उपवन
सुहेल कैब से उतरा। उसने सामने देखा। मकान के गेट पर एक बोर्ड था। उस पर लिखा था 'उपवन'। वह गेट पर पहुँचा। उसने अपना परिचय दिया। गार्ड ने उसे अंदर जाने की इजाज़त दे दी। वह अंदर गया। एक हॉल में बहुत से बच्चे थे। उसने दूर से देखा। उसकी भाभी रोमाना उन छोटे छोटे बच्चों के बीच बहुत खुश दिख रही थी। पाँच साल पहले जिस ग़म में डूबी रोमाना को उसने देखा था वह वहाँ नहीं थी।
रोमाना की निगाह सुहेल पर पड़ी तो वह उसके पास जाकर बोली,
"अाओ सुहेल.... तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी।"
सुहेल ने चारों तरफ देखते हुए कहा,
"आपने तो बहुत अच्छा सेट कर लिया है।"
रोमाना ने अपनी सहायक को कुछ निर्देश दिए। उसके बाद सुहेल को लेकर अपने ऑफिस में चली गई। उसे बैठाते हुए कहा,
"सुबह तुम्हारा फोन आया कि भारत आ गए हो। मिलना चाहते हो। बहुत खुशी हुई। कब आए ? अब यहीं रहोगे या वापस जाओगे ?"
"हफ्ते भर पहले आया। यहाँ कुछ काम था। अभी कुछ तय नहीं है कि रुकना है या जाना है। हालांकि अम्मी का कहना है कि अब यहीं रहो।"
रोमाना ने कहा,
"तो यहीं रह जाओ। तुम तो अपना काम शुरू करना चाहते हो। यहीं कर लो।"
सुहेल मुस्कुरा दिया। रोमाना में आए बदलाव से वह आश्चर्यचकित था। उसने फोन पर बदलाव के बारे में सुना था। पर जिस हालत में रोमाना को छोड़कर गया था इस बदलाव की उम्मीद नहीं थी। जब वह अमेरिका गया था तब रोमाना में जीने की इच्छा ही नहीं बची थी। आज वह बहुत संतुष्ट लग रही थी। उसने रोमाना से कहा,
"भाभी आपको देख कर बहुत खुशी हुई। आप उस हादसे को भुला कर ज़िंदगी में आगे बढ़ गईं।"
रोमाना ने कहा,
"आगे बढ़ना ही तो ज़िंदगी है।"
सुहेल इस बदलाव के बारे में जानना चाहता था। तभी एक दंपत्ति अपने बच्चे के दाखिले के बारे में पूछताछ करने आ गए। रोमाना ने सुहेल से वेटिंग एरिया में बैठने को कहा। रोमाना दंपति से बात करने लगी।
वेटिंग एरिया में बैठा सुहेल अतीत के बारे में सोचने लगा।
वह बहुत खुश था जब उसे पता चला था कि वह चाचा बनने वाला है। अपने चचाज़ात भाई अशरफ को वह बहुत प्यार करता था। जब से अशरफ भाई का निकाह रोमाना भाभी से हुआ था तब से उनकी ज़िंदगी में जैसे हमेशा के लिए बहार आ गई थी।
रोमाना एक स्कूल में अंग्रेज़ी की टीचर थी। उसका सातवां महीना चल रहा था। घर पर सभी का कहना था कि वह अब छुट्टी ले ले। यदि छुट्टी ना मिले तो नौकरी छोड़ दे। रोमाना दोनों ही बातें नहीं करना चाहती थी। उसने समझाया कि इस स्थिति में कई औरतें आखिरी वक्त तक काम करती हैं। उसके पास तो अभी दो महीने हैं। रोमाना ने स्कूल जाना जारी रखा।
रोमाना की ज़िद देख कर घरवालों ने उसे स्कूल छोड़ने तथा लाने के लिए ड्राइवर की व्यवस्था कर दी। एक दिन जब वह स्कूल जा रही थी तो सामने से आती एक टेम्पो ने टक्कर मार दी। रोमाना बुरी तरह घायल हो गई। उसे अस्पताल ले जाया गया। वह बच गई किंतु उसका बच्चा मर गया। डॉक्टर ने एक और बुरी खबर सुनाई। रोमाना फिर कभी माँ नहीं बन सकती थी।
