तभी किसी ने दूर नॉक किया।
एक नौकर ने डोर ओपन किया...
एवी बिना किसी परमिशन के अंदर आ गया।
रात्रि शॉक्ड हो गई एवी को यहां देखकर।
उसे लगा कि एवी और अगस्त्य फिर न लड़ें।
उसने एवी को रास्ते में रोका और बोली:
रात्रि: एवी, तुम यहां कैसे???
एवी (गुस्से में): वो सब छोड़ो... तुम ये बताओ, इसने तुम्हें यहां क्यों बुलाया?
रात्रि कुछ बोलती उससे पहले ही अगस्त्य बोल पड़ा:
अगस्त्य: मैंने नहीं बुलाया इसे, इसका मुझसे मिलने का मन हुआ तो आ गई... तुझे क्यों दिक्कत हो रही है?
एवी (गुस्से में): दिक्कत तो अब तुझे होगी...!
वो आगे बढ़ने लगा।
रात्रि ने उसे रोक लिया और बोली:
रात्रि: एवी... उसने मुझे नहीं बुलाया... मैं खुद आई थी।
एवी: तुम खुद...? पर क्यों?
रात्रि: बताती हूं, अभी तुम ताजे से चलो, प्लीज़।
रात्रि उसका हाथ पकड़ कर उसे ले गई।
अगस्त्य दोनों को साथ जाते हुए देखता रह गया।
अर्जुन आया और बोला:
अर्जुन: भाई... रात्रि कहां गई?
अगस्त्य: वो चली गई अपने बॉयफ्रेंड के साथ।
अर्जुन: ओह! तो एवी यहां आया था?
अगस्त्य उसको अलग सी नजरों से देखने लगा:
अगस्त्य: तुझे कैसे पता कि मैं एवी की ही बात कर रहा हूं?
अर्जुन कॉन्शियस हो गया और बोला:
अर्जुन: अरे मतलब, आप एवी को ही बोलते हो न ऐसे... इसलिए मुझे लगा कि...
इतना बोल कर वो निकल गया।
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दूसरी तरफ
एवी और रात्रि कार में।
एवी ड्राइव कर रहा है।
एवी: हां बोलो, तुम वहां अकेले क्यों गई? ऐसी क्या ज़रूरत पड़ गई?
रात्रि: तुम्हें पता है ना, मीडिया में कैसी-कैसी बातें हो रही हैं मेरे बारे में... ये सब उसकी वजह से हुआ है!
एवी: उसका कोई सीरियस इश्यू है हमसे...!
रात्रि: तुम्हें कैसे पता कि मैं यहां हूं?
एवी: तुम्हारी मॉम का कॉल आया था कि तुम गुस्से में कहीं चली गई हो... मैंने अंदाज़ा लगाया कि यहीं आई होगी।
रात्रि अब किसी सोच में पड़ गई।
एवी: तुम किस सोच में पड़ गई?
रात्रि कुछ न सुन पाई और सोच में ही है।
एवी ने चुटकी बजाई:
एवी: ओ हेलो...!
रात्रि का ध्यान टूटा:
रात्रि: हां... क्या हुआ???
एवी: किस सोच में थी?
रात्रि: अविराज... तुम्हें मेरे पहले जीवन में ऐसा कोई याद है, जिसे मुझे याद होना चाहिए था?
एवी (शॉक्ड): क्या...? तुम्हें क्या-क्या याद है??? तुम्हें क्या-क्या याद है?
रात्रि: मुझे मेरी पूरी कहानी याद नहीं है! इतना पता है कि तुम मुझसे प्रेम करते थे, तुमने मुझे जीता, मेरे लिए विवाह से मना किया, मेरे लिए युद्ध पर गए, तुम वापस आए और हमारा विवाह हुआ...?
एवी (हैरान होकर खुद से): ये कैसी कहानी याद है उसे?
रात्रि: क्या हुआ? तुम मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो?
एवी: और कुछ?
रात्रि: नहीं, क्यों? मैं कुछ भूल रही हूं क्या?
एवी: नहीं... कुछ नहीं, बिल्कुल नहीं... और तुम्हारे पिछले जीवन में ऐसा कोई नहीं जिसे तुम्हें याद रखना चाहिए।
रात्रि (खुद से): तो वो क्या बोल रहा था?
इतने में रात्रि का घर आ गया।
एवी: तुम्हारा घर आ गया... जाओ, और हां... ज़्यादा मत सोचना।
रात्रि: हम्म...?
वो चला गया और गाड़ी में सोचने लगा:
एवी (सोचते हुए): क्या उसे सच में कुछ याद नहीं...? फिर तो उसे वो भी याद नहीं होगा।
इसका मतलब अब रात्रि मेरी हो सकती है?
क्या ऐसा हो सकता है...?
क्या मेरा ये सपना कभी पूरा होगा???
