Bazaar - 10 in Hindi Anything by Neeraj Sharma books and stories PDF | बाजार - 10

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बाजार - 10

बाजार ... (10 )

                              तुम सत्य को कितना पीछे छोड़ सकते हो, पीछा छोड़ने के बाद, कया अल्फाज होंगे तुम्हारे। ज़िन्दगी सत्य और असत्य के बीच की कड़ी हैं।

                     एक वीक के बाद।

लिली चुप थी। आज बोली थी... " एक महीने से तुम मेरे पास ही हो, आपका देव क्रेज घट रहा हैं। " देव हस पड़ा...

"कुमुदनी जो इस संसार मे आया हैं, वो जायेगा अवश्य !!"

इस लिए वो रुक कर बोला, " फिल्मे तो साइन होती रहेगी। पर कुछ खुस चुके पल हम साथ नहीं ले सकते। "

"---हां, देव मै आपकी दीद करती हूँ, एक इज़्ज़त देती हूँ, आप जैसा प्यार मुझे पिछले जन्मों की बढ़ोतरी से ही मिला हैं। "  

चुप थी इसके बाद।

तभी -------------------------------!

एक लैंड लाइन पे फोन की घंटी वजी। टर्न... टर्न.... टर्न

"हैल्लो " देव ने फोन उठा लिया था... ये प्यारे लाल निर्देशक का फोन था। " देव जी साइन मेन्ट करेंगे। "  प्यारे लाल जी ने मीठे स्वर ने कहा था।

" मेरा काम ही साइन मेन्ट करना हैं, स्टोरी आप सुनाएंगे... " देव ने मुस्कराते हुए कहा।

"---हां, एक बात हैं, नयी एक्टिंरस रानी जो--- जो--इंडस्ट्री मे आयी हैं, उसे तुमने काबिल करना हैं।" निर्देशक प्यारे लाल ने कहा।

"हां ओके जी... कब मिलू आपको आ कर..." निर्देशक प्यारे लाल ने कहा।

"कभी भी ---"

शाम की धुप का साया पिछली बास्कीडोर पर था... जो आज कल कितने ही पेड़ो से उगी हुई थी... रास्ते थे उस और जाते कच्चे... बरसात मे चलना थोड़ा कठिन होता था, वहा पर। माया को दफन भी क्रिशिन असूल से वही दफन किया गया था। ये उनके परिवार की धरोहर थी। यहां जन्म और अंत का मासूमियत भरे अंतकरण थे। जैसे बास्कीडोर पिछोकड़ का कोई छूटा हुआ अध्यआये  हो। जिसको देव के सिवा कोई याद नहीं करना चाहता था।

                             कल बीत गया था। रात जैसे लम्मी हो... पता नहीं कयो लिली को कोई गर्म हवा भी लगने नहीं देना चाहता था, देव। माया से किये वादे उसे जिझोड़ देते थे।

तभी दरवाजे पर टिंगटोन हुआ... देव ने दरवाजा खोला।

ये निर्देशक प्यारे लाल थे। देव ने कहा, " आ  जाओ.. जनाब। " देव ने उससे कहा, " आप मुझे बुला लेते.. आप इतना कठिनता से आये हैं, आपनी उम्र पर ही गौर कर लीजिये सरकार... " निर्देशक ने सुना,   और जोर से हस पड़ा।  " ये उम्र भी बहुत कुछ सिखाये होती हैं... इसकी ललचारता की और कभी मत धयान दो... " निर्देशक ने उम्दा कहा था। लिली ने सुना तो मुस्करा कर कहा... " अंकल जी, ज़िन्दगी चलते का नाम हैं। " देव मुस्करा रहा था। पुष्पा को कहो, " दो गर्म गर्म कॉफी  पी जाये। "

लिली ने ऑडर दें दिया। " माया जी ने भी हीरा चुन कर रख दिया, वही क़ीमत आप लगाए। वाह माया जी वाह.."

निर्देशक ने चेयर पर चौकड़ी लगाते कहा। " कमबख्त ये घुटने "  प्यारे लाल ने कहा।

स्टोरी सुनने के बाद, कुछ फेर बदल कर दिया गया। डेट रख लीं गयी। उसमे रोल था देव नयी एक्ट्रेस का और  रोल मिल लिली को भी..... पर देव को ये पसंद नहीं था... चलो फिर भी उसने बर्दाश्त कर ही लिया था। ऐसे ही आपनी भी कुछ ज़िन्दगी की कड़िया हैं, जो चलती जाती हैं। किसी अजनबी का स्पर्श कभी कभी तूफान ला देता हैं... कयो होता हैं.. ऐसा सच मे।