Kurbaan Hua - Chapter 42 in Hindi Love Stories by Sunita books and stories PDF | Kurbaan Hua - Chapter 42

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Kurbaan Hua - Chapter 42

खोई हुई संजना और लवली के खयाल

संजना के अचानक गायब हो जाने से सबके मन में चिंता घर कर गई थी। अवनी, मिताली और लवली उसकी सबसे करीबी सहेलियां थीं और वे तीनों हर हाल में अपनी दोस्त को ढूंढना चाहती थीं। इसी बीच, संजना के डैड ने एक मशहूर डिटेक्टिव विशाल को इस केस पर काम करने के लिए बुलाया था। विशाल न केवल एक होशियार और कुशल जासूस था, बल्कि दिखने में भी काफी आकर्षक था।

जब लवली ने सुना कि  अवनी ने कहा कि ", उन्हें भी विशाल के साथ संजना को ढूढना चाहिए, तो उसके चेहरे पर अनायास ही खुशी झलक गई। यह देखकर अवनी और मिताली ने उसे घूरकर देखा, मानो वे उसकी भावनाओं को ताड़ गई हों। लवली तुरंत संभलते हुए बोली, "अरे नहीं, मैं तो बस ये सोचकर खुश हो रही थी कि अगर हम भी उसकी मदद करें, तो शायद संजना जल्दी मिल जाए!"

लेकिन सच तो कुछ और ही था। लवली के मन में अलग ही ख्याल उमड़ रहे थे। विशाल की गंभीर और तेज नज़रें, उसकी आत्मविश्वास भरी चाल, और उसकी गहरी आवाज़... लवली जाने-अनजाने उसी के बारे में सोचने लगी थी। जब भी विशाल कुछ बोलता, तो उसके शब्दों से ज्यादा लवली उसकी मुस्कान पर ध्यान देती। वह कभी उसकी आँखों की गहराई में खो जाती, तो कभी उसकी कसी हुई काया को देखकर चुपचाप मुस्कुरा देती।

विशाल की उपस्थिति और लवली का बदला हुआ व्यवहार

विशाल के साथ बिताए गए कुछ ही पलों में लवली को महसूस हुआ कि वह खुद को उसकी तरफ खिंचता हुआ महसूस कर रही है। पहले तो उसने इस सोच को झटका, लेकिन बार-बार उसका ध्यान विशाल की तरफ चला जाता।

एक दिन, जब सभी मिलकर संजना के बारे में चर्चा कर रहे थे, लवली कुछ ज्यादा ही खोई हुई थी। विशाल बोल रहा था, लेकिन लवली को उसके शब्द कम, उसकी आवाज़ की गूंज ज्यादा सुनाई दे रही थी। वह उसे गौर से देख रही थी—उसकी गहरी  आँखें, हल्की दाढ़ी, और मजबूत कद-काठी। अचानक, मिताली ने उसे झकझोर दिया।

"अरे लवली! कहाँ खोई हुई है?" मिताली ने चुटकी ली।

अवनी ने भी मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, आजकल लवली बहुत जल्दी कहीं खो जाती है!"

लवली झेंप गई और जल्दी से संभलते हुए बोली, "नहीं-नहीं, कुछ नहीं... बस, मैं सोच रही थी कि संजना को ढूंढने के लिए और क्या किया जा सकता है।"

लेकिन उसकी सहेलियाँ जानती थीं कि कुछ तो अलग हो रहा था।

विशाल के साथ पहली सीधी बातचीत

रात के समय, जब सब अपनी-अपनी जगह जा चुके थे, लवली किचन में अकेली खड़ी थी। ठंडी हवा चल रही थी, और चारों ओर सन्नाटा था। तभी विशाल वहाँ आया।

"सोई नहीं अब तक?" विशाल ने पूछा।

लवली ने चौंक कर देखा, फिर खुद को सहज करते हुए कहा, "नहीं, बस ऐसे ही... सोच रही थी कि संजना कहाँ हो सकती है।"

विशाल गंभीर हो गया। "हम जल्द ही कुछ न कुछ पता लगा लेंगे। पर तुम ज्यादा मत सोचो, चिंता करने से कुछ नहीं होगा।"

लवली को पहली बार महसूस हुआ कि विशाल न सिर्फ आकर्षक था, बल्कि उसकी बातों में भी गहराई थी। वह सच में अपने काम को लेकर गंभीर था। लवली को यह अच्छा लगा।

"तुम्हें कैसे यकीन है कि हम उसे ढूंढ लेंगे?" लवली ने पूछा।

विशाल मुस्कुराया, "डिटेक्टिव का काम ही यही होता है—नामुमकिन को मुमकिन बनाना।"

लवली की उलझन

लवली अपने कमरे में लौटी, लेकिन उसे नींद नहीं आई। उसके दिल में अजीब-सी हलचल हो रही थी। क्या यह सिर्फ एक आकर्षण था, या कुछ और? वह खुद भी नहीं समझ पा रही थी।

अगले कुछ दिनों में, विशाल के साथ और भी वक्त बिताने का मौका मिला। लवली को एहसास हुआ कि वह विशाल से प्रभावित हो रही थी। कभी-कभी वह खुद को रोकना चाहती, लेकिन विशाल की मौजूदगी में उसके दिल की धड़कन तेज हो जाती।

संजना की तलाश और बढ़ता आकर्षण

जैसे-जैसे संजना की तलाश आगे बढ़ रही थी, वैसे-वैसे लवली की उलझन भी बढ़ रही थी। वह खुद से सवाल करती—क्या यह महज़ एक क्षणिक आकर्षण था, या सच में वह विशाल को पसंद करने लगी थी?

लेकिन एक बात तय थी—विशाल की मौजूदगी ने उसकी दुनिया में हलचल मचा दी थी। अब देखना यह था कि यह हलचल किस ओर ले जाती है—सिर्फ एक बीते हुए पल की तरह, या फिर किसी नए मोड़ की ओर?