भाग :14
रचना:बाबुल हक़ अंसारी
“इश्क़ की अमानत”
[मौत का सन्नाटा…]
टिक-टिक रुक चुकी थी।
सारा प्लेटफ़ॉर्म अब सन्नाटे में डूबा था।
बस धुएँ और बारूद की गंध हवा में तैर रही थी।
रिया ने कांपते हाथों से अयान का चेहरा थाम लिया —
उसकी आँखें नम थीं, और होंठ काँप रहे थे।
“अयान… तू बोल क्यों नहीं रहा?
ये खामोशी… कहीं तेरी आख़िरी निशानी तो नहीं?”
अयान चुप था।
उसकी हथेली अब भी उस स्विच पर जमी हुई थी, और होंठों पर वही रहस्यमयी मुस्कान।
[रिया की पुकार…]
रिया ने ज़ोर से उसे झकझोरा।
“अयान! मेरी तरफ देख… तूने वादा किया था, मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ेगा।
तू खामोश रहकर मुझे तोड़ क्यों रहा है?”
उसकी चीख़ गूंजती रही।
आर्यन भी दौड़कर पास आया, उसकी नब्ज़ टटोलने की कोशिश की।
आर्यन फुसफुसाया —
“धड़कन… बहुत धीमी है।
रिया… मुझे डर है…”
रिया ने पागलों की तरह सिर हिलाया —
“नहीं! मेरा अयान मुझे छोड़कर नहीं जा सकता।
अगर वो गया… तो ये रिया भी उसी रौशनी के पीछे चली जाएगी।”
[रूद्र का आख़िरी वार…]
अचानक सन्नाटे को तोड़ती हुई एक टूटी-फूटी हँसी गूंजी।
ज़मीन पर पड़ा रूद्र अब भी जिंदा था।
“हा-हा-हा… देख लिया?
तेरे इश्क़ ने तुझे मौत से तो बचा लिया, पर तेरा अयान… अब तेरी बाहों में एक लाश बनकर रह जाएगा।”
उसकी आवाज़ में ज़हर भरा था।
उसने ज़मीन से रेंगते हुए एक छुरा उठाया और फुफकारते हुए बोला —
“अगर बम से खेल नहीं बना… तो मैं खुद तेरे इश्क़ का क़त्ल कर दूँगा।”
[चमत्कार का क्षण…]
रिया ने अयान को सीने से लगाकर आँखें बंद कर लीं।
उसके होंठ कांपते हुए दुआ बन गए।
“ऐ खुदा… अगर सच्चा इश्क़ तेरी नेमत है… तो मेरा अयान मुझे लौटा दे।
मेरी सांसें ले ले, पर उसके बिना मुझे मत छोड़।”
जैसे ही उसकी आँखों से आँसू अयान के चेहरे पर गिरे…
अचानक उसकी छाती ज़ोर से उठी।
अयान ने एक गहरी सांस ली — जैसे मौत की जंजीर टूट गई हो।
उसने धीरे-धीरे आँखें खोलीं और फुसफुसाया —
“रिया… मैं वादा निभाने आया हूं।
तुझे छोड़ने नहीं, ज़िंदगी भर निभाने।”
रिया की चीख़ खुशी में बदल गई।
वो उसके सीने से लिपट गई और आँसुओं में हंसने लगी।
[क्लिफहैंगर…]
लेकिन तभी —
रूद्र ने छुरा उठाकर उन दोनों पर झपट्टा मारा।
उसकी आँखें पूरी तरह पागलपन से लाल थीं।
अयान ने रिया को पीछे धकेलकर अपनी बाहें फैलाकर वार रोकने की कोशिश की।
छुरा चमकता हुआ नीचे गिरा —
और अगले ही पल प्लेटफ़ॉर्म पर खून की बूंदें बिखर गईं।
रिया ने चीख़ मारी —
“अयान!!”
क्या अयान फिर से मौत की बाहों में चला गया?
या इस बार रूद्र की क़िस्मत ने उसका साथ छोड़ दिया?
[खून की बूंदें…]
प्लेटफ़ॉर्म पर बिखरते लहू की बूंदें चमक रही थीं।
रिया का दिल सीने को तोड़कर बाहर निकल जाना चाहता था।
उसकी चीख़ ने पूरे स्टेशन की ख़ामोशी चीर दी।
आर्यन भी दहशत में चीख पड़ा —
“भाई!! संभलना मत छोड़ना!”
रूद्र की आँखों में नफरत का नशा और गाढ़ा हो चुका था।
वो गरजते हुए बोला —
“आज या तो मेरा अंधेरा जीतेगा…
या तुम्हारा यह खोखला प्यार हमेशा के लिए मिट जाएगा।”
अयान की आँखों में हल्की-सी चमक लौटी।
उसने खून से भीगी हथेली उठाई और रूद्र की ओर घूरते हुए कहा —
“प्यार खोखला नहीं होता…
खोखली तेरी नफ़रत है, जो आज अपना आख़िरी साँस लेगी।”
अगले भाग में:
क्या अयान इस वार से बच पाएगा?
या इश्क़ की अमानत सच में उसकी रूह की आख़िरी कीमत बन जाएगी?
भाग 15: “खून का आख़िरी फ़ैसला”
रचना: बाबुल हक़ अंसारी