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सुना है बहुत बारिश हो रही है तुम्हारे शहर में :) ज्यादा भीगना Mat गलत फहमियां धूल गई To हम बहुत याद आएंगे..!!!
शायद मेरी बातों में कोई कसूर रह गया, या मेरी खामोशी में कोई गुरूर रह गया। दिल तो आज भी तुम्हें याद करता है बहुत, मगर अब लगता है इज़हार अधूरा रह गया। अगर कभी लगे कि मैंने दिल दुखाया है तुम्हारा, तो ये समझ लेना... हर लफ्ज़ में नाम था सिर्फ तुम्हारा। माफ़ कर दो अगर भूल हो गई हो मुझसे, एक "Hi" ही काफी है, सब पहले जैसा हो जाएगा फिर से।
"इश्क़ में गड़बड़ है!" 🤣 तुझसे इश्क़ किया तो पेट में तितलियाँ नहीं, सीधा भूख लगने लगी! तू दिखे तो दिल नहीं धड़कता, Wi-Fi की तरह सिग्नल आने लगता है! 😜 तू जब भी बात करती है, लगता है तेरे लफ़्ज़ों में कोई जादू है... पर जब चुप होती है तो लगता है नेटवर्क इशू है! 😂 तेरे प्यार में हमने सबकुछ छोड़ दिया — नींद, चैन, भूख, प्यास… अब बस तुझे छोड़ना बाकी है! 🤣❤️
🤣 "प्यार की EMI" 🤣 तेरे इश्क़ में हम इतने डूब गए, कि खुद को ही भूल गए। अब हालत ऐसी है कि — Recharge खुद का नहीं होता, और तुझे iPhone चाहिए! 📱😅 तू कहती है रोज़ डेट पर चलो, मैं कहता हूँ — “पहले प्लेट तो भरवाओ मैडम!” 🍽️ तेरे नखरे देख के तो अब ये लगता है, मुझसे शादी नहीं, लोन लेना चाहती हो! 💸😂 प्यार तुझसे अब भी है बेहिसाब, बस तू थोड़ा कम खर्चा किया कर जनाब। वरना दिल से ज़्यादा पॉकेट टूट जाएगा, और फिर तुझे भी छोड़ के किसी "सेल" में भाग जाएगा!" 🏃♂️💨🤣
💔 "वो लड़की जो हमेशा ठीक होने का नाटक करती है…" (दिल को चीर देने वाली एक गहरी कविता) वो लड़की... जो हर सुबह आइने में खुद को देखती है, मुस्कुराती है... जैसे कह रही हो – "मैं ठीक हूँ, आज भी जिंदा हूँ..." पर उसी आईने में छुपे आँसू कोई नहीं देखता, क्योंकि वहाँ दर्द नहीं दिखता, बस मेकअप की परतें होती हैं। वो लड़की… जो सबकी बात सुनती है, सबका दर्द बाँट लेती है, पर जब खुद अकेले होती है, तो तकिए से लिपटकर रोती है, जैसे खुद को माफ़ नहीं कर पा रही हो कि वो इतनी “कमज़ोर” क्यों महसूस कर रही है। कभी स्कूल में टॉप करने वाली लड़की, आज खुद से हारती जा रही है। जिसके सपनों में रंग थे, आज उन्हीं रंगों से आँखें जल रही हैं। वो लड़की जिसे "बहुत समझदार" कहा गया, कभी किसी को तकलीफ़ ना हो, इसलिए हर तकलीफ़ खुद में समेट ली। जो हर बार "ना" कहना चाहती थी, पर हर बार "हाँ, मैं संभाल लूँगी" कहकर खुद को खोती रही। उसे डर है — कहीं किसी को लग न जाए कि वो "कमज़ोर" है, इसलिए वो मुस्कुराती रही, सबसे बोलती रही, और खुद से दूर होती रही। --- 🥀 कुछ दर्द शब्दों से भी नहीं निकलते… उसकी डायरी में कुछ अधूरी कविताएँ हैं, कुछ फाड़ दिए गए ख़त, और कुछ सपने… जिन्हें उसने दूसरों के लिए छोड़ दिया। हर रात सोने से पहले वो खुद को एक वादा करती है — "कल से खुद के लिए जिऊँगी..." पर अगली सुबह फिर वही दुनिया, वही ज़िम्मेदारियाँ, वही अकेलापन… --- 🌅 और अब एक धीमी सी उम्मीद… पर एक दिन… वो लड़की खुद को माफ़ कर पाएगी, वो कह पाएगी — "मैं थकी हूँ, और मुझे थाम लो..." और कोई उसे गले लगाकर कहेगा — "अब तुम बस जी लो, दुनिया से नहीं, खुद से प्यार करो…"
