पिछली कहानी में हमने पढा़ था कि आयांशी प्रीत को कॉल करके बताती है कि वो उससे मिलने आ रही हैं।यह सुनकर सम्राट के चेहरे पर डे़विल स्माईल आ जाती हैं।
अब आगे...........
सम्राट के जाने के एक घंटे बाद प्रीत को आयांशी का कॉल आता है और वो बताती है कि वो राजपुत विला पहुँचने ही वाली हैं। यह सुनकर प्रीत अपने कमरे से नीचे हॉल में आ जाती हैं। तभी उसे घर के बाहर किसी गाडी़ के आकर रुकने की आवाज आती है। वो आवाज सुनकर विजय, वियांशी और नैना जी भी अपने कमरे से नीचे हॉल में आ जाते हैं। तभी नैना जी देखती है कि एक लड़की उनके घर के अन्दर आ रही हैं।
तभी प्रीत- हाय आयांशी।
आयांशी- हाय प्रीत। और आकर प्रीत के गले लग जाती हैं।
तब नैना जी को पता चला कि यही है आयांशी। तभी आयांशी विजय और वियांशी को भी हाय बोलकर नैना जी के करीब आकर उनके पैर छूने लगती हैं। यह देखकर नैना जी आयांशी को आशीर्वाद देती हैं। तभी प्रीत नैना जी को आयांशी से इन्ट्रोड्यूज करवाती हैं।
नैना जी आयांशी से- आओ बेटा, यहाँ आकर बैठ जाओ।
फिर वो सब जाकर सोफे पर बैठ जाते है और सर्वेन्ट उनके लिए जल-पान की व्यवस्था करते हैं। वे सभी बातें कर ही रहे थे कि तभी विला के अन्दर सम्राट की एन्ट्री होती है पर वो उन सबको नजरअंदाज करके अपने कमरे में चला जाता हैं। सम्राट को ऐसे जाता देख आयांशी थोडा़ अजीब रिएक्ट करती हैं। तभी नैना जी के फोन पर Mr. राजपुत का कॉल आता है और वो बताते है कि उनके कुछ क्लाइंट्स उनके विला आ रहे है। और फिर कॉल कट कर देते हैं। नैना जी प्रीत को बताती है कि Mr. राजपुत अभी विला आ रहे हैं तो तुम लोग कमरे में चले जाओ।
प्रीत आयांशी से- आयांशी, चलो हम मेरे रुम में चलते है।
और वे सीढियाँ चढ़ने ही वाले थे कि तभी विजय को याद आता है कि उसे और वियांशी को तो एयरपोर्ट जाना है उनके कजिन को लेने। विजय और वियांशी एयरपोर्ट जाने के लिए निकल जाते है। प्रीत और आयांशी ऊपर वाले फ्लोर पर चली जाती हैं। आयांशी और प्रीत दोनों प्रीत के कमरे की तरफ जा ही रही थी कि तभी प्रीत को किसी का कॉल आता है तो वो आयांशी को उसके कमरे में जाने को बोलकर कॉल पर बात करती हुई चली जाती हैं। तभी आयांशी थोडी़ आगे जाकर अपने बाएँ तरफ एक कमरा देखती है तो वो उस कमरे का दरवाजा खोलकर अन्दर चली जाती है और दरवाजा बन्द कर देती हैं। तभी वो देखती है कि वो कमरा बहुत बडा़ था और उस कमरे में चारों तरफ अन्धेरा था। कमरे के अन्दर हल्की सी रोशनी आ रही थी जो उस कमरे की सुन्दरता को ओर बढा़ रही थी पर आयांशी को शायद वो अन्धेरा अच्छा नहीं लगा तो उसने कमरे के सारे पर्दे खोल देती है और पूरे कमरे में उजाला हो जाता हैं। तभी वो देखती है कि उस कमरे के अन्दर एक और बडा़ आलिशान दरवाजा है वो दरवाजे को खोलकर अन्दर जाती है और उस कमरे के लाईट चालू करती है तो सामने का नजा़रा देख उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती हैं।
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