TOOTE HUE DILON KA ASHPATAAL - 6 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | टूटे हुए दिलो का अश्पताल - 6

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टूटे हुए दिलो का अश्पताल - 6

एपिसोड 6 – अतीत के ज़ख्म और एक नई साज़िश


अस्पताल की सफेद दीवारों के पीछे छिपे थे कुछ काले राज़… आदित्य की ज़िंदगी में आया एक चेहरा, जिसने उसके पुराने घाव फिर से हरे कर दिए। भावेश, एक ऐसा नाम जो सिर्फ अतीत तक सीमित रहना चाहिए था, आज उसके सामने खड़ा था, मुस्कुराता हुआ… मगर उसकी मुस्कान के पीछे कुछ ऐसा था जो आदित्य को बेचैन कर रहा था।



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भावेश की एंट्री – एक भूला नहीं हुआ अतीत


आदित्य अपने केबिन में मरीजों की रिपोर्ट देख रहा था कि अचानक दरवाज़े पर दस्तक हुई।


"आ जाओ," उसने बिना देखे कहा।


दरवाज़ा खुला और जिस पल उसने चेहरा ऊपर उठाया, उसकी सांसें जैसे थम गईं। भावेश!


आदित्य की आँखों में एक पल के लिए आश्चर्य आया, फिर गुस्से की लहर दौड़ गई।


"तुम?"


भावेश हौले से मुस्कुराया, जैसे ये आम मुलाकात हो। "कैसे हो, डॉक्टर आदित्य?"


आदित्य की मुट्ठियाँ भींच गईं। उसकी आँखों में अब नफरत थी। "तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"


"इतने सालों बाद मिला और यही सवाल?" भावेश ने ठहाका लगाया, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सी चालाकी झलक रही थी।


"मुझे यहाँ देख कर अच्छा नहीं लगा?"


"बिलकुल नहीं!" आदित्य की आवाज़ सख्त थी। "मुझे उम्मीद थी कि तुम अपनी ज़िंदगी कहीं और बर्बाद कर रहे होंगे।"


भावेश ने कमरे के चारों तरफ देखा, फिर मुस्कुराया। "बर्बादी? अरे दोस्त, मैंने तो अपने तरीके से अपनी ज़िंदगी बना ली। लेकिन क्या तुम अब भी मुझे दोस्त समझते हो?"


"हम दोस्त थे, भावेश। अब नहीं।"



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फ्लैशबैक – एक दोस्ती जो टूट गई


कुछ साल पहले, आदित्य और भावेश सिर्फ दोस्त नहीं, भाई जैसे थे। मेडिकल कॉलेज के हर कोने में उनकी दोस्ती की मिसाल दी जाती थी। दोनों साथ पढ़ते, साथ सपने देखते… लेकिन फिर एक हादसे ने सब कुछ बदल दिया।


कॉलेज के आखिरी साल में, एक मरीज की गलत सर्जरी हो गई थी, जिससे उसकी जान चली गई। जाँच में पता चला कि यह गलती भावेश की थी, लेकिन उसने अपनी गलती को छुपाने के लिए सारा इल्ज़ाम आदित्य पर मढ़ दिया।


"मैंने तुम्हें अपना भाई माना था, लेकिन तुमने मेरे करियर और ज़िंदगी को दांव पर लगा दिया।"


"जो बीत गया, उसे भूल जाओ, आदित्य। आखिर में तुम्हें ही क्लीन चिट मिल गई थी, ना?"


"लेकिन तुम्हारी वजह से मुझे बहुत कुछ सहना पड़ा। और अब तुम मेरे ही अस्पताल में?"


"इस बार, मैं सिर्फ तुम्हें देखूंगा नहीं… बल्कि तुम्हारे खेल का हिस्सा भी बनूंगा।"



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भावेश का असली इरादा?


आदित्य की आँखों में आग जल रही थी।


"मैं नहीं जानता तुम यहाँ क्यों आए हो, लेकिन एक बात साफ़ है – मैं तुम्हें अपने आसपास भी नहीं देखना चाहता।"


भावेश ने मुस्कान के साथ कहा, "तुम चाहो या न चाहो, आदित्य… मैं यहीं रहूंगा। और इस बार, तुम देखोगे कि जो मैं चाहता हूँ, वो कैसे होता है।"


आदित्य का दिल तेज़ी से धड़क रहा था।


क्या भावेश अपनी पुरानी नफरत निकालने आया था?

क्या वह फिर से आदित्य को किसी मुसीबत में फँसाने वाला था?

या फिर उसकी इस बार कोई और ही चाल थी?


अस्पताल की दीवारों के पीछे एक नई जंग शुरू हो चुकी थी… और इस बार दांव पर था आदित्य का पूरा करियर।



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(अगले एपिसोड में जारी…)


इस एपिसोड में:


भावेश की धमाकेदार एंट्री


आदित्य और भावेश का आमना-सामना


उनकी टूटी हुई दोस्ती का सच


भावेश की रहस्यमयी बातें – वह क्या चाहता है?



अब अगले एपिसोड में: