Tere ishq mi ho jau fana - 56 in Hindi Love Stories by Sunita books and stories PDF | तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 56

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तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 56

पिज़्ज़ा पार्लर में रोमांटिक मुलाकात

शाम का वक्त था। हल्की-हल्की ठंडक थी, लेकिन हवा में एक अलग सी मिठास घुली हुई थी। शहर की सड़कों पर हलचल थी, लेकिन पिज़्ज़ा पार्लर के अंदर एक अलग ही माहौल था—नरम रोशनी, धीमे बजते रोमांटिक गाने, और इधर-उधर बैठकर हंसते-बतियाते लोग। माहौल में एक खास तरह की गर्माहट थी,  बावजूद दिल को सुकून दे रही थी।

समीरा ने खुद से कहा था कि उसे दानिश से थोड़ा दूर रहना चाहिए। पिछले कुछ दिनों से उसका दिल उसके बस में नहीं था। हर बार जब भी वह दानिश के करीब होती, उसे अपने अंदर एक अजीब सी बेचैनी महसूस होती। यह दोस्ती से कुछ अलग था, कुछ ऐसा जिसे वह ठीक से समझ नहीं पा रही थी।

लेकिन फिर भी, जाने कैसे, वह आज उसके सामने बैठी थी।

अजनबी सी बेचैनी

दानिश ने हल्की मुस्कान के साथ उसकी ओर देखा, उसकी आंखों में वही जानी-पहचानी शरारत थी, जो समीरा को हमेशा सहज महसूस कराती थी। लेकिन आज, समीरा सहज नहीं थी।

"तुम कुछ अनकंफर्टेबल लग रही हो," दानिश ने कहते हुए अपनी कोल्ड ड्रिंक का एक घूंट लिया।

समीरा ने झूठी मुस्कान के साथ सिर हिलाया। "नहीं तो," उसने कहा और नजरें दूसरी ओर फेर लीं।

दानिश ने थोड़ा झुककर उसकी ओर देखा, जैसे उसकी आँखों के पीछे छिपी सच्चाई को पढ़ने की कोशिश कर रहा हो। "सच में? फिर तुम मेरी आंखों में देखकर बात क्यों नहीं कर रही?"

समीरा चौंकी। उसने घबरा कर उसकी ओर देखा और फिर तुरंत ही अपनी नजरें झुका लीं।

"ऐसी कोई बात नहीं है," उसने धीमी आवाज़ में कहा।

दानिश मुस्कुराया। उसकी आँखों में एक चमक थी, जैसे उसे कोई रहस्य मिल गया हो।

"ओह, तो फिर अब देख सकती हो, है ना?"

उसकी इस बात पर समीरा को महसूस हुआ कि वह सच में उससे नजरें चुराने की कोशिश कर रही थी। यह दानिश ही था, जिससे वह रोज़ बातें करती थी, हंसती थी, मजाक करती थी। फिर आज ऐसा क्यों लग रहा था कि उसके सामने बैठकर भी वह उससे मीलों दूर थी?

दिल की अनकही बातें

"तुम क्या खाओगे?" समीरा ने बात बदलने की कोशिश की।

"अभी तो मैं बस तुम्हारी बातों को इंजॉय कर रहा हूँ," दानिश ने मुस्कराते हुए कहा। उसकी आवाज़ में एक खास तरह की नर्मी थी, जो समीरा के दिल की धड़कनों को और तेज़ कर गई।

समीरा को खुद पर गुस्सा आ रहा था। वह क्यों नर्वस हो रही थी? यह तो वही दानिश था, जिससे वह हमेशा खुलकर बातें करती थी। लेकिन आज... आज कुछ अलग था।

"पिज़्ज़ा ऑर्डर कर लो, भूख लगी है," उसने जल्दी से कहा, जैसे इस बातचीत से भाग निकलना चाहती हो।

"ठीक है, पर तुम क्यों मुझसे बचने की कोशिश कर रही हो?" दानिश ने फिर वही सवाल किया, इस बार उसकी आवाज़ और भी गहरी थी।

समीरा ने चौंककर उसकी ओर देखा, फिर जल्दी से अपने पानी के गिलास की ओर हाथ बढ़ाया और एक घूंट लिया।

"कुछ नहीं, बस वैसे ही..." उसने खुद को सामान्य दिखाने की कोशिश की।

लेकिन दानिश आसानी से मानने वालों में से नहीं था।

"समीरा, मैं तुम्हें इतना तो जानता हूँ कि जब तुम किसी से नजरें चुराती हो, तो जरूर कुछ ना कुछ चल रहा होता है," उसने धीमे स्वर में कहा।

समीरा को कुछ जवाब नहीं सूझा। उसकी उंगलियाँ अनजाने में अपने नैपकिन से खेलने लगीं।

एक पल की खामोशी

दानिश ने कुछ पल उसकी ओर देखा, फिर हल्के से मुस्कुराया।

"क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग में?"

