भाग 16
डॉ. मेहता लगभग बीस मिनट में ही अपार्टमेंट पहुँच गए। उनके चेहरे पर गहरी चिंता के बावजूद एक स्पष्ट राहत थी। उन्होंने जैसे ही नीला फूल को कांच के जार में और कवच को विवेक के बैग में देखा, उनकी आँखें चमक उठीं।
"यह अविश्वसनीय है! मैंने कभी नहीं सोचा था कि आप इतनी जल्दी दोनों चीज़ें ढूंढ लेंगे," डॉ. मेहता ने कहा, उनकी आवाज़ में उत्साह था। उन्होंने नीले फूल को जार में से ध्यान से देखा। फूल अपनी हल्की नीली रोशनी बिखेर रहा था, जिससे कमरे में एक अजीब-सी शांति फैल गई थी। फिर उन्होंने कवच को बैग से बाहर निकाला। कवच हाथ में लेते ही, उससे एक हल्की, सुखद गर्माहट निकलने लगी, जिससे वहाँ मौजूद सबकी थकान कुछ पल के लिए दूर हो गई।
"यह एक प्राचीन कलाकृति है। इसकी ऊर्जा अद्वितीय है," डॉ. मेहता ने कहा। "इसे छूकर ही मुझे लग रहा है कि यह दुष्ट शक्ति के विरुद्ध एक शक्तिशाली हथियार है।"
अनुराग, जो अब काफी बेहतर महसूस कर रहा था, ने पूछा, "तो अब क्या? अनुष्ठान कब करना है?"
"अमावस्या की रात को," डॉ. मेहता ने गंभीरता से कहा। "अगली अमावस्या बस दो दिन बाद है। हमें तब तक पूरी तैयारी करनी होगी। अनुष्ठान बहुत जटिल और खतरनाक है। इसमें कोई गलती नहीं होनी चाहिए।"
डॉ. मेहता ने टेबल पर कुछ पुराने नक्शे और किताबें फैलाईं। मैंने पहले ही बताया था इसके लिए हमें कुछ विशेष सामग्रियों की ज़रूरत होगी जो हमारे पास हैं: नीला फूल, शुद्ध लौह धातु (जो मैंने आपको पहले दी थी), और उस जगह की विशेष मिट्टी जहाँ दुष्ट शक्ति की सबसे ज़्यादा ताकत को बांधा गया था। वो मिट्टी आपको बेसमेंट के उस छिपे हुए दरवाज़े के पास मिलेगी।"
रिया ने डरते हुए पूछा, "क्या हमें फिर से बेसमेंट में जाना होगा?"
"हाँ," डॉ. मेहता ने सिर हिलाया। "लेकिन चिंता मत करो, अब आपके पास कवच है। यह आपको दुष्ट शक्ति के सीधे हमलों से बचाएगा। सबसे महत्वपूर्ण बात, अनुष्ठान उसी जगह पर करना होगा जहाँ दुष्ट शक्ति को बांधा गया था – यानी, बेसमेंट में उस प्राचीन दरवाज़े के ठीक सामने।"
छाया ने चिंता से पूछा, "अनुष्ठान कैसे होगा?"
