(रिया ने अपनी बहन प्रिया के लिए कुणाल से शादी करवाने के लिए झूठ बोला कि वह आदित्य को पसंद करती है जिससे रिया की आदित्य से और प्रिया की कुणाल से सगाई हो गई। ललिता प्रिया से नफरत करती है और उसे निकालने की योजना बनाती है। प्रिया, रिया के अधूरे IAS सपने को समझती है। एक दिन, डिस्को में टोनी नामक लड़का रिया से बदतमीज़ी करता है, जिसे प्रिया बचाती है और चांटा मारती है। कुणाल समय पर आकर टोनी को सबक सिखाता है। घटना से कुणाल और प्रिया के रिश्ते में तनाव आता है। टोनी बदले की आग में जलने लगता है और प्रिया पर नज़रें गड़ा देता है। अब आगे...)
कार तेज़ी से आगे बढ़ रही थी।
रिया ने मुस्कराते हुए कहा, "थैंक यू, कुणाल! अगर तुम सही समय पर नहीं आते..."
कुणाल की नज़र एक पल के लिए प्रिया पर गई, फिर आवाज़ थोड़ी सख़्त हो गई —"राठौड़ खानदान की बहुएं ऐसी जगहों पर नहीं जातीं। वो तो मेरी नज़र पड़ गई जब तुम दोनों डिस्को में घुस रही थीं।"
प्रिया की साँस जैसे थम गई। उसने घबराकर कहा, "आप तो शहर से बाहर थे…?"
रिया ने भौंहें चढ़ाकर प्रिया को देखा और चुटकी लेते हुए बोली, "ओफ्फो! अब सारी बातें शेयर होने लगी हैं क्या?"
कुणाल चुप रहा। उसकी निगाहें सड़क पर थीं, लेकिन आँखों में सवाल और नाराज़गी दोनों थे। कार की रफ़्तार बढ़ रही थी, जैसे वो भी इस चुप्पी से भागना चाह रही हो।
घर पहुँचे तो रिया बोली, "अंदर आइए न।"
कुणाल की नजर अब भी प्रिया पर टिकी थी। उसने बिना पलक झपकाए कहा, "किसी और दिन, भाभी।"
जैसे ही प्रिया कार का दरवाज़ा खोलने लगी, कुणाल ने उसका हाथ पकड़ लिया। फिर रिया की ओर देख कर धीमे स्वर में बोला —"अगर आप बुरा न मानें, तो... क्या मैं प्रिया से दो मिनट अकेले में बात कर सकता हूँ?"
रिया समझ गई, माहौल बदल चुका है। मुस्कराकर बोली,"क्यों नहीं," और घर के अंदर चली गई।
अब कार में सिर्फ़ कुणाल और प्रिया थे।
कुणाल की आवाज़ गूंज उठी — "तुम्हें पता भी है, तुमने क्या किया है?"
प्रिया ने बस सिर झुका दिया। आँखों में अपराध-बोध था।
"तुम मेरी पत्नी बनने जा रही हो, प्रिया। सिर्फ मेरी नहीं, इस पूरे परिवार की इज़्ज़त और सुरक्षा तुम्हारी भी ज़िम्मेदारी होगी।" कुणाल की आँखों में गुस्सा और चिंता दोनों थे। "आइंदा ऐसा कुछ मत करना। और ये बात — कि तुम दोनों डिस्को गई थीं — किसी को पता नहीं चलनी चाहिए। समझीं?"
प्रिया ने चुपचाप सिर हिलाया। कुणाल ने उसका हाथ धीरे से छोड़ा।
प्रिया बिना कुछ कहे कार से उतरी और धीमे क़दमों से घर की ओर बढ़ गई।
...
कमरे में पहुँचते ही रिया बोली, "क्या बोले कुणाल जी?"
प्रिया चुप रही। सिर झुका हुआ था।
रिया ने आँखें मटकाते हुए चिढ़ाया, "कहीं आई लव यू तो नहीं कह दिया?"
प्रिया ने खीझकर कहा,"आप भी जानती हैं, उन्होंने मुझे आई लव यू बोलने के लिए नहीं रोका था।"
रिया हँस पड़ी, "कोई बात नहीं। वैसे भी हमें वहाँ नहीं जाना चाहिए था न... गलती हमारी थी। वैसे तुम्हें उम्मीद थी कि वो तुझे..."
प्रिया के होंठों पर हल्की, थकी-सी मुस्कान आई — एक स्वीकार भरी मुस्कान।
रिया कमरे से निकल गई।
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उधर, चाचा-चाची के कमरे में माहौल गर्म था। कुमुद तेज़ स्वर में बोलीं — "क्या मतलब इस बात का कि रिया IAS अफसर नहीं बन सकती? इसमें बुराई क्या है? मैं ललिता जी से बात करूंगी!"
