Chapter 13: दिल की डोर
मुंबई की वो सुबह कुछ ख़ास थी। आसमान में हल्के बादल थे, और हवा में ताज़गी का एहसास था — जैसे ज़िंदगी कुछ अच्छा कहने वाली हो। पर आरव के लिए यह सुबह और भी ख़ास थी, क्योंकि आज वो काव्या को एक सरप्राइज़ देने वाला था, जो शायद दोनों के रिश्ते को एक नया नाम दे सकता था।
आरव और काव्या की जर्नी अब तक आसान नहीं थी। ट्रोल्स, झूठे आरोप, इंडस्ट्री की राजनीति — सब कुछ झेलने के
बाद भी, दोनों एक-दूसरे की हिम्मत बनकर खड़े थे। लेकिन अब वक़्त था एक कदम और आगे बढ़ाने का।
आरव ने कुछ दिनों से एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया था — एक शॉर्ट फिल्म, जिसकी कहानी बिल्कुल उनकी ज़िंदगी से प्रेरित थी। और इस बार, उसने कहानी सिर्फ लिखी नहीं थी, डायरेक्ट भी वही कर रहा था।
कहानी का सेटअप:
लोकेशन — पुराना आर्ट स्टूडियो, साउथ मुंबई।
कहानी — एक आम लड़के और एक स्टार लड़की की मुलाकात, प्यार और संघर्ष।
लीड रोल — काव्या।
आरव ने जानबूझकर काव्या को कहानी की आखिरी लाइन नहीं बताई थी।
“कुछ सरप्राइज़ ज़रूरी होते हैं,” उसने मुस्कुराकर कहा था।
शूटिंग का दिन:
काव्या ने स्क्रिप्ट पढ़ते हुए पूछा, “ये सीन जहां हीरोइन सब कुछ छोड़कर हीरो के पास लौट आती है, रियल लाइफ से थोड़ा ज़्यादा फिल्मी नहीं लग रहा?”
आरव ने हँसते हुए कहा, “तू रियल लाइफ में भी तो उतनी ही फिल्मी है।”
“तू भी कम डायलॉगबाज़ नहीं,” उसने आँखें तरेरते हुए कहा।
शूट शुरू हुआ।
क्लाइमैक्स सीन में काव्या को एक पुराने पुल पर खड़ा होना था, और आरव (जो खुद कैमरे के पीछे था) की आवाज़ में उसे जवाब देना था।
डायलॉग कुछ यूँ थे —
“अगर मोहब्बत सच्ची हो तो रास्ते खुद-ब-खुद मिल जाते हैं। और अगर वो लड़की आज भी मुझसे प्यार करती है... तो वो वापस ज़रूर आएगी।”
काव्या ने कैमरे की ओर देखा, और धीरे-धीरे अपने डायलॉग बोले:
“वो लड़की आज भी तुझसे प्यार करती है... लेकिन अब सिर्फ तेरे पास लौटने नहीं, तेरा साथ निभाने आई है... ज़िंदगी भर के लिए।”
कैमरा कट हुआ।
पर शूट खत्म नहीं हुआ।
क्योंकि तभी पीछे से असली आरव सामने आया — हाथ में एक छोटा सा वेलवेट बॉक्स लिए।
काव्या हक्की-बक्की सी रह गई।
आरव घुटनों के बल बैठा, और कहा:
“ये कहानी अब अधूरी नहीं रहनी चाहिए। काव्या, तू सिर्फ मेरी फिल्म की हीरोइन नहीं, मेरी ज़िंदगी की भी सबसे ख़ूबसूरत कहानी है। क्या तू मुझसे शादी करेगी?”
पूरे क्रू की तालियों और हूटिंग के बीच काव्या की आँखें भर आईं।
उसने बिना कुछ कहे आरव को गले लगा लिया और धीरे से कान में कहा, “हाँ, स्ट्रगलर
शेक्सपियर, मैं तुझसे शादी करूँगी।”
रात को —
शूट खत्म होने के बाद दोनों पुराने कैफे में गए, जहाँ उनकी पहली बार ढंग से बातचीत हुई थी।
“याद है तूने यहीं पहली बार मुझे फिलॉसफर कहा था?” आरव ने मुस्कुराते हुए पूछा।
“और तूने कहा था — ‘मैं सच्चा हूँ।’ और तू वाकई सच्चा निकला,” काव्या ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।
चाय की चुस्कियों के बीच, आरव ने जेब से एक डायरी निकाली — वही पुरानी डायरी जिसमें वो रोज़ अपनी ज़िंदगी की बातें लिखता था।
काव्या ने पन्ने पलटे और एक लाइन पर अटक गई:
“जिस दिन ये लड़की मेरी ज़िंदगी में आई, उस दिन से हर पन्ना कहानी बन गया।”
वो मुस्कुरा उठी, “और अब ये डायरी पूरी होने वाली है।”
आरव ने कहा, “नहीं, ये डायरी अब नई किताब बनेगी — MUZE, तेरे नाम पर।”
अगले दिन —
उनकी सगाई की तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हो गईं। वही इंडस्ट्री जो कभी आरव को जानती भी नहीं थी, अब उसे “स्टोरीटेलर ऑफ द ईयर” बुला रही थी। और काव्या? वो अब सिर्फ एक स्टार नहीं, एक मिसाल बन गई थी — एक ऐसी लड़की जिसने प्यार के लिए हर मुश्किल का सामना किया।
रणविजय तक ने सोशल मीडिया पर लिखा:
“अब मानना पड़ेगा — ये जोड़ी वाकई एक-दूसरे के लिए बनी है। मुबारक हो।”
और दोनों ने जवाब में बस एक लाइन पोस्ट की:
“कभी-कभी दो लोग सिर्फ इसलिए मिलते हैं, ताकि वो साथ में एक नई कहानी लिख सकें।”
और उस रात, आरव ने अपनी डायरी में आखिरी पन्ने पर लिखा:
“जिस कहानी को मैंने एक फिक्शन समझकर लिखा था, वो अब मेरी हकीकत है। और ये हकीकत... मेरी सबसे प्यारी कहानी है।”