Shrapit ek Prem Kahaani - 16 in Hindi Spiritual Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | श्रापित एक प्रेम कहानी - 16

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 16

एकांश कहता है-----


एकांश :- अरे वाह शेम्पु समोसा लेकर आ गई वहां टेबल में रख दो । 


इतना बोलकर एकांश पिछे मुड़ता है। तो वृंदा को दैख कर वो घबरा जाता है और अपने हाथ से अपने छाती को ढकने लगता है ।


 एकांश हकला कर कहता है----



एकांश :- तू...तू...तू...तू...तुम..! तुम यहां कैसे ?



 वृंदा हंसती हुई बेड से चादर उठा कर एकांश को देता है और कहती है----- 



वृदां :- ये लो और ढक लो अपने नंगे सरिर को।


 एकांश बेड शीट लेता है और अपने शरीर को ढकने लगता है। वृंदा हंसती हुई कहती है--–


वृदां :- लड़का होके इतना शर्मा क्यूं रहे हो..? ऐसे कर रहे हो जैसे मैने तुम्हारा सबकुछ दैख लिया हो ।


एकांश कहता है।-----


एकांश :- तुम नॉक करके नही आ सकती। 


एकांश को देखकर वृंदा हंसने लगती है और कहती है ----


वृदां :- तुमतो लड़की की तरह सरमा रहे हो। 


एकांश कहता है----


एकांश :- इज्ज़त सबका होता है चाहे लड़की हो या लड़के का। 


वृंदा कहती है-----


वृदां :- तो मैं तुम्हारा इज्जत लुटने यहां नहीं आई हूं। मैं तो ये समोसा देने आई थी। मुझे कोई शौक नही है तुम्हारे इज्जत लुटने की ।


 एकांश अपने बदन पर लिपटी चादर को संभालते हूए कहता है ---

एकांश :- क्या ?  


वृदां :- कुछ नही , ये समसो लो ।



एकांश: - तो रख दो और जाओ यहां से।


 वृंदा कहती है----


वृदां हां तो रख रही हूं।


 वृंदा समोसा रख कर कहती है----


वृदां :! ये रहा..! अभी ये खा लेना। मैं बाद में तुम्हारी इज्जत लुटने आ जाऊंगी ।


 एकांश कहता है.. 


एकांश :;- " ठीक है...! 

एकांश फिर सौचता है :- " ये वृदां ने अभी क्या कहा ?


एकांश :- क...कक्क.....कक्क....क्या बोली। क्या कहा अभी तुमने।? 


वृंदा समझ जाता है के एकांश ने सुन लिया है तो वृदीं अपनी जीभ निकाल कर हंसती हुई वहां से चली जाती है।


एकांश कहता है ----

एकांश :- बाप रे , ये लड़की कही सच मे मेरा इज्जत ना लुट ले , संभल के बेटा एकांश , इससे तो संभल के ।



शाम हो चुकी थी और पार्टी भी सुरु हो चुका था। सबके हाथ में खाने का प्लेट था। इंद्रजीत एकांश को लेकर चट्टान सिंह और सोनाली के पास जाता है और कहता है-----



इंद्रजीत :- एकांश बेटा इन्हें पहचाना ? 

एकांश कुछ दैर सोचता है और फिर कहता है -----


" चट्टू अंकल और सोनाली चाची। 



चट्टान सिंह को चट्टू कहने पर सभी हंसने लगते हैं। सोनाली एकांश से कहती है----

" क्या बात है बेटा तुमने तो सबको झट से पहचान लिया।



 एकांश वृंदा की और देखता है जो एकांश से थोड़ी दूर में खड़ी थी। वृंदा भी एकांश को देखता है जिससे सोनाली नोटिस कर लेती है और कहती है----



एकांश बेटा तुम वृंदा से मिले की नहीं जाओ जाके निलो । 



एकांश कहता है-----

जी आंटी..



 इतना बोलकर एकांश वहां से वृंदा के पास जाने लगता है के तभी वहां चतुर, गुना और आलोक आ जाता है। एकांश वही उनलोगों के पास रुक जाता है और उन सबसे बात करने लग जाता है। जिसे देख कर वृंदा और सोनाली गुस्सा हो जाती है। तभी संपूर्णा वृंदा को कोनी मारते हुए कहती हैं----


यहां खड़ी खड़ी देखती रहेगी या भाई के पास जाएगी भी ? 



वृंदा कहती है----



 कक..कक..क्या मैं..! 




तभी संपूर्णा वृंदा को धक्का देकर एकांश के पास ले कर जाती है। वृंदा को देख कर हल्की मुस्कान के साथ कहता है----


 हाय...!



 वृंदा सरमा के कहती हैं----

 हैलो...! 



एकांश वृंदा की थाली दैख कर कहती है---


अरे वृंदा तुमने तो कुछ लिया ही नहीं है। 


एकांश वेटर को बुलाता है और खाना मंगता है। वृंदा एकांश को देखते रहती हैं । तभी गुना की नजर वृंदा पर जाता है जो बिना पलक झपकाये एकांश को देख रही थी। गुना चतुर के कान में बताता है और चतुर आलोक को बताता है। तीनो को फुसफुसाता देख एकांश कहता है----

ये क्या तुम लोग खुशूर फुसुर कर रहे हो। 


आलोक कहता है----


कुछ नहीं यार वो चतुर को जोर की लग गई है इसे बाथरूम जाना है।



 वृंदा और संपूर्णा अपनी नाक को दबाते हुए कहती है----



 छी....! 



