क्या अदिति बैताल का सामना कर पायेगी..
अदिति को धीरे धीरे होश आने लगा था लेकिन उसपर किसी का ध्यान नहीं था , सब बैचेनी से किसी न किसी काम में लगे हुए थे , ,
अब आगे.........
अदिति धीरे धीरे अपनी आंखें खोल चुकी थी, लेकिन कमजोर होने की वजह से उसकी नज़रों के सामने सबकुछ धुंधला सा नजर आ रहा था , ,
" भाई , विवेक...." ...
अदिति की लड़खड़ाती हुई आवाज को सुनकर सबकी नजरें उसकी तरफ जाती है , विवेक और देविका जी जल्दी से उसके पास पहुंचते हैं......
देविका जी जल्दी से उसके पास बैठकर उसक सिर पर हाथ फेरते हुए कहती हैं..." अदिति , मेरी बच्ची तुझे होश आ गया..."
आंखों के सामने धुंधला दिखाई देने की वजह से अदिति उन्हें न समझते हुए कहती हैं ...." मालती आंटी , विवेक कहां है....?...आप किले में कैसे आ गई....?... जाइए यहां से वो तक्ष आपको नुकसान पहुंचा देगा , जाइए..."
विवेक अदिति के गालों पर हाथ से थपकाते हुए कहता है...." अदिति , तुम किले में नहीं हो , , आंखों खोलो ...." विवेक जग से पानी को गिलास में करके अदिति को पिलाता है..... गर्दन में घाव होने की वजह से अदिति को दर्द होने लगता है , जिसकी वजह से वो पानी के एक घुंट के बाद ही गिलास छोड़ देती है.....
" विवेक , पानी नहीं दो...." उसकी लड़खड़ाती हुई आवाज को सुनकर विवेक पानी का गिलास वापस नीचे रख देता है.....
तो वहीं चेताक्क्षी कुछ ढूंढते हुए कहती हैं...." काकी , अदिति को हल्दी वाला दूध दे दो , उसके घावों के दर्द में आराम मिलेगा...."
देविका जी वहां से चली जाती हैं , , अदिति को अचानक होश में देखकर चेताक्क्षी अमोघनाथ जी से पूछती है..."बाबा , आपने कहा था अदिति को तीन चार दिन में होश आएगा , , लेकिन इसे तो जल्दी होश आ गया..."
अमोघनाथ जी खुद भी इस बात से अचंभे में थे....
" हां चेताक्क्षी , मुझे भी अचानक अदिति का ठीक होना कुछ समझ नहीं आया , जहां तक मैने समझा था , उसकी सांसें काफी ज्यादा धीमी थी , जिससे उसका इतनी जल्दी होश में आना संभव नहीं था , लेकिन भोलेनाथ के आशिर्वाद ने इसे जल्दी होश में ला दिया , ..."
अदिति लगभग होश में आ चुकी थी , , चारों तरफ देखते हुए अपने आप उस कमरे में देखकर विवेक का हाथ पकड़ते हुए कहती हैं..." विवेक हम कहां पर है...?..."
विवेक अदिति को संभालते हुए कहता है...."डोंट वरी अदिति.....तुम सेफ हो , वो गामाक्ष मारा गया...."
चेताक्क्षी उसके पास आकर कहती हैं...." हां अदिति...."
अदिति सवालिया नज़रों से उसे देखते हुए विवेक की तरफ देखती है....
" डोंट वरी अदिति , ये चेताक्क्षी है , तुम्हें बचाने आई है..."
लेकिन अदिति अभी भी उलझन भरी नजरों से उसकी तरफ देख रही थी , जिससे विवेक उसके गालों पर हाथ रखते हुए कहता है...." अदिति तुम्हें सारी बातें बताता हूं , लेकिन तुम पहले आराम करो...."
अदिति अभी भी घबराते हुए विवेक के हाथों को कसकर पकड़ते हुए कहती हैं..." विवेक , यहां क्यूं लाए हो मुझे...और भाई , भाई कहां है ....?...तक्ष ने उन्हें कुछ किया तो नहीं न ..."