सभी पर जैसे दुख का पहाड़ टूट गया। लेकिन रोमाना गहरे सदमे में चली गई। सबने पूरी कोशिश की कि वह इस ग़म से बाहर आ सके। लेकिन सारी कोशिशें बेकार साबित हुईं। सुहेल अपनी आगे की पढ़ाई के लिए यूएस चला गया। फिर वहीं नौकरी करने लगा।
सुहेल ने सुना तो था कि रोमाना भाभी ने स्पेशल बच्चों का स्कूल खोला है। अब वह अपने दुख से उबर चुकी हैं। लेकिन यह कैसे हुआ उसे नहीं पता था।
कुछ देर में रोमाना उसके पास आई। साथ में मेड एक ट्रे लेकर आई थी। चाय के साथ सुहेल के मनपसंद समोसे भी थे। रोमाना ने बैठते हुए पूछा,
"तो अभी भी मेरी पसंद से निकाह करोगे या कोई ढूंढ़ ली यूएस में।"
रोमाना की बात का जवाब देने की जगह सुहेल ने हाथ उठा कर खुदा का शुक्रिया किया। उसने कहा,
"अल्लाह की रहमत है भाभी। आपको फिर से पुराने अंदाज़ में देखकर दिल को बहुत सुकून मिला। बताइए ना भाभी यह कमाल कैसे हुआ?"
समोसे की प्लेट उसकी तरफ बढ़ा कर रोमाना ने उसे अपनी कहानी बताना शुरू किया।
रोमाना दिन पर दिन अपने दर्द में डूबी जा रही थी। डॉक्टर का कहना था कि यह उनकी मानसिक दशा के लिए ठीक नहीं है। सब परेशान थे कि क्या करें। कोई भी उपाय काम नहीं आ रहा था।
फहीम मियां कई सालों से अशरफ के पारिवारिक बिज़नेस में काम कर रहे थे। वह परिवार के सदस्य जैसे ही हो गए थे। उनका सात साल का पोता रेहान डाउन सिंड्रोम से ग्रसित था। एक बार वह उसे लेकर घर आए। जब वह बातें कर रहे थे तब रेहान उठ कर रोमाना के कमरे में चला गया। जब सब उसे ढूंढ़ते हुए रोमाना के कमरे में पहुँचे तो पाया कि रोमाना उसे गोद में बैठा कर प्यार कर रही है।
यह एक सुखद बदलाव था। अब तो रेहान रोज़ घर आने लगा। उसके साथ वक्त बिताते हुए रोमाना सामान्य होने लगी। कुछ ही समय में रोमाना पूरी तरह ठीक हो गई। लेकिन उसने रेहान के साथ वक्त बिताना जारी रखा। रोमाना के प्यार भरे बर्ताव से रेहान में भी बहुत से बदलाव आए थे। वह बहुत कुछ सीख रहा था।
रोमाना अब अपने दुख से उबर चुकी थी। वह जीवन में आगे बढ़ना चाहती थी। उसने रेहान जैसे बच्चों के लिए कुछ करने का मन बनाया। स्पेशल एजुकेटर के तौर पर स्वयं को शिक्षित किया। सारी प्रक्रियाएं पूरा करने के बाद यह स्कूल खोल लिया 'उपवन'।
अपनी कहानी बताने के बाद रोमाना ने कहा,
"सुहेल अल्लाह अगर हमें मुश्किल में डालता है तो उससे निकलने की राह भी दिखाता है। अल्लाह ने मुझे भंवर से निकाल कर एक नई उम्मीद दी। मैंने अपने आप को दूसरों की सेवा में लगा दिया। अब इन बच्चों के साथ मैं बहुत खुश रहती हूँ।"
उसकी बात सुन कर सुहेल बोला,
"सही कहा भाभी। पर कभी भी खुद के माँ ना बनने का अफसोस नहीं होता है।"
रोमाना कुछ सोच कर बोली,
"माँ होना क्या होता है सुहेल ? अपने प्यार और ममता की छांव देकर कोमल कली के समान बच्चों को खिल कर फूल बनने में मदद करना। मेरे इस उपवन में मैं भी यही करती हूँ। मैं इन सबकी माँ हूँ।"
कहते हुए रोमाना की आँखों में ममता का सागर हिलोरे मार रहा था।