चतुर गुस्से से आलोक की और देखता है। और सोचता है-----


 साला इसे मैं ही मिला था , बहाने बनाने को ।


 एकांश कहता है ----

तो इसमे क्या है। जाओ बाथरूम उधर है। 


गुना कहता है---- 

चलो अब ! नहीं तो कहीं पेंट खराब न हो जाए। 


चतुर अपना दांत चियारते हुए वहां से चला जाता है।
 अब एकांश और वृंदा वहां पर अकेली थी। वृंदा मन ही सोच रही थी के एकांश से क्या बात करे। तभी एकांश वृंदा से पुछता है----


 वृंदा तुम अब आगे की क्या सोच रही हो। मतलब तुम भी तो एक डॉक्टर हो। 


वृंदा कहती है----

 सोच रही हूं सहर में अपना एक अस्पताल खोलू। और तुम एकांश। ?? 


एकांश कहता है-----


मेरा क्या है पापा ने हॉस्पिटल बनवा रखी है जिससे मुझे गांव वालों की सेवा करनी है।



 वृंदा कहती है ----


वाह बहुत अच्छी बात है पर अगर तुम यहां रहेंगे तो मैं सहर में रहकर क्या करूंगी। 



एकांश कहता है----

क्या...क्या कहा तुमने? 


वृंदा बात को पलट कर कहती है----

 मैंने कहा लंदन में तो तुम्हारे बहुत सारे गर्ल फ्रेंड रहे होंगे?


 एकांश हंसकर कहता है----


क्या कहा गर्ल फ्रेंड? नहीं ... नहीं ... कोई नहीं थी। 


वृंदा कहती है ----

इतने अच्छे हो देखने तुम पर फिर भी !


 वृंदा कुछ सोचती है और कहती है ---
अच्छा अब समझी।


 एकांश पुछता है----

"" क्या समझ गई तुम ?

 वृंदा कहती है---

 यही के वहां गर्ल फ्रेंड की क्या जरूरत है। वहां तो सब ऐसे ही चलता है।


 एकांश हंस के कहता है----

क्या....! तुम कहना क्या चाहती हो के वहां सब चलता है । 

वृंदा कहती है---

 मतलब वही .. वो सब तो किए होंगे तुम़ने गौरी लड़कीयों के साथ। 


एकांश वृंदा की बात सुनकर हंसने लगता है और कहता है---

ये तुम क्या बोल रही हो। 


वृंदा एकांश के पास जा कर कहती है---

 किस तो किया होगा न तुमने---

 एकांश कहता है----

 नहीं रे बाबा ये सब नहीं किया अभी तक । लड़कियों ने कहां तो था बहोत बार , पर मन नहीं किया कभी। 


वृंदा कहती है---

 क्यू मन नहीं किया । 


एकांश कहता है----

 वो तुम नहीं समझोगी उसके लिए फिल चाहिए होता है। माना के वहां सब चलता है। पर वो फिल ..! वह किसी में वो महसूस नहीं हुई ।


 एकांश वृंदा के करीब आ कर पुछता है----

 क्या तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड था?


वृंदा कहती है। नहीं... मेरा कोई बॉय फ्रेंड नहीं था। 


एकांश कहता है ---- झूट...! 


वृंदा कहती है----

झूट क्यूं ..! तुमने कहा तो मैंने विश्वास किया ना। तो तुम क्यों नहीं कर सकते। मेरा सच में कोई लड़का दोस्त नहीं है और ना ही था था और हां मैंने वो सब भी किसी के साथ नहीं किया है।

 एकांश कहता है----

 मैंने तो तुमसे ये नहीं पूछा। 


वृंदा कहती है----

 मुझे लगा तुम पुछने वाले हो इसिलिए मैंने पहले ही बता दिया। 

एकांश और वृंदा को बात करते देख सब बहुत खूश होता है। सोनाली चट्टान सिंह से कहती है---

वृंदा और एकांश एक दूसरे के साथ कितने अच्छे हैं लग रहे हैं ना। 

चट्टान सिंह कहता है----

 क्या तुम इन दोनो की रिस्ते की बात तो नहीं कर रही हो।

 सोनाली कहती है---- 

बिलकुल सही समझे आप। 


आलोक गुना और चतुर को समझाकर आ रहा था के तभी वहां पर संपूर्णा के अचानक आ जाने से दोनो मे टकराव हो जाती है और आलोक संपूर्णा के उपर गिर जाता है और दोनो ही एक दुसरे को दैखने लगता है। 

संपूर्णा और आलोक दोनो की धड़कन बहुत तैज चलने लगी थी आलोक संपूर्णा के चेहरे पर से बाल को हटाने लगता है तभी अचानक हवेली में रोशनी चली जाती है। और पुरा हवेली में अंधेरा छा जाता है। अंधेरा होने पर इंद्रजीत गिरी को बुलाता है---

 गिरी.....गिरी.....! 


गिरी कहता है---

जी मलिक....! 


इंद्रजीत कहता है--- 

ये लाइट्स क्यू बंद हो गई। 

गिरी कहता है---

पता नहीं मालिक । में अभी जा कर देखता हूं। 


इतना कह कर गिरी चला जाता है । अंधेरा होने की वजह से संपूर्णा डर से आलोक को बाहों मे भर लेती है संपूर्णा के छुने से आलोक को भी अच्छा लगने लगती है और दोनो ही एक दुसरे पर खो जाता है । संपूर्णा और आलोक एक दुसरे को बचपन से ही जानते थे और दोनो एक ही कॉलेज मे पड़ते थे । संपूर्णा और आलोक एक दुसरे को पंसद तो करता है पर कभी एक दुसरे को बताया नही ।


To be continue......199