें एक सुनसान जगह पर ले गया...
यहां बस जंगल और एक पुराना सा घर था।

रात्रि: "जब से यहां आए हैं, तब से सब कुछ ही अजीब हो रहा है... और अब ये अजीब सी जगह।"


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सब अंदर पहुंचे, चारपाई पर एक बहुत बूढ़ा आदमी लेटा हुआ था... जिसकी उम्र का कोई अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता था।
अर्जुन उसके पास गया और सारी बात समझाई कि उन्हें महल के बारे में क्यों जानना है।

बाबा (बहुत धीमी और बीमार आवाज़ में):
"ये कहानी है बीजापुर और सीकरपुर की...
दो राज्य जो बहुत अच्छे मित्र हुआ करते थे।
बीजापुर के महाराज अग्रेण की पुत्री – राजकुमारी प्रणाली – जो उस वक्त पूरे देश में अपनी सुंदरता और बुद्धिमत्ता के लिए प्रसिद्ध थी...
और सीकरपुर के राजकुमार अविराज – जो सौम्य और दयालुता के लिए जाने जाते थे –
उन दोनों की कहानी है।"

(रात्रि की सांसें थमने लगीं… ये सब उसके सपनों से मेल खा रहा था)

बाबा बोले:
"बचपन की दोस्ती प्यार में बदली...
अविराज ने प्रणाली का स्वयंवर जीत कर उसे भी जीत लिया...
दोनों राज्य, अविराज और प्रणाली – सब इस शादी से बहुत खुश थे...

...कि अचानक अविराज ने प्रणाली को किसी और की बाहों में देख लिया।
बाद में अविराज को पता चला कि प्रणाली को अपनी सुंदरता का घमंड इतना चढ़ गया था
कि उसके केवल एक पुरुष से नहीं, बल्कि कई पुरुषों से संबंध थे।"


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"नहीं! नहीं........! ये सच नहीं हो सकता!" – रात्रि चिल्ला पड़ी।

एवी भी गुस्से में आ गया:
"ये सब क्या बोले जा रहे हैं आप? ये सब झूठ है!"


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(बाबा की आंखें धीरे-धीरे खुलीं... और उन्होंने सीधा रात्रि की ओर देखा)
बाबा: "पर तुम्हारी आंखों में... उस प्रणाली की आग आज भी जल रही है…"


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क्या रात्रि ही प्रणाली है?
और A.v. सच में रात्रि से प्यार करता है,?
और अगस्त्य इस सब में क्या कर रहा है???