कमरे में एक पल के लिए खामोशी छा गई। बाहर से कुत्तों के भौंकने की आवाज़ आ रही थी, जो इस घनी रात की निस्तब्धता को और भयानक बना रही थी।
गोदाम के एक कोने में एक आदमी खड़ा था, जो अब तक खामोश था। उसका नाम रफीक था, और वह इस मीटिंग में खासतौर पर बुलाया गया था। वह एक कातिल था, जिसने अब तक कई बड़े नामों को मौत के घाट उतारा था। उसने धीरे-धीरे सिगरेट का धुआँ छोड़ा और बोला,
"दानिश को खत्म करना आसान नहीं होगा। उसके पास ताकत है, पुलिस में उसके लोग हैं, और सबसे बड़ी बात – वह हर चाल को पहले से भाँप लेता है। अगर हमें उसे खत्म करना है, तो हमें किसी ऐसे को भेजना होगा, जिस पर उसे शक भी न हो।"
इकबाल ने उसकी तरफ देखा और धीरे से मुस्कुराया,
"हमारे पास वह आदमी है। एक ऐसा इंसान, जिसे दानिश अपना सबसे करीबी दोस्त समझता है।"
करीम ने चौंककर पूछा, "कौन?"
इकबाल ने टेबल के पास खड़े एक आदमी की तरफ इशारा किया। यह आदमी लंबा, गठीला और देखने में बेहद शांत था। उसकी आँखों में एक अजीब चमक थी।
"इमरान।"
कमरे में सभी ने इमरान की तरफ देखा। वह धीरे से मुस्कुराया और बोला,
"दानिश को खत्म करने का सही तरीका है उसे अंदर से तोड़ना। और यह काम मैं करूंगा। लेकिन याद रखना, अगर यह मिशन फेल हुआ, तो हम सबका अंजाम मौत होगा।"
कमरे में एक बार फिर खामोशी छा गई। पुराना पंखा धीमी आवाज़ में घूम रहा था, मानो वह भी इस साजिश का गवाह बनना चाहता हो।
रफीक ने धीरे से कहा, "अगर दानिश मरा, तो मुंबई का नया डॉन कौन होगा?"
इकबाल ने धीरे से कहा, "जो इसे अंजाम देगा, वही नया डॉन होगा।"
सबकी नजरें इमरान पर टिक गईं। गोदाम की टूटी हुई खिड़की से चाँद की हल्की रोशनी अंदर आ रही थी, और उस रोशनी में इमरान का चेहरा और भी रहस्यमयी लग रहा था।
उस रात, शहर के इस पुराने गोदाम में एक नई साजिश जन्म ले चुकी थी। डॉन के खिलाफ मौत का एक खेल शुरू होने वाला था।
खोया हुआ फोन
शनिवार का दिन था, और समीरा अपनी सहेलियों के साथ शॉपिंग मॉल में घूमने निकली थी। गर्मी अपने चरम पर थी, लेकिन मॉल के भीतर ठंडी हवा और खरीदारी का जुनून सबको तरोताजा कर रहा था। समीरा, रिया, और उनकी बाकी दोस्त अलग-अलग दुकानों में घूम-घूमकर कपड़े और जूते देख रही थीं। हर कोई अपने लिए कुछ न कुछ खरीदने के मूड में था।
"यार, ये ड्रेस कितनी प्यारी लग रही है!" समीरा ने एक लाल रंग की ड्रेस दिखाते हुए कहा।
"हां, लेकिन इसका दाम भी प्यारा नहीं है!" रिया ने हंसते हुए जवाब दिया।
सब सहेलियां खिलखिलाकर हंस पड़ीं। कुछ देर बाद, वे सभी आइसक्रीम पार्लर में बैठकर अपने-अपने पसंदीदा फ्लेवर्स का मजा लेने लगीं।
"मुझे तो चॉकलेट चिप बहुत पसंद है," रिया ने कहा।
"और मुझे बटरस्कॉच!" समीरा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
वे सभी हंसी-मजाक और बातें कर रही थीं फिर वो वहां से निकल गई दूसरी शाॅप पर, कि तभी समीरा ने अपने बैग में हाथ डाला और अचानक उसका चेहरा घबरा गया।
"गाइज, मेरा फोन कहां है?" समीरा ने घबराहट भरी आवाज़ में कहा।
"क्या? अभी तो तुम्हारे हाथ में था!" रिया ने चौकते हुए पूछा।
समीरा ने जल्दी-जल्दी अपना बैग टटोला, जेबें चेक कीं, लेकिन फोन कहीं नहीं मिला।
"अभी कुछ देर पहले तो था मेरे पास..." वह खुद से बड़बड़ाई।
"सोचो, आखिरी बार तुमने फोन कहां रखा था?" रिया ने चिंतित होते हुए पूछा।
"मुझे याद आ रहा है, जब हम आइसक्रीम पार्लर में थे, तब मैंने फोन टेबल पर रखा था!" समीरा की आँखें बड़ी हो गईं।
"तो जल्दी से वहां चलो! शायद वही छूट गया हो!" रिया ने कहा और सब लड़कियां जल्दी-जल्दी आइसक्रीम पार्लर की ओर बढ़ने लगीं।
समीरा के मन में अजीब सा डर बैठ गया था। अगर फोन नहीं मिला तो? उसकी घबराहट बढ़ती जा रही थी।
"अगर फोन खो गया तो नया फोन लेने के लिए ना जाने डैड कौन-कौन से एग्जाम पास करने को कहेंगे!" समीरा ने लगभग रोने जैसे स्वर में कहा।
"अरे, यार! तुझे तो हर बात में एग्जाम की टेंशन रहती है!" रिया ने हंसते हुए कहा।
"तू मेरे डैड को नहीं जानती, उन्हें लगता है कि हर समस्या का हल 'अच्छे नंबर' हैं!" समीरा ने गहरी सांस लेते हुए कहा।
"यार, तेरे डैड तो हिटलर हैं! अपने बच्चों के साथ इतनी सख्ती कौन करता है?" रिया ने मुँह बनाते हुए कहा। "मेरे डैड तो एकदम मोम जैसे हैं, मेरी एक बात पर सब मान जाते हैं।"
"ऐसा नहीं है, यार। वो हिटलर नहीं हैं, बस हिटलर बनने का नाटक करते हैं," समीरा ने गंभीर स्वर में कहा। "वो बस चाहते हैं कि मैं अपने पैरों पर खड़ी हो जाऊं।"
"तो क्या अपने पैरों पर खड़ा होना सिर्फ सख्ती से ही सीखा जा सकता है?" रिया ने चौंककर पूछा।
"पता नहीं... शायद हां, शायद नहीं। पर यही तरीका उन्होंने चुना है।"
इतने में वे आइसक्रीम पार्लर पहुंच गईं। समीरा ने फौरन उस टेबल की तरफ देखा जहां वे कुछ देर पहले बैठी थीं। उसकी धड़कन तेज हो गई थी।
"देखो इधर-उधर, शायद किसी ने काउंटर पर दे दिया हो!" रिया ने कहा।
समीरा ने काउंटर पर जाकर पूछा, "भैया, आपने कोई फोन देखा?"
