पिछली कहानी में हमने पढा़ था कि यूनिवर्सिटी में प्रीत की मुलाकात आयांशी से होती हैं। बातों ही बातों में उनकी अच्छी दोस्ती हो जाती है।
अब आगे...........
सम्राट के कॉल रिसीव न करने पर प्रीत कुछ सोचने लग जाती है तभी उसके फोन पर सम्राट का कॉल आ जाता है और प्रीत कॉल रिसीव करती है। प्रीत- भाईसाहब, आप कहाँ पर हो?? आपकी मीटिंग खत्म हो गयी क्या?? तभी सम्राट- हाँ, मेरी मीटिंग खत्म हो गयी हैं। मैं अभी वहीं आ रहा हूँ! तुम लोग वहीं रुकना। यह कहकर सम्राट कॉल कट कर देता हैं। प्रीत ने विजय और वियांशी को बताया कि भाईसाहब यहीं पर आ रहे है तब तक हम लोग यहीं उनका वेट करते हैं। तभी आयांशी बोली- आपके भाईसाहब आते है तब तक हम कैन्टिन चले क्या??? इफ यू डोंट माइंड़। ये सुनकर प्रीत, विजय और वियांशी भी कैन्टिन चलने के लिए तैयार हो जाते हैं और वे चारों कैन्टिन चले जाते हैं। वे चारों कैन्टिन में बैठकर बातें कर रहे थे। तभी वे सब अपनी फैमिली के बारे में बताते हैं।तब प्रीत अपनी फैमिली के बारे में बताती है कि उनके डै़ड़ बैंगलोर के एक बडे़ बिजनसमैन Mr. अभिमन्यु सिंह राजपुत हैं और उनकी माँ नैना सिंह राजपुत हाउसवाईफ हैं। प्रीत और सम्राट उनके डै़ड़ की पहली पत्नी ज्योति सिंह राजपुत के बच्चे हैं। तभी वियांशी आयांशी से उसकी फैमिली के बारे में पूछती है तो आयांशी बताती है कि उसके डै़ड़ Mr. दिगविजय सिंह चौहान बैंगलोर के एक फैमस लोयर है और उसकी मॉम प्रेरणा सिंह चौहान एक डॉ़क्टर हैं। और उनका बैंगलोर में खुद का हॉस्पिटल हैं। वे चारों आपस में बातें कर ही रहे थे कि तभी आयांशी के फोन पर उसकी मॉम का कॉल आ जाता हैं। और आयांशी फोन पर बात करती हुई कैन्टिन से बाहर जाने लगती है कि तभी वो अपने सामने से आते हुए किसी लड़के से टकरा जाती हैं। टक्कर की वजह से आयांशी का फोन हाथ से छूटकर जमीन पर गिर जाता हैं। आयांशी जल्दी से फोन जमीन से उठाती है तो वो देखती है कि उसका फोन जमीन पर गिरने की वजह से टूट गया हैं। आयांशी ये देखकर उस लड़के पर बहुत गुस्सा हो जाती हैं। आयांशी उस लड़के पर भड़कते हुए- आपको दिखाई नहीं देता है क्या कि सामने कोई आ रहा है या नहीं?? आपकी वज़ह से मेरा फोन टूट गया है। यह बोलकर आयांशी उस लड़के की आँखों पर लगा काला चश्मा निकालकर गुस्से में ज़मीन पर पट़क देती है और उस लड़के को एक थप्पड़ मार देती है। यह सब शोर सुनकर कैन्टिन में बैठे प्रीत, विजय और वियांशी कैन्टिन से बाहर आ जाते हैं। वे तीनों बाहर का नजा़रा देखकर शोक्ड़ हो जाते हैं। आयांशी उस लड़के को कुछ बोलने ही वाली थी कि तभी प्रीत के मुँह से निकल जाता हैं- सम्राट भाईसाहब।।। यह सुनकर आयांशी एक कन्फ्यूज्ड़ नज़र से प्रीत की तरफ देखने लगती है और उससे बोलती हैं- यह है आपके सम्राट भाईसाहब??? तभी प्रीत आयांशी की बात में हामी भरती हैं। यह सुनकर आयांशी जोर से हँस देती है और विजय की तरफ देखकर बोलती हैं- विजय, ये है आपके वो सम्राट भाईसाहब जिनका नाम सुनकर आप इतने ड़रते हो। यह कहकर आयांशी फिर से एक बार हँसने लग जाती हैं।आयांशी को ऐसे हँसते देख सम्राट के चेहरे पर एक स्माईल आ जाती हैं। सम्राट को ऐसे स्माईल करता देख विजय, प्रीत और वियांशी शोक्ड़ हो जाते है।।।।
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