Bazaar - 3 in Hindi Anything by Neeraj Sharma books and stories PDF | बाजार - 3

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बाजार - 3

बाजार -----3 सा एपिसोड

                             लिली ने बताया, " मैंने कितनी कहानियाँ लिखी हैं और कितने एपिसोड भी... " देव बहुत हर्षता से बोला, " बहुत ही सुंदर लिखा हैं... हाँ लिली तुम्हारी कोई हसरत तो होंगी। " देव ने सरसरी पूछा। " हाँ.. बताऊ सच्ची मे --" देव ने उसे जी भर कर देखा। " भागने की, चलने की, दूर दूर घूमने की... फिर वो जोर से हसी। इतना जोर से। " देव हैरानी मे मुस्करा उठा..

फिर वो  खूब रोयी... खूब जैसे कोई पत्थर का भार सीने से उतार रही हो। देव की भी आँख भर आयी। लिली एक दम से चुप कर गयी। देव को रोता देख। " कया हुआ, आप रोये कयो। "

तुम कयो रोयी... पहले आप बोलो... हाँ तुम मुझे देव कह लो। सच मे तुम मुझे बहुत अच्छी लगी लिली... बहुत साफ ईमानदार और दिल की साफ। " वो फिर हस पड़ी।

" आप ऐसा कयो कह रहे हैं, कही प्यार तो नहीं कर बैठे, मेरे सी लूली, लगड़ी से, मै अपाहज़ हूँ.. देव जी। " देव की आँखो से पानी वेह रहा था। " अरे तुम तो सच मे प्यार करने लगे हो। " लिली ने उसका सख्त हाथ थामते हुए कहा। उसकी नर्म उगलियों की छो ने जैसे उसे एक ठंडक दी हो... एक आकर्षण दिया हो.... उसने कहा " तुम कुमुदनी हो मेरी हो, आज से, हमेशा से..." कुछ रिश्ते ऐसे भी जुड़ते हैं... जिनका जिंदगी मे कभी तो इंतज़ार भी नहीं होता। कोई आएगा भी या नहीं।

दोनों चुप थे। और डूब गए थे गहरे सागर मे... आँखो मे। वो वील चेयर पर बैठी और कुछ देर के बाद दोनों घर के बाहर थे। " कुमुदनी आज से तुम्हे  यही नाम से ही बुलाऊंगा। " देव ने उसे घुमाते हुए एक पार्क की ओर रुख किया।

" हाँ देव, मैंने एक कहानी लिखी थी। " देव ने उसको आपनी बाहो मे उठाते उसके सडोल तन को महसूस किया, जैसे जनत उसकी ही हैं। उसके हाथों को गर्मी मिली थी.. सडोल शरीर का स्पर्श उसको एक नया अनुभव दें गया था... सीने से सीना लगा तो देव का शरीर एक दम से ठंडा सा पड़ गया था... वो सोच रहा था। प्यार यताने से प्यार पे एक अधिकार हो जाता हैं। कितना सकून  मिलता हैं, जिंदगी जैसे थम सी गयी लगती हैं, माया जी ने आपनी बेटी का मेरे हाथ मे पलू कैसे दें दिया, इतना यकीन... बापरे। कभी टूटने नहीं दुगा उसको, न माया के यकीन को..... अच्छे ससकार कहा मिलते हैं। शहर मे जरूरी नहीं, पथर दिल के लोग हो... मोम भी होते हैं ---- एक लम्मी सोच का प्रणाम निकाले था... देव।

                         उसे झूले मे बिठा कर झुटा दें रहा था।" कुमुदनी कया सोच रही हो।" देव ने थोड़ा सा झूले से हट कर कहा। उसने देव का सख्त हाथ चूमते हुए कहा... " देव तुम कहा थे.. बोलो भी कुछ... मुझे नहीं पता था कोई मुझ से कोई इतना प्यार करेगा... " लिली ने भरी आँखो को छलकाते जाम की तरा पूछा।

" कयो ऐसा, कयो सोचा तुमने ...  कुमुदनी बोलो " चुप सा देव उसे निहारे जाता था। 

"बस कया सोच भी नहीं सकती..." फिर वो मुस्करा पड़ी।

"कुमुदनी आज तुम मुझे साय काल पता कहानी सुनाओगी... " लिली मुस्करा दी थी, हाँ कयो नहीं।---" मोम बताती थी, तुम ऐक्टर बनने आये हो ---"  चुप था देव।

                 ( चलदा )            नीरज शर्मा 

पड़ी।