Kurbaan Hua - Chapter 3 in Hindi Love Stories by Sunita books and stories PDF | Kurbaan Hua - Chapter 3

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Kurbaan Hua - Chapter 3

और फिर लडका सनजना को उठा कर बाथरूम में ले जाकर सीधे पानी से भरे बाथटब में गिरा देता है | बाथटब में ठंडा पानी था वो ठंडा पानी जैसे ही सनजना के ऊपर पडा उसका आधा नशा उतर चुका था | उसने तभी लडके को सामने खडे देखा, वो लडका सनजना को उठा कर शावर के नीचे ले जाकर खड़ा कर देता है |  सनजना बूदबूदाते हुए बोली कि, छोडो़, 

लेकिन लडका जब सनजना को शावर के नीचे लेकर खड़ा हो गया तभी उसने शावर ऑन कर दिया | शार का ठंडा पानी सनजना और लडके के ऊपर पडने लगा | दोनों के शरीर पर जैसे जैसे वो ठंडा पानी पडने लगा वो एक दूसरे की ओर देखने लगे | इसी के साथ सनजना को जब पुरी तरह से होश आया तो उसकी आंखे हैरानी से बडी हो गई ये देख कि वो शावर में किसी अंजान लडके के साथ भीग रही थी उसके कदम जैसे ही लडखडाए तो वैसे ही लडके ने उसे अपनी बाहों में पड लिया | सनजना कसमसाने  लगी और बोली, लिव मी, 

जिसके बाद लडके ने सनजना को अपनी बाहों में और जोर से कसते हुए कहा, डार्लिंग थोड़ी देर पहले तक तो मेरे करीब आने के लिए पागल हो रही थी और अब ये क्या | तुम्हें क्या लगता है यहां मैं तुम्हें तुम्हारी मर्जी चलने के लिए लाया हूं | तो तुम बहोत गलत सोच रही हो | 

लडका ज्ब्दस्ती सनजना को किस करने की कोशिश करने लगा सनजना अपने पुरे होश में थी इसलिए वो लडके को खुद से दूर धकेल ने लगी थी | लेकिन उस लडके कि ताकत के आगे वो नाकाम थी | सनजना हारने लगी थी, उसने कहा, पीलिज छोड दो मैं तो तुम्हें जानती भी नहीं हूं आखिर मैंने तुम्हारा क्या बिगाडा है | 

इतना सून लडके ने गुस्से से सनजना का जबड़ा जोर से पकड़ कहा  , नफरत है मुझे तुम से समझी | मैं तुम्हें बर्बाद कर दूगां कही का नहीं छोडूगा | खून के आंसू रोने के लिए तैयार हो जाओ | बेबी गर्ल , 

और फिर वो बाथरूम से बाहर चला गया | 

बार्थरूम में ठंडे पानी की धाराएं अब भी गिर रही थीं, और सनजना कांपती हुई वहीं बैठी थी। उसका मन उलझा हुआ था—कुछ ही पलों में उसकी ज़िंदगी का रुख बदल गया था। वो सोच भी नहीं सकती थी कि जिस लड़के ने उसे बचाया, वही उसे कैदी बना लेगा।

वो खुद को संभालती हुई उठी, भीगे कपड़े शरीर से चिपके हुए थे। जैसे ही वो बाहर निकली, हर्षवर्धन को दरवाजे पर खड़ा पाया। उसकी गहरी निगाहें सनजना पर जमी थीं।

"हटो मेरे रास्ते से!" सनजना गुस्से से बोली।

हर्षवर्धन हल्की मुस्कान के साथ बोला, "तुम अब से मेरी कैदी हो, और कैदी भागते नहीं, समझी?"

सनजना ने उसकी शर्ट का कॉलर पकड़ लिया, "हाउ डेयर यू! तुम मुझे जबरदस्ती यहाँ नहीं रख सकते।"

हर्षवर्धन ने झटके से उसकी हथेलियों को अपनी गिरफ़्त में ले लिया और धीरे-धीरे उसकी पीठ के पीछे मोड़ दिया। सनजना दर्द से कराह उठी।

"ये तो सिर्फ़ शुरुआत है, डार्लिंग! आगे देखो, तुम्हारी ज़िंदगी कैसे बदलने वाली है।"

सनजना की आँखों में आँसू आ गए। "क्यों कर रहे हो ये सब? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?"

हर्षवर्धन ने उसे छोड़ दिया और एक पल के लिए शांत होकर उसे देखने लगा। उसकी आँखों में कुछ ऐसा था जो गुस्से से ज्यादा तकलीफ़ भरा लग रहा था।

"क्योंकि नफरत है मुझे तुमसे!" हर्षवर्धन ने एक सख्त लहजे में कहा।

सनजना ने घूरकर उसकी ओर देखा। "तुम्हारी नफरत में ये कैसा जुनून है? अगर नफरत करते हो तो दूर रहो, मुझे अपनी ज़िंदगी जीने दो!"

हर्षवर्धन ने एक गहरी सांस ली और उसके चेहरे के करीब आ गया। उसकी गर्म साँसें सनजना के चेहरे से टकराने लगीं। "काश तुम समझ पाती कि नफरत और मोहब्बत के बीच सिर्फ़ एक बारीक़ लकीर होती है।"

सनजना का दिल तेजी से धड़कने लगा। "क्या बकवास कर रहे हो? मुझे जाने दो!"