Balatkar ki saja sirf Mout - 8 in Hindi Thriller by S G Murthy books and stories PDF | बलात्कार की सजा सिर्फ मौत - भाग 8

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बलात्कार की सजा सिर्फ मौत - भाग 8

भाग 8:

पुलिस टीम चरवाहा के साथ घटना स्थल पर पहुंच जाती हैं, इंस्पेक्टर देखता है कि अक्षय की लाश बुरी तरह जल कर काली हो चुकी है, केवल 20 प्रतिशत भाग ही बचा हुआ था .....

पुलिस की गाड़ी को जंगल की ओर जाते देख कुछ और लोग भी घटना स्थल पर पहुंचने लगते है ।

कार का पिछला भाग भी बुरी तरह जल चुका था, केवल कार की जली हुई बॉडी दिखाई दे रही थी । पुलिस को गाड़ी का नंबर टीने के प्लेट पर embossed किया हुआ था, उसपर लगी पेंट जल गई थी, प्लेट कला पढ़ चुका था ।

इंस्पेक्टर, प्लेट को पोंछता है और उन पर उभरे नंबर को पढ़ने की कोशिश करता है,  कार का नंबर "OD18  B 0855" रहता हैं, इंस्पेक्टर इम्तिनान की सांस लेता है ।

मामले की गंभीरता को देखते हुए, इंस्पेक्टर, वहीं खड़े खड़े फोटो ग्राफर सहित, फोरेंसिक टीम और अन्य इन्वेस्टिगेशन टीम को आने के लिए इनफॉर्म कर देता है ।

इस बीच इंस्पेक्टर और उनके साथ आए हुई पुलिस घटना स्थल के आस पास का मुआयना करने में जुट जाती है, करीब एक किलोमीटर के दायरे के छपे छपे को छान मारती है, कहीं भी कोई संदिग्ध चीज नहीं मिलती।

केवल कार के पहियों के निशान, जो सड़क से घटना स्थल तक दिखाई देते है, इसके अलावा किसी के पैरों के निशान दिखाई नही पड़ते ।

दो घंटे बाद, एंबुलेंस, फोटोग्राफर फोरेंसिक टीम और इन्वेस्टिगेशन टीम घटना स्थल पर पहुंच जाती है, शाम ढल रही थी।

फोटो ग्राफर हर एंगल से फोटो खींचना शुरू कर देता है, जैसे जैसे उसे आदेश मिलता जाता, उसके हिसाब से फोटो खींचने लगता।

फोरेंशिक टीम सबूत इक्कट्टा करने के उद्देश्य से सैंपल एकत्र करने लगती है, इन्वेस्टिगेशन टीम भी एक्टिव हो जाती है। अंधेरा होने लगता है, जितने भी कार और दूसरी गाडियां थी, उसके हेड लाइट के प्रकाश में बाकी काम पूरा करने लगते है।

इंस्पेक्टर कार नंबर से कार के मालिक का पता लगाने के लिए रायगढ़ा आरटीओ से बात कर नंबर sms कर देता हैं, एक घंटे बाद आरटीओ इंस्पेक्टर को फोन करके मालिक का नाम, पता बता देता है, "अक्षय प्रजापति, 105 B, नेहरू नगर (पूर्व), रायगढ़ा"

सभी एजेंसियों का काम जब पूरा हो जाता है, तब चरवाहा के साथ साथ वहां आए हुए कुछ लोगों के सामने पुलिस वाले ड्राइविंग सीट में अक्षय की जली हुई लाश को हॉस्पिटल के वार्ड बॉय की सहायता से स्ट्रचर पर  निकाल कर नीचे रख देते हैं। पुलिस वाले पंचनामा और उपस्थित लोगों का बयान लेकर लाश को एंबुलेंस से पीएम (पोस्टमार्टम) कराने भेज देते हैं ।

उसके बाद, पुलिस वाले कार की जली हुई बॉडी को क्रेन के जरिए एक ट्रक में डाल कर पुलिस स्टेशन भिजवा देते हैं। इसके बाद सभी घटना स्थल से निकल जाते है, पुलिस की प्रक्रिया करीब तीन घण्टे चलती है।

इंस्पेक्टर, अपने एसपी (पुलिस अधीक्षक) को सारा रिपोर्ट फोन पर बता कर अपना संदेह व्यक्त करता है कि यह मामला आपसी दुश्मनी का हो सकता है। पुलिस अधीक्षक कुछ सोचकर इंस्पेक्टर को घटना की खबर न्यूज वालों  को देने से मना करवा देता है ।

दूसरे दिन सुबह इंस्पेक्टर, आरटीओ द्वारा दिए गए पते पर पहुंच जाता है, साथ में दो पुलिस वाले । इंस्पेक्टर विक्रम सिंह, रायगढ़ा मुख्य थाने के इंचार्ज, जिसने कल घटना स्थल का मुआयना किया था ।

घर पर अक्षय के पापा अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ बैठकर अक्षय के बारे में बात कर रहे थे, भावेश और राकेश भी वहीं पर थे। इंस्पेक्टर को घर के दरवाजे के बाहर खड़ा देख, उन्हें अंदर बुलाता है।

इंस्पेक्टर अपना परिचय देने के बाद कहता है : "आप में से मकान मालिक कौन है?"