कैशियर ने सिर हिलाया, "कैसा फोन था, मैडम?"
"ब्लैक कलर का, पीछे कवर पर एक छोटी सी स्टिकर लगी है!" समीरा ने जल्दी से कहा।
"ओह! हां, एक ग्राहक ने थोड़ी देर पहले हमें एक फोन दिया था। शायद वही हो!"
समीरा की आँखों में उम्मीद की चमक आ गई। कैशियर ने एक ड्रॉअर से फोन निकाला और समीरा की ओर बढ़ाया।
"यही है!!" उसने खुशी से चिल्लाते हुए फोन पकड़ लिया।
"अरे वाह! मिल गया!" रिया ने राहत की सांस लेते हुए कहा।
समीरा ने जल्दी से फोन को चेक किया, स्क्रीन ऑन की, और उसने चैन की सांस ली।
"थैंक गॉड! नहीं तो मुझे हफ्तों तक पापा के लेक्चर्स सुनने पड़ते!" उसने मुस्कुराते हुए कहा।
"अब समझ आया कि तेरा फोन सिर्फ फोन नहीं था, बल्कि तेरी आज़ादी का पासपोर्ट भी था!" रिया ने मज़ाक किया।
सब सहेलियां हंस पड़ीं और मॉल में बाकी की शॉपिंग पूरी करने चल पड़ीं। अब समीरा के चेहरे पर डर नहीं, बल्कि सुकून था।
जोहरी कि शाॅप में डाॅन कि एन्ट्री,
शॉपिंग मॉल अपनी रौनक पर था। चारों ओर चमकती रोशनी, भीड़-भाड़ और हल्की-हल्की संगीत की धुन माहौल को और भी खुशनुमा बना रही थी। बड़ी-बड़ी दुकानों के शोकेस में सजी चीज़ें लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही थीं। मॉल के बीचों-बीच एक खूबसूरत फव्वारा था, जिसके चारों ओर लोग बैठकर आराम कर रहे थे।
मॉल के अंदर एक प्रसिद्ध जौहरी की दुकान थी, जिसका नाम "कृष्णा ज्वेलर्स" था। दुकान का दरवाजा कांच का था, जिस पर सुनहरे अक्षरों में नाम लिखा था। जैसे ही दरवाजा खुलता, हल्की सुगंध और अंदर की चमक-दमक ग्राहकों को अपनी ओर खींच लेती। दुकान के अंदर कांच की अलमारियों में हीरे और सोने के गहने सजे हुए थे, जो रोशनी में झिलमिला रहे थे।
एक कोने में बैठा जौहरी एक ग्राहक को हीरे का एक खूबसूरत सेट दिखा रहा था। ग्राहक, जो एक संभ्रांत महिला थी, बेहद उत्सुकता से सेट को देख रही थी। जौहरी ने मुस्कुराते हुए कहा, "मैडम, यह सेट खासतौर पर हमारी नई कलेक्शन का हिस्सा है। इसके हीरे बेहतरीन कट और चमक के साथ तैयार किए गए हैं।"
जैसे ही महिला ने सेट को हाथ में लिया, उसकी आँखें चमक उठीं। वह नज़दीक लगे आईने के सामने गई और सेट को अपनी गर्दन पर रखकर देखने लगी। उसकी सहेलियाँ भी उसकी तारीफ करने लगीं।
"यह तो बहुत ही खूबसूरत है! बिल्कुल रॉयल लुक दे रहा है," महिला ने खुशी से कहा।
जौहरी ने थोड़ा और समझाते हुए कहा, "इस सेट में असली डायमंड हैं, और इसका डिज़ाइन बिल्कुल यूनिक है। यह आपके हर खास मौके को और भी यादगार बना देगा।"
महिला ने कुछ देर सोचा, फिर मुस्कुराते हुए कहा, "पैक कर दीजिए, यह मुझे ले जाना है!"
जौहरी ने सेट को बड़े एहतियात से एक सुंदर डिब्बे में रखा और महिला को सौंप दिया। मॉल में चहल-पहल बढ़ रही थी, और दूसरी ओर कई और ग्राहक दुकान में आकर गहनों को निहार रहे थे।