जैसे ही मिन ने शाओबो के पापा की तरफ गुस्से में बंदूक उठाई, उस पल में बस बदले की आग जल रही थी। लेकिन उसी वक्त, शाओबो के पापा ने भी बंदूक निकाल ली और दोनों तरफ से गोली चल गई।
मिन की गोली ने सीधा निशाना साधा, लेकिन अचानक एक और गोली की आवाज़ आई — और वो सीधा शाओबो को जा लगी।
वो पल जैसे थम गया। शाओबो की चीख नहीं, बस उसकी देह लहूलुहान होती ज़मीन पर गिर गई।
"शाओबो!" मिन चीख पड़ा।
मिन के हाथ काँप रहे थे। आँखों में डर, पछतावा और ग़ुस्सा — सब एक साथ उमड़ आए थे। वो एक पल भी नहीं गँवाता। तुरन्त शाओबो को अपनी बाँहों में उठाया और गाड़ी की ओर दौड़ा।
“जिमी! सिमी! चलो जल्दी!” वह चिल्लाया।
जिमी ने गाड़ी स्टार्ट की, सिमी पीछे सीट पर शाओबो को सम्भाल रही थी। मिन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा — उसने शाओबो के पापा को वहीं छोड़ दिया। अब उसका मक़सद सिर्फ एक था — शाओबो को बचाना।
रास्ते में शाओबो की आँखें अधखुली थीं। होंठ काँप रहे थे। उसने दर्द भरी आवाज़ में कहा:
“मिन… मुझसे वादा करो… कि तुम अब कभी किसी से लड़ाई नहीं करोगे… और इस माफिया वाली ज़िंदगी को हमेशा के लिए छोड़ दोगे…”
मिन की आँखों में आँसू आ गए। उसने उसका हाथ थामते हुए कहा:
“मैं वादा करता हूँ… मैं ये सब छोड़ दूँगा… बस तुम हिम्मत मत हारो… तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगी…”
शाओबो हल्की-सी मुस्कराई, और बेहोश हो गई।
मिन के हाथों की पकड़ और मज़बूत हो गई थी। अब वो उसे किसी हाल में खोना नहीं चाहता था।
अस्पताल पहुँचते ही डॉक्टर उसे इमरजेंसी रूम में ले गए। मिन के हाथ काँप रहे थे, आँखों से आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। कुछ समय बाद डॉक्टर बाहर आई और हल्की मुस्कान के साथ कहा,
"परेशान मत होइए, अब वो बिल्कुल ठीक है।"
मिन ने राहत की साँस ली और तुरंत पूछा,
“क्या मैं उससे मिल सकता हूँ?”
“बिल्कुल,” डॉक्टर ने कहा।
जैसे ही मिन अंदर गया, शाओबो धीरे से मुस्कुराई। उसी समय जिमी और सिमी भी वहाँ पहुँच गए। सिमी पास बैठते हुए बोली,
“अब कैसा लग रहा है?”
शाओबो हल्के से हँसी और बोली, “मुझे क्या होगा, मैं तो फाइटर हूँ।”
सिमी ने मुस्कुराकर कहा, “वैसे तुम्हें ये जानकर अच्छा लगेगा कि तुम्हारा इलाज मैंने ही किया है। ये अस्पताल मेरा ही है।”
“ओह! वाकई?” शाओबो ने हैरानी से कहा।
वहीं दूसरी तरफ जिमी मिन से फुसफुसा कर पूछता है,
“क्या तुम्हें पूरा यकीन है कि वो... मर चुका है?”
मिन की आँखों में गंभीरता थी। उसने धीरे से कहा,
“मेरा निशाना कभी चूकता नहीं। वो गया।”
कुछ हफ्तों बाद...
सब कुछ बदल चुका था। दर्द अब बीते कल का हिस्सा बन चुका था। मिन ने अपनी पुरानी ज़िंदगी — हथियारों, बदले और नफ़रत से भरी दुनिया — को हमेशा के लिए छोड़ दिया था। अब वो सिर्फ एक सफल बिज़नेसमैन था।
जिमी भी अब आज़ाद था, और उसी की कंपनी में काम करता था। दोनों दोस्तों की ज़िंदगी फिर से रंगों से भर चुकी थी।
और आज... आज वो दिन था, जिसका हर किसी को बेसब्री से इंतज़ार था — शाओबो और मिन की, और जिमी और सिमी की शादी!
घर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया था। ढोल की थाप पर सब नाच रहे थे। हँसी-ठिठोली और हल्दी की रस्मों के बीच हर चेहरा चमक रहा था।
लेकिन तभी...
अचानक बिजली चली जाती है। अंधेरा छा जाता है। और तभी...
एक ज़ोरदार गोली चलने की आवाज़ गूंजती है।
लोग चीखने लगते हैं। दुल्हनों की हल्दी सूखी नहीं थी और किसी की जान पर बन आई थी।
आख़िर ये कौन था?
किस पर चली गोली?
क्या पुराना दुश्मन फिर लौट आया है?
जाने के लिए पढ़ते रहिए "Love or Love
Follow ज़रूर करें, और अगली कड़ी का इंतज़ार कीजिए!
Bye & Take Care!
Feedback bhi de dena yaar