अक्षय के पापा, इंस्पेक्टर की बात सुनकर चौंक जाता है और तुरंत कहता है "जी, साहब मैं हूं"

इंस्पेक्टर : " आपका नाम अक्षय प्रजापति हैं?

अक्षय के पापा का दिल धड़कने लगता है, घबराते हुए कहता है : "नहीं, साहब, मेरे लड़के का नाम है, मैं उसका पिता रामकुमार प्रजापति .... सर कुछ पता चला क्या मेरे बेटे के बारे में?

इंस्पेक्टर, थोड़ी देर शांत हो जाता है। घर के अंदर किसी महिला के रोने की आवाजे आ रही थी । 

अक्षय के लापता होने और पुलिस वालों को देख लेने के बाद अक्षय की मां रोना शुरू कर देती है। 

इंस्पेक्टर समझ जाता है कि हो ना हो कार के अंदर मिली डेड बॉडी अक्षय की ही हो सकती है।

इंस्पेक्टर, अक्षय के पापा से बोलते हैं: "सर, आपको मेरे साथ थाने चलना होगा, इसी संबंध में बाते करने के लिए, आप चाहें तो अपने साथ एक दो लोगों को और ला सकते हैं"

अक्षय के पापा : "सर, मैं आ जाऊंगा, कुछ बताओ तो सही, अक्षय मिल गया क्या?"

इंस्पेक्टर : हां, उससे संबंधित एक जानकारी मिली है, उसी के लिए आपको थाने आना होगा, मैं यहां और कुछ नहीं बता सकता"

अक्षय के पापा, भावेश, राकेश और एक रिश्तेदार आपस में बातें करते है और चारों थाने जाने के लिए तैयार हो जाते हैं ।

सभी बाहर आ जाते हैं, अक्षय के पापा के पास मारुति 800 कार थी, चारों उसमे बैठ जाते हैं, इंस्पेक्टर और पुलिस वाले जीप में बैठ जाते हैं । सीधे रायगढ़ा के मुख्य पुलिस थाने पहुंच जाते है।

इंस्पेक्टर, उन्हें सारी घटना को बता देते हैं, लाश की शिनाख्त के लिए पुलिस के पास जली हुई बॉडी के अलावा कुछ नही रहता।

इंस्पेक्टर उन्हें बता देता है कि जो बॉडी मिली हैं उसको पहचान पाना मुश्किल है, इसलिए आपके खून के सैंपल से डीएनए (DNA) टेस्ट किया जायेगा, तब पता लगेगा कि जो बॉडी मिली है वो आपके पुत्र अक्षय की है या किसी और की? 

अक्षय के पापा सुनकर शॉक्ड हो जाते है और रोने लगते है, वे अक्षय की जली हुई बॉडी को देखने की पेशकश करते हैं, तो इंस्पेक्टर बता देता है कि बॉडी पीएम के लिए और आगे की जांच के लिए गई हुई है, 10 से 15 दिन बाद, बॉडी मिलेगी ।

भावेश और राकेश भी अपने आंसू रोक नहीं पाते है, इंस्पेक्टर उन्हें बता देता है कि उन्हें हत्या होने का संदेह है । इंस्पेक्टर अपने एक पुलिस वाले के साथ अक्षय के पापा को हॉस्पिटल डीएनए टेस्ट के लिए ब्लड देने भिजवा देते हैं । 

हॉस्पिटल से आने के बाद, चारों घर आ जाते हैं, घर में उसकी मां और बहन को पता चलता है तो उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है ।

तीसरे दिन न्यूज पेपर में, घटना की विस्तृत जानकारी छपती है ।  घर वालों को और उनके दोस्तों को समझ में ही नहीं आता है कि अक्षय का दुश्मन कौन हो सकता है ।

15 दिन बाद रिपोर्ट आ जाती है, रिपोर्ट से पता चल जाता है कि अक्षय की ही बॉडी है, अक्षय के घर वालों को अक्षय की बची हुई बॉडी अंतिम संस्कार के लिए सुपुर्द कर दी जाती हैं।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पहले ही आ चुकी थी, मरने के बाद बॉडी जलाई गई है, और मौत का कारण दम घुटना बताया गया।

पुलिस छानबीन शुरू कर देती है, अक्षय के फोन डिटेल में  कोई संदिग्ध नबर नहीं मिलता। घर वालों से, उनके दोस्तों से और उनके ड्यूटी में सहकर्मियों से पूछताछ करने के बाद भी पुलिस को हत्या का कोई सुराग हाथ नहीं लगता। 

समय गुजरता जाता है, पुलिस वाले भी धीरे धीरे ठंडा पड़ने लगते हैं।

इस घटना के तीन माह बाद ....



क्रमशः ......