"अधूरी नींदों वाला लड़का" वो जो हँसता है भीड़ में, अंदर से हर रोज़ थोड़ा और टूटता है। जिसे सब मज़बूत समझते हैं, असल में वो ही सबसे ज़्यादा रोता है। सुबह उठकर वही चाय, वही सोच, आज कुछ बदल जाएगा… शायद। माँ की दवाई, बहन की फीस, खुद के ख्वाबों को फिर पीछे छोड़ आया है। वो लड़का अधूरी नींदों में भी सपनों का हिसाब रखता है। जो "ठीक हूँ" बोल देता है हर किसी को, पर खुद से कह नहीं पाता कि वो ठीक नहीं है। बचपन में पापा की डाँट झेल ली, जवानी में दुनिया की बातें। कंधों पर घर का भार लिए, सपनों को तकिये के नीचे दबा आया है। वो लड़का… जिसने कभी किसी से कुछ नहीं माँगा, बस वक़्त और समझदारी की तलाश में हर रात खुद को समझाया है। लेकिन क्या तुमने कभी पूछा? उसकी आँखों के पीछे क्या जलता है? वो जो सबसे ज़्यादा मुस्कुराता है, असल में वही सबसे ज़्यादा अकेला रहता है। --- आखिरी पंक्तियाँ (उम्मीद के साथ): पर एक दिन आएगा… जब उसकी कहानी भी सुनी जाएगी, वो लड़का भी एक दिन खुद को गले लगा पाएगा।
वो लड़का हँसता है… पर हँसी में दर्द छुपा होता है, हर मुस्कान के पीछे एक तूफान दफ़न होता है। लोग कहते हैं "मज़ाक मत कर यार", पर किसी ने उसके ज़ख़्मों को पढ़ा ही नहीं यार… घर जहाँ प्यार होना चाहिए था, वहाँ सिर्फ तानों की बारिश होती है। हर सुबह एक नया इल्ज़ाम मिलता है, हर रात सिसकियों में गुजरती है। "तू कुछ नहीं कर सकता", ये शब्द अब आदत बन गए हैं, जैसे दिल में किसी ने नाकामी की मुहर लगा दी है। माँ की गोद जो कभी जन्नत थी, आज वहाँ भी सवालों की तलवार चलती है। कोशिश करता है समझाने की… पर जब सुनने वाला ही न समझे, तो आवाज़ भी घुट जाती है। पलकों के नीचे समंदर छिपा है, पर कोई नहीं पूछता – "सब ठीक तो है ना बेटा?" वो अब रिश्तों से डरता है, प्यार से नहीं, उम्मीदों से डरता है। क्योंकि हर उम्मीद ने उसे गिराया है, और हर बार वो अकेले ही उठ पाया है। --- शब्दों से ज्यादा उसकी आँखें बोलती हैं, वो लड़का टूटा हुआ है… पर फिर भी सबसे मज़बूत है। 🖤🥀
🌙🤣 "गुड नाइट विद मज़ा!" 🤣🌙 चाँद बोला तारों से — चलो अब सोते हैं, नींद में ही सही… पर किसी के ख्वाबों में खोते हैं! तारे बोले — पहले उस बंदे को सुलाओ, जो मोबाइल लेके बिस्तर पर इंस्टा चलाता है और कहता है – 'नींद नहीं आ रही!' 😜📱 तकिया बोला — भाई ज़रा धीरे लेट, हर रात तू मुझे पंच मारता है जैसे मैं बॉक्सिंग बैग हूँ! 🥊😂 रजाई चिल्लाई — हद होती है आलसीपन की, AC ऑन करके फिर मुझे पकड़ते हो जैसे मैं ओलंपिक में दौड़ रही हूँ! 🏃♀️🛌🤣 तो अब मुबाइल रखो, आँखे बंद करो, और सपनों में आज मेरा ही चेहरा देखो — वरना वहां भी मैं आकर कहूंगा — "अबे सो जा!" 🤣😴 🌜Good Night! Sweet Dreams —
🌑 "छोटी सी उम्र थी… और जज़्बात बहुत बड़े थे…" छोटी ही उम्र थी… जब घर पीछे छूट गया, माँ की गोद, बाप की डांट… सब कुछ छूट गया। ना समझ आया कि दिल क्यों भारी है, बस इतना पता था — अब से ये दुनिया सारी है। स्कूल की घंटियाँ अब जिम्मेदारियों की आवाज़ बन गईं, और खिलौनों की जगह तन्हाईयाँ सज गईं। भूख लगी तो आँसू निगल गया, तकलीफ हुई तो खुद को ही दुआ में बदल गया। रातें लंबी थीं… और बिस्तर ठंडा था, सपनों से ज़्यादा डर बड़ा था। कभी किसी की छत के नीचे, तो कभी किसी सड़क के कोने में… खुद को सुलाया। लेकिन रुकना नहीं आया… टूटना भी सीखा, और खुद को जोड़ना भी। हर ज़ख्म को मुस्कान बना लिया, और हर हार को सीढ़ी बना लिया। आज जब आईने में खुद को देखता हूँ, तो उस मासूम चेहरे में एक फौलाद जैसा इंसान मुस्कुराता है… जिसे किसी ने नहीं बनाया… वो खुद ही खुद को गढ़ गया। --- 🖤 "कुछ लोग बचपन में खिलौने छोड़ते हैं, मैंने तो बचपन ही छोड़ दिया था…"
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