डॉ. मेहता ने समझाया, "सबसे पहले, हमें दरवाज़े के सामने एक बड़ा चक्र बनाना होगा। इस चक्र के बीच में आपको विशेष मिट्टी से एक छोटा सा चबूतरा बनाना होगा। फिर, उस चबूतरे के ऊपर आपको नीला फूल रखना होगा, और उसके चारों ओर लोहे के टुकड़े रखने होंगे।"
"और मंत्र?" विवेक ने पूछा।
"मंत्र सबसे महत्वपूर्ण है," डॉ. मेहता ने ताम्रपत्र को सामने रखते हुए कहा। "मैंने इसे प्राचीन भाषा से अनुवाद किया है। यह दुष्ट शक्ति के नाम और उसके बंधन को पुनः सक्रिय करने के लिए है। आप चारों को एक साथ इस मंत्र को लगातार और सही उच्चारण के साथ दोहराना होगा। यह मंत्र आपकी सामूहिक इच्छाशक्ति से ऊर्जा खींचेगा और दुष्ट शक्ति को फिर से बांधेगा।"
उन्होंने आगे कहा, "कवच इस अनुष्ठान में आपकी सुरक्षा करेगा। जब आप मंत्र का उच्चारण करेंगे, तो दुष्ट शक्ति अपनी पूरी ताकत से आप पर हमला करने की कोशिश करेगी, आपको विचलित करेगी, लेकिन कवच उस ऊर्जा को बेअसर करेगा। विवेक, तुम कवच को धारण करोगे और अनुष्ठान के दौरान सभी के सामने खड़े रहोगे।"
यह सुनकर सबके चेहरों पर भय और दृढ़ संकल्प के मिले-जुले भाव थे। यह उनकी सबसे बड़ी परीक्षा होने वाली थी।
पर एक पल... डॉ. मेहता ने अचानक अपनी बात रोक दी। उनके चेहरे पर चिंता की एक नई लकीर उभर आई। उन्होंने कवच को हाथ में उठाया और उसे ध्यान से देखा। "मुझे लगता है कि मैंने कुछ गलत अंदाज़ा लगाया था।"
सबने हैरानी से उन्हें देखा।
"यह दुष्ट शक्ति जितनी मैंने सोची थी, उससे कहीं ज़्यादा शक्तिशाली है," डॉ. मेहता ने कहा, उनकी आवाज़ में गंभीरता थी। "इस कवच की ऊर्जा ज़रूर प्रभावशाली है, और नीला फूल भी मिल गया है, लेकिन... मुझे नहीं लगता कि यह अनुष्ठान सिर्फ हम पाँच लोगों के बस की बात है, भले ही आप सब में इतनी हिम्मत है। यह दुष्ट शक्ति सदियों पुरानी है, और इसकी पकड़ बहुत गहरी है।"
उन्होंने गहरी साँस ली। "मुझे अमावस्या से पहले एक ऐसे व्यक्ति से मिलना होगा जो इस तरह की चीज़ों का मुझसे भी ज़्यादा ज्ञान रखता है। मेरे गुरु... वे हिमालय की तलहटी में एक बहुत ही गुप्त जगह पर रहते हैं। उनका नाम ऋषि अग्निहोत्री है। वे प्राचीन विद्याओं के महान ज्ञाता हैं और उन्होंने अपने जीवन का ज़्यादातर समय ऐसी शक्तियों का अध्ययन करने और उनसे लड़ने में बिताया है।"
रिया की आँखों में उम्मीद की एक नई चमक थी। "क्या वे हमारी मदद कर सकते हैं?"
"हाँ, मुझे उम्मीद है," डॉ. मेहता ने कहा। "वह शायद हमें अनुष्ठान के बारे में और भी महत्वपूर्ण जानकारी दे सकें, या शायद कवच का उपयोग करने का कोई ऐसा तरीका बताएं जिससे हम दुष्ट शक्ति पर पूरी तरह काबू पा सकें। यह भी हो सकता है कि उनके पास कोई और सहायक वस्तु या जानकारी हो जो हमें इस अंतिम लड़ाई में मदद करे।"
विवेक ने पूछा, "लेकिन क्या इतना समय है? अमावस्या में सिर्फ़ दो दिन बचे हैं।"
"मुझे पता है, समय कम है," डॉ. मेहता ने स्वीकार किया। "लेकिन यह जोखिम लेना ही होगा। अगर हम बिना पूरी तैयारी के अनुष्ठान करेंगे, तो विफलता लगभग तय है, और उसके परिणाम विनाशकारी होंगे। मैं आज रात ही निकलूंगा। आप लोग यहाँ रहकर मंत्र का अभ्यास करते रहें और मानसिक रूप से मजबूत बनें। कवच को अपने पास ही रखें। यह आपको दुष्ट शक्ति के सीधे हमलों से बचाएगा।"
उन्होंने सभी लोगों को देखा। "मैं जितनी जल्दी हो सके, वापस आऊंगा। शायद उनके पास कोई ऐसा समाधान हो जो हमने सोचा भी न हो।"
डॉ. मेहता ने तुरंत अपने जाने की तैयारी की। उन सभी ने उन्हें जाते हुए देखा, उनके मन में डर और उम्मीद दोनों थे। दुष्ट शक्ति अभी भी सबके आसपास मौजूद थी, अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही थी, लेकिन अब उन्हें एक नई उम्मीद मिल गई थी – ऋषि अग्निहोत्री। अब उनका भविष्य एक रहस्यमयी गुरु के हाथों में था, जो हिमालय की तलहटी में रहते थे। यह अंतिम लड़ाई से पहले की एक नई और खतरनाक यात्रा थी।