समीरा ने नजरें झुका लीं। "कुछ भी तो नहीं।"

"झूठ मत बोलो," दानिश ने हल्की मुस्कान के साथ कहा।

समीरा को लगा जैसे उसके दिल की धड़कन और तेज़ हो गई हो।

"देखो, अगर तुम मुझे कुछ बताना नहीं चाहती, तो मैं जबरदस्ती नहीं करूँगा," दानिश ने कहा। "पर इतना जरूर कहूँगा कि मुझे तुम्हारी परवाह है।"

समीरा ने धीरे से सिर उठाया और पहली बार उसकी आंखों में झांका। उसकी आंखों में कुछ ऐसा था, जो उसे अंदर तक महसूस हो रहा था।

"तुम इतनी अजीब क्यों हो रही हो?"

समीरा ने गहरी सांस ली। "पता नहीं..."

"पता नहीं, या जानबूझकर?"

समीरा ने फिर नजरें झुका लीं।

"ओह, तो मामला इतना सीरियस है?" दानिश ने मजाकिया अंदाज में कहा।

समीरा हल्का सा मुस्कुराई।

"देखो, अगर कुछ कहना चाहती हो, तो कह सकती हो," दानिश ने उसकी ओर झुककर कहा। "मैं सुनूंगा।"

समीरा ने सिर हिलाया। "बस... कुछ चीजें खुद भी नहीं समझ पा रही हूँ।"

दानिश ने एक पल के लिए उसे देखा और फिर मुस्कुराया। "समीरा, कुछ चीजें समझने के लिए महसूस करनी पड़ती हैं।"

समीरा का दिल ज़ोर से धड़का।

"और कभी-कभी, जो चीजें हम सबसे ज्यादा समझने की कोशिश करते हैं, वो हमें पहले से ही पता होती हैं," दानिश ने धीरे से कहा।

समीरा को लगा जैसे उसके दिल की हर उलझन को दानिश ने पढ़ लिया हो।

खामोश इकरार

उसी वक्त, वेटर ने दोनों के सामने गर्म पिज़्ज़ा रख दिया। उसकी महक पूरे माहौल में घुल गई।

"पिज़्ज़ा आ गया," वेटर ने मुस्कुराते हुए कहा।

लेकिन अब समीरा का ध्यान पिज़्ज़ा पर नहीं था। उसकी नजरें अब भी दानिश पर टिकी थीं, जो धीरे से मुस्कुरा रहा था, जैसे वह पहले से ही सब कुछ जानता हो।

शायद, कुछ सवालों के जवाब हमें दूसरों से नहीं, खुद से पूछने पड़ते हैं।

और शायद, इस सवाल का जवाब समीरा के दिल में ही था।

उसने धीरे से अपनी कोल्ड ड्रिंक उठाई, और पहली बार बिना हिचकिचाए दानिश की आँखों में देखते हुए मुस्कुराई।

शायद, यही वो पल था—एक खामोश इकरार, जो शब्दों का मोहताज नहीं था।

रात की सड़कों पर एक नई कहानी

पिज़्ज़ा पार्लर से निकलते ही ठंडी हवा ने समीरा के चेहरे को हल्के से छुआ। सड़कें अब भी हल्की-हल्की रोशनी में डूबी थीं, और शहर की रौनक धीमे-धीमे कम हो रही थी। दानिश ने कार की ओर इशारा किया, "चलो, एक छोटी सी ड्राइव हो जाए?"

समीरा ने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया। वह जानती थी कि इस वक्त उसके मन में जो हलचल थी, उससे बचने का अब कोई फायदा नहीं था। शायद, अकेले में वो खुद को बेहतर समझ पाएगी... या शायद, दानिश को।

ड्राइव की शुरुआत

कार में बैठते ही दानिश ने धीमे सुर में रोमांटिक म्यूजिक ऑन कर दिया। हवा में हल्की ठंडक थी, लेकिन उसके साथ ही एक अजीब सी गर्माहट भी थी—शायद उनके बीच के नए एहसास की।

कुछ देर तक दोनों चुपचाप थे, बस सड़कों की रोशनी गाड़ियों के शीशों पर चमक रही थी। दानिश ने एक नज़र समीरा की ओर डाली, जो खिड़की से बाहर देख रही थी।

"तुम्हें पता है?" दानिश ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "तुम जब भी ज्यादा सोचती हो, तुम्हारी भौंहें हल्की सी सिकुड़ जाती हैं।"

समीरा ने चौंककर उसकी ओर देखा। "ऐसा कुछ नहीं है," उसने झूठा बहाना बनाया।

"हम्म... तो फिर क्या सोच रही हो?"

समीरा ने गहरी सांस ली। "बस… कुछ चीज़ें।"

"कुछ चीज़ें?" दानिश ने थोड़ा झुककर कहा, "जैसे?"

गाईज स्टोरी मिनिया एप पर भी में स्टोरिज लिखती हू वहाँ  जाकर भी आप कहानी पढ सकते हो, और मैं यहाँ लिंक नहीं दे सकती हूँ वो काम नहीं करेगा, सिर्फ पोस्ट में उसकी तस्वीर डाल सकती हूँ,