तभी रिया मुस्कुराती हुई अंदर आई, लेकिन उसकी मुस्कान में थकावट छिपी थी — "उसकी कोई ज़रूरत नहीं, चाची। वैसे भी मुझे नहीं लगता कि शादी की तैयारियों के बीच पढ़ाई पर ध्यान दे पाऊंगी।"
"लेकिन बेटी..." वैभव कुछ कहने ही वाले थे कि रिया ने टोका —"लेकिन-वेकिन कुछ नहीं। हम दोनों बहनों को इतने अच्छे जीवनसाथी मिल रहे हैं, बाद में शायद सब मान भी जाएँ।"
इतना कहकर रिया कमरे से निकल गई। लेकिन उसकी आँखों में आँसू चमक उठे, जिन्हें वो ज़बरदस्ती छुपा रही थी।
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दूसरी ओर, प्रिया अकेली बैठी कुणाल की फोटो देख रही थी। धीरे से बोली, "क्या सच में आप मुझसे नाराज़ रहेंगे?"
तभी उसकी नज़र फोन पर गई। अनजाने में उसने कुणाल को एक मैसेज भेज दिया था। घबराकर डिलीट करने की कोशिश की, लेकिन तब तक रिप्लाई आ चुका था — "कल मूनलाइट रेस्टोरेंट, शाम 5 बजे।"
प्रिया का चेहरा शर्म से लाल हो गया। उंगलियाँ कांपीं, पर होंठों पर मुस्कान खिल गई — शायद पहली बार उस मुस्कान में उम्मीद थी।
...
प्रिया परी-सी तैयार हुई थी।
रिया ने उसे घूरते हुए कहा, "स्कूल फ्रेंड से ही मिलने जा रही है न?"
प्रिया मुस्कुराई और सिर हिला दिया। झट से कैब बुक की।
रिया ने टोका, "अपनी कार में क्यों नहीं जा रही?"
प्रिया हँस पड़ी, "भूल गई? सर्विसिंग में है।" वो सीधे कैब में बैठ गई।
...
रेस्टोरेंट पहुँची तो नज़र पार्किंग की ओर गई — कुणाल और भानु गले मिले खड़े थे।
प्रिया भागी और भानु को कुणाल से झटके से अलग कर दिया।
कुणाल चौंककर बोला, "तुम यहाँ क्या कर रही हो?"
प्रिया ने हैरानी से कहा, "आपने ही तो बुलाया था?"
कुणाल ने भानु की ओर देखा।
भानु मुस्कुराई, "हाँ, मैंने बुलाया इसे। ताकि तुम खुद देख सको कि तुम मुझ जैसे हीरे को छोड़कर इस पत्थर जैसी लड़की को चुन रहे हो। कोई तुलना नहीं है हमारी।"
कुणाल ने प्रिया का हाथ थामा, "चलो यहाँ से।"
प्रिया आगे बढ़ ही रही थी कि भानु फिर बोली, "मैं जानती हूँ कुणाल! तुम मुझसे प्यार करते हो। लेकिन अपने भाई की शादी रिया से करवाने के लिए इसके साथ..."
प्रिया ठिठक गई। हाथ छुड़वाकर पलटी और भानु की तरफ आई, "क्या कहा तुमने अभी? कुणाल का रिश्ता खुद सामने से आया था?"
भानु ज़ोर से हँसी, "सच बताओ, कुणाल... सच!"
भानु की आँखों में जीत का नशा तैर रहा था, जैसे वो जानती हो कि एक ही वार में सब बिखर सकता है।
प्रिया का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसकी उंगलियाँ अनजाने में काँप रही थीं, और दिमाग में बस एक ही सवाल गूँज रहा था — क्या मेरी अब तक की पूरी कहानी झूठ थी?
वो कुणाल की आँखों में टकटकी लगाए खड़ी रही, जैसे वहाँ से अपने सारे सवालों के जवाब खींच लेना चाहती हो।
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1. क्या कुणाल सच्चाई बताएगा या भानु की बातों से प्रिया का भरोसा हमेशा के लिए टूट जाएगा?
2. क्या ये टकराव उनके रिश्ते को तोड़ देगा या एक नई शुरुआत की नींव बनेगा?
3. क्या रिया का IAS सपना यहीं खत्म हो जाएगा, या किस्मत उसे कोई अप्रत्याशित मोड़ देगी?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए — "ओ मेरे हमसफ़र"