अधूरी रात की बेचैनी
कमरे की खिड़की से चाँद की हल्की रोशनी अंदर आ रही थी। तीनों लड़कियाँ—लवली, मिताली और अवनी—अपने-अपने बिस्तर पर बैठी थीं, लेकिन किसी की भी आँखों में नींद नहीं थी। संजना कि संध्या चाची ने उन सबको झकझोर दिया था। पर सबसे ज्यादा परेशान लवली थी। उसका मन अशांत था, दिल तरह-तरह की आशंकाओं में घिरा हुआ था। संध्या चाची की बातें उसके कानों में बार-बार गूंज रही थीं—"अगर तुम लोग उसे डिस्को नहीं ले जातीं, तो वो आज घर पर होती।"
लवली का हृदय ग्लानि से भर गया। वह भावुक स्वभाव की थी, छोटी-छोटी बातें भी उसे भीतर तक झकझोर देती थीं। वह उठकर कमरे में टहलने लगी, बार-बार अपनी हथेलियाँ रगड़ती और होंठों को दाँतों से दबा लेती। उसकी आँखों में आँसू थे।
"शायद संध्या चाची सही कह रही हैं," लवली धीमी आवाज़ में बुदबुदाई, "अगर हम उसे डिस्को नहीं ले जाते, तो शायद..."
"लवली, प्लीज़! अब तुम भी इस तरह की बातें मत करो," मिताली ने झुंझलाते हुए कहा। वह अपने तकिए को पीटते हुए बोली, "हम सब मिलकर वहाँ गए थे, सिर्फ संजना नहीं गई थी! फिर सिर्फ हम दोषी कैसे हो सकते हैं?"
"लेकिन, उस रात के बाद से ही संजना गायब है," लवली ने सुबकते हुए कहा, "और संध्या चाची की बातों में कुछ सच्चाई तो है..."
"अरे बस भी करो!" अवनी ने झल्लाकर कहा। "हम सब यहाँ पिछले एक साल से रह रहे हैं। हमें अच्छी तरह पता है कि संध्या चाची कैसी हैं। उन्हें सिर्फ ड्रामा करना आता है। वो हमेशा से संजना को टोकती थीं, कभी कपड़ों को लेकर, कभी उसके दोस्तों को लेकर, और अब इस मामले में भी वही कर रही हैं।"
"हाँ," मिताली ने सहमति जताई, "अगर उन्हें सच में संजना की इतनी चिंता होती, तो क्या वो उसे पेपर के दौरान अकेला छोड़कर चली जातीं?"
लवली चुप रही। उसके दिमाग में बीते दिनों की घटनाएँ घूमने लगीं। यह सच था कि जब-जब संजना को घर में किसी की ज़रूरत होती, संध्या चाची अपने रिश्तेदारों के यहाँ घूमने निकल जाती थीं। और अब अचानक, जब संजना गायब हो गई थी, तो वही औरों पर इल्ज़ाम लगाने लगी थीं?
"लेकिन फिर भी... अगर हम उसे डिस्को नहीं ले जाते तो?" लवली के अंदर का अपराधबोध खत्म नहीं हो रहा था।
"ओफ्फो! फिर वही बात!" मिताली ने अपना सिर पकड़ लिया। "देखो लवली, डिस्को जाना कोई गुनाह नहीं था। हम वहाँ सिर्फ इंजॉय करने गए थे। और संजना भी खुद अपनी मर्ज़ी से आई थी। हमने उसे मजबूर नहीं किया था।"
"और वैसे भी," अवनी ने जोड़ा, "अगर डिस्को जाना ही इतनी बड़ी गलती होती, तो वहाँ गई बाकी सारी लड़कियाँ भी लापता होनी चाहिए थीं, ना?"
लवली ने धीरे से सिर हिलाया। बात तो सही थी। सिर्फ संजना ही क्यों गायब हुई? क्या वहाँ कुछ और हुआ था?
"तो प्लीज़, खुद को दोषी मत मानो," मिताली ने उसके कंधे पर हाथ रखा, "हमें इस वक्त खुद को कोसने के बजाय यह सोचना चाहिए कि संजना कहाँ गई?"
लवली ने एक लंबी सांस ली। उसके भीतर का डर थोड़ा कम हुआ, लेकिन संजना की चिंता अब भी बनी हुई थी।
"तुम दोनों सही कह रही हो," उसने धीरे से कहा, "हमें असली वजह ढूंढनी होगी, ना कि संध्या चाची की बातों में उलझना चाहिए।"
"बिल्कुल!" मिताली और अवनी ने एक साथ कहा।
कमरे में कुछ देर तक शांति छाई रही। तीनों सहेलियाँ अपनी-अपनी सोच में डूबी रहीं। घड़ी रात के 12 बजा रही थी, लेकिन उनके मन में ढेरों सवाल थे, जिनका जवाब ढूंढना अभी बाकी था...तभी अवनी ने कहा, " हमें डिटक्टीव विशाल के साथ मिल कर संजना को तलाश ना चाहिए मुझे अपनी दोस्त चाहिए, तभी लवली ने खुश होते हुए कहा, " हां इस तरह मुझे उनके साथ रहने का मौका भी मिल जाएगा | लवली कि बात सून बाकी दोनों लड़की उसे आंखे छोटी कर घूरने लगी |