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कोमल
अश्विन ने माया को गौर से देखते हुए कहा, “तुम्हारे पास किस चीज़ की कमी है, माया सिंघल, जो तुम्हें मुझसे कुछ चाहिए l” माया उसके करीब आई और उसके कान के पास फुसफुसाते हुए बोली, “तुम्हारी” और फिर यह कहते हुए वह उसके और करीब आई और उसके होंठों को चूमते हुए बोली, “मुझे लगता है कि तुम्हारे पास वो सब है जो तुम मुझे दे सकते होंI” यह कहते ही उसके हाथ अश्विन की बेल्ट पर चले गए तो वह उसका ईशारा समझते हुए बोला, “माया मैं काम के वक्त यह सब नहीं करताI” माया ने अब पीछे हटते हुए कहा, “तुम्हारा क्या भरोसा काम के बाद, तुम मुझे भूल जाओ या मुझसे पीछा छुड़वा लो I” “ भरोसा तो तुम्हारा भी नहीं है,” अश्विन ने उसे घूरते हुए कहा तो वह बोली, “जो माया ने कहती है वो करती भी है लेकिन तुम्हें भी मेरी बात माननी होगीI” माया के यह कहने पर अश्विन ने गुस्से में अपने बालों में हाथ फेरा और फिर माया की आँखों में देखने लगा जिसमे उसे सिर्फ मक्कारी ही नज़र आ रही हैI
अनुज ढाबे से खाना खाकर बुझे मन से वापिस घर की ओर आ रहा हैI कोमल के कहे शब्द अब भी उसके कानों में गूँज रहें हैंI उसका यह कहना कि उसने कोमल की ज़िन्दगी खराब कर दी, उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा हैI कभी यहीं कोमल उसे अपनी ज़िंदगी कहती थी और आज उस पर अपनी ज़िंदगी बर्बाद करने का इलज़ाम लगा रही हैI वैसे इसमें गलती उसकी भी है क्योंकि उसने उसे कुछ ज्यादा ही स्पेस दे दिया जिसकी वजह से वह यह सब सोचने लग गई और रही-सही कसर उसकी माँ ने पूरी कर दीI यह सब सोचते-सोचते वह घर पहुँचा तो देखा कि कोमल नहीं हैI उसने उसे फ़ोन लगाया तो उसका फ़ोन स्विच ऑफ जा रहा हैI अब उसने उसके भाई दिनेश को फ़ोन लगाकर बहाने से उसके बारे में पूछा तो उसने भी बताया कि कोमल यहाँ नहीं आई हैI अब अनुज का सिर घूमने लगा, वह भागता हुआ सोसाइटी के सिक्योरिटी गार्ड की तरफ गया और उससे पूछा तो उसने बताया कि उसने मैडम को यहाँ से बाहर जाते नहीं देखा, अब वह पूरी सोसाइटी में घूमा तो उसे सोसाइटी के अंदर बने पार्क में कोमल बेंच पर बैठी नज़र आईI उसे देखकर उसकी जान में जान आई और यह घीमे कदमों से उसके पास पहुँच गया और उसके पास बैठते हुए बोला,
“तुम यहाँ क्या कर रही हो? “
“मुझे अंदर घुटन हो रही थीI” उसने नरम आवाज में कहाI
अनुज ने उसे प्यार से देखा और उसका हाथ पकड़कर उसे उठाने लगा तो वह बोली,
“मेरा घर जाने का मन नहीं हैI”
“मैं वहाँ ले भी नहीं जा रहाI” उसने अब कोमल को अपनी गाड़ी में बिठाया और कुछ देर की ड्राइविंग के बाद, शिप्रा मॉल की पार्किंग में गाड़ी रोकते हुए कहा, “पहले डिनर कर लें, फिर मूवी देखते हैंI”
“लेकिन तुम तो खाना खाकर आये होंगेI” कोमल ने गाड़ी से उतरते हुए कहाI
“मेरा कुछ नॉनवेज खाने का मन था तो थोड़ा सा बाहर से खाकर आया हूँI” अब वह उसका हाथ पकड़कर मॉल के अंदर ले जाने लगा और फिर कुछ ही मिनटों में दोनों मॉल में बने एक रेस्ट्रा में घुस गए और कोमल के चेहरे पर मुस्कान आ गई, उसने उसके साथ वाली कुर्सी पर बैठते हुए कहा, “अच्छा है, तुमने आज यूनिफार्म नहीं पहनीI” “अश्विन की संगत का असर हैI” वह कोमल के हाथ को चूमते हुए बोला और तभी वे दोनों पास आये वेटर को खाना आर्डर करने लगें I