" रिलेक्स अदिति... भाई को तक्ष ने कुछ नहीं किया..."
" तो फिर कहां है वो..?..."
विवेक उसे समझाते हुए कहता है..." रिलेक्स अदिति भाई आ जाएंगे..."
अचानक अदिति की नजर अमोघनाथ जी पर पड़ती है , जिसे देखकर अदिति कहती हैं....." विवेक , , ये तो वही है जिनसे मां ने हमारी सुरक्षा घेरा पूजा करवाई थी , ये यहां कैसे...?..."
अदिति जैसे खड़े होने की कोशिश करती है लेकिन विवेक उसे संभालते हुए कहता है...." अदिति तुम्हें आराम की जरूरत है..."
अदिति उसका हाथ दूर करते हुए कहती हैं...." नहीं। मुझे ये बताओ भाई कहां है....?.... मुझे उन्हें देखना है , उनसे मिलना है , उस तक्ष ने भाई को पर वार किया था , वो ठीक तो है न...तक्ष अपने वादे से मुकर तो नहीं गया न..."
विवेक उसे सवालिया नज़रों से देखते हुए कहता है...." कैसा वादा अदिति...?..."
जबतक देविका जी भी वहां पर वापस आ चुकी थी...
अदिति उसे विवेक के घर पर घटी सारी घटना बता देती है.... जिसे देविका जी सुनकर कहती हैं..." उस गामाक्ष ने ये सब कर दिया , ..." वो जल्दी से अदिति के पास आकर उसे गले लगाकर कहती हैं...." तूने मेरी बात क्यूं नहीं मानी... अदिति तुम दोनों को इतना सबकुछ झेलना पड़ा था , , .."
अदिति उनसे दूर होकर कहती हैं...." मां , ये सब मेरी ग़लती थी... मैंने ही आपकी बात नहीं मानी और उस तक्ष की बातों को सच मान लिया... लेकिन भाई कहां है...?..."
देविका जी उसे बताती है...." उसे बेताल ले गया..."
अदिति उलझन भरी नजरों से देखते हुए कहती हैं..." अब ये बेताल कौन है...?... और मुझे तो उस गामाक्ष ने कैद कर रखा था , मुझे किसने बचाया...?...वो बहुत भयानक था , पता नहीं वो मुझे किसी रोशनी से चोट पहुंचा रहा था..."
विवेक उससे कहता है...." अदिति अब तुम बिल्कुल सेफ हो..."
चेताक्क्षी उसके पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहती हैं..." अदिति , विवेक ने उस गामाक्ष को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया , लेकिन बेताल उसकी कैद से आजाद हो गया... जो आदित्य को अपने साथ ले गया..."
ये बात सुनकर अदिति की आंखें खुली की खुली रह जाती है..." भाई को कोई क्यूं ले गया...?...और अब ये बेताल कौन है जिसकी दुश्मनी भाई से है..."
चेताक्क्षी उससे बताती है....." अदिति उसकी दुश्मनी तुमसे है ...." चेताक्क्षी उसे बेताल की सच्चाई बताती है.... लेकिन उसे वनदेवी होने की बात छुपाकर ताकि वो वापस अपने अस्तित्व में न जाएं...
चेताक्क्षी की बात सुनकर अदिति गुस्से में कहती हैं...." मैं भाई को बचाने जाऊंगी , .... मुझे क्या करना है वो बताओ...."
अदिति तख्त पर से खड़े होने लगती है लेकिन कमजोर होने की वजह से डगमगा जाती है जिसे संभालते हुए विवेक कहता है...." अदिति पहले तुम ठीक हो जाओ..."
लेकिन अदिति उसे अपने से दूर करती हुई कहती हैं...." नहीं विवेक भाई को बचाना जरूरी है..."
लड़खड़ाते हुए अदिति अमोघनाथ जी के पास पहुंचती है...
" उस बेताल को कैसे मार सकते हैं...."
............to be continued...........