रेवा और रेहान भी रिसोर्ट में बने डाइनिंग टेबल पर डिनर का आनंद ले रहें हैंI अब रेवा ने बड़े मज़े से खाना खाते रेहान को घूरते हुए कहा,
“तुम मुझे उस समय बाहर क्यों ले गए I “
“क्योंकि मैं बात बिगाड़ना नहीं चाहता था I” रेहान ने उसे प्यार से देखते हुए जवाब दियाI
“चोर को चोर कहने में क्या बुराई हैI” रेवा ने मुँह बनाकर कहाI
“तुम उन्हें चोर नहीं कातिल कह रही थी और यह ठीक नहीं है, हम कोई पुलिस नहीं है, इसलिए जब तक वो लोग यहाँ है, उनकी हरकतों को इग्नोर करो क्योंकि कुछ दिन बाद तो वे यहाँ से चले जायेंगेI”
“पता नहीं, क्यों मुझे लगता है कि कोई बड़ी मुसीबत आने वाली हैI”
“मेरे होते हुए तुम्हें कोई मुसीबत छू भी नहीं सकतीI” उसने रेवा की आँखों में देखते हुए कहा तो रेवा ने भी उसकी आँखों में देखा जिसमे उसके लिए बेइंतहा प्यार है जो कभी नहीं खत्म होने वालाI
अश्विन ने अब माया को खींचकर गाड़ी की पिछली सीट पर धकेलते हुए कहा, “ अगर सम्राट को पकड़ने की मजबूरी ना होती तो तुम्हें अपने सर पर कभी सवार नहीं होने देताI” “इट्स ओके स्वीटहार्टI” यह कहकर माया ने उसके होंठ चूम लिए और फिर दोनों एक दूसरे के बदन से कपड़ों को अलग करने लगें और जब माया ने अश्विन की सेक्सी बॉडी को नज़र भरकर देखा तो खुद ही उस पर सवार होकर उसे चरम आनंद का एहसास देने लगी और फिर कुछ देर तक गाड़ी में दोनों की सांसे ऊपर-नीचे होती रही और यह सिलसिला करीब एक घंटा तक चला और उसके बाद अश्विन ने माया के ऊपर से हटते हुए कहा, “अब तुम्हारे मन की हो चुकी है तो अब चुपचाप फिर से अपने काम पर लग जाओI” माया ने भी अपने कपड़े पहनते हुए कहा, “ऑफ़कोर्स, मैंने कब मना किया” और फिर वापिस अश्विन की गाड़ी माया के बताये रास्ते पर चलने लगीI
कोमल और अनुज हॉल में बैठे एक अंग्रेजी फिल्म का आनंद ले रहें हैंI उसने अनुज ने कंधें पर सिर रखा हुआ है और अनुज ने भी प्यार से उसका हाथ थामा हुआ हैI अनुज को अब भी यकीन नहीं आ रहा कि जिस दिन की शुरूआत इतनी बेकार हुई थी उसका अंत अच्छा होने जा रहा हैI अब
माया ने अश्विन को एक गोदाम के पास गाड़ी रोकने के लिए कहा और फिर अश्विन के यह करते ही वह उसे अपने साथ लेकर अंदर आ गईI अंदर किसी को ना पाकर अश्विन ने उस पर चिल्लाते हुए कहा, “यहाँ तो कोई नहीं है,” अभी आ जायेंगाI अब अश्विन ने गुस्से में उसके बाल पकड़कर खींचे तो उसका मुँह पीछे की तरफ हो गया और माया के मुँह से एक आह निकली, “मेरे साथ कोई खेल-खेलने की कोशिश मत करना, वरना अच्छा नहीं होगाI” अब उसने उसे एक झटके से छोड़ा तो वह गिरते -गिरते बची, “बस यार!! हद हो गई, थोड़ा तो भरोसा करोI” उसके यह कहते ही उन्हें कुछ कदमों के अंदर आने की आवाज़ सुनाई दी तो वे दोनों चौंक गए, अब उन क़दमों के अंदर आते ही वो हुआ जिसकी अश्विन ने कभी कल्पना भी नहीं की थीI