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रात्रि घर पहुंची।
मेघा: कहां थी तू? कहां गई थी? तूने मेरी जान निकाल दी थी!
वो मेघा के गले लग गई और बोली:
रात्रि: मां... क्या सबकी ज़िंदगी में इतनी प्रॉब्लम होती हैं, या मुझे कुछ स्पेशल हुआ है?
मेघा: ये कैसी बात कर रही है? क्या हुआ?
रात्रि कुछ न बोली।
मेघा: बेटा, ज़िंदगी का ये नियम है... सबको जीवन में कोई न कोई सवाल दिए जाते हैं, और उनके जवाबों को ही जीवन कहते हैं।
तू इतना मत सोच... और अगर कोई बात है, तो मुझे बता।
रात्रि: हम्म...!
और वो अपने रूम में चली गई।
Agastya house
अगस्त्य नीचे हॉल में बैठ कर ड्रिंक कर रहा है और शायद कुछ ज़्यादा ही पी ली है।
अर्जुन आया और बोला:
अर्जुन: भाई... मैं भी ज्वाइन करूं क्या?
अगस्त्य: क्यों... तेरी शूटिंग नहीं है क्या?
अर्जुन: आपने जो एवी के साथ किया है, उसकी वजह से शूटिंग दो दिन के लिए टालनी पड़ी।
और अर्जुन ने भी अपने ग्लास में थोड़ी सी ड्रिंक बनाई और एक सिप ली...
अगस्त्य: शायद इससे ही थोड़ी प्रॉब्लम कम हो लाइफ की।
अर्जुन: भाई, आपने ज़्यादा पी ली है। अब आपको रेस्ट करना चाहिए।
अगस्त्य (नशे में): हम्म... तू बड़ा है या मैं? तू मुझे ऑर्डर क्यों दे रहा है?
अर्जुन उसका हाथ पकड़ कर उसे उठाने लगा और बोला:
अर्जुन: उठो भाई, उठो...
अगस्त्य (नशे में): ए... चुप...! वो बोलती है चुप चुप चुप... तू बोलता है उठ उठ उठ! मुझे पागल समझा है क्या?
अर्जुन कुछ समझ नहीं पाया।
अगस्त्य (नशे में): मैंने उससे पूछा...! मुझे जानती हो क्या नहीं...? वो कुछ नहीं बोली। फिर मैंने गुस्से में पूछा कि मुझे जानती हो...? तो बोली - नहीं!
अर्जुन: भाई, शांत हो जाओ।
अगस्त्य पूरी तरह नशे में: मुझे गुस्सा नहीं करना चाहिए था न...?
अर्जुन उसे सहारा देकर ऊपर ले गया और बेड पर सुला दिया।
अगस्त्य कुछ बोल रहा है लेकिन अब कुछ समझ नहीं आ रहा।
अर्जुन को पूरी तरह तो नहीं, लेकिन कुछ-कुछ समझ आ रहा है।
और शक और अंदाज़े के बेस पर उसने पूरी कहानी तैयार कर ली...
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दूसरी तरफ — रात्रि सो रही है।
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प्रणाली ने अपनी आंखें खोली।
खून तो गिर रहा है लेकिन उसका नहीं — उस पेड़ वाले युवक का, जो अब नीचे प्रणाली और उस चाकू के बीच अपना फौलाद-सा हाथ लगाकर खड़ा है।
उसे चोट लगी है, पर उसी हाथ से उसने एक ज़ोरदार मोड़ मारी और वो गुंडा पलट कर गिरा।
बाकी लड़ने के अंदाज़ से वो कोई आम इंसान नहीं — अच्छा-खासा योद्धा लग रहा है।
दोनों ने सबको सबक सिखाया और मार गिराया।
प्रणाली: तुम्हारे हाथ में चोट लगी है।
वो व्यक्ति: तुम्हारी वजह से लगी है!
प्रणाली चिढ़ गई: मैंने तो नहीं मांगी तुम्हारी मदद, और अगर तुम मुझे बातों में उलझाते नहीं तो, तुम्हारी ज़रूरत भी नहीं पड़ती।
वो व्यक्ति: हां, तुम तो बहुत बहादुर हो न...?
प्रणाली (चिढ़कर): हां, वो तो हूं!
(और अपनी टोकरी उठाकर घूंघट डालकर जाने लगी)
तभी वो व्यक्ति बोला: चूहा...
प्रणाली डर गई और उसके हाथ से वो टोकरी जाकर ऊपर पेड़ पर अटक गई।
वो फिसली और उस व्यक्ति की बाहों में जा गिरी, और उन दोनों पर फूलों की बारिश हो गई...
प्रणाली ने अब उस व्यक्ति को ध्यान से देखा —
वो लंबी चौड़ी डील-डौल वाला, एक छह फुट का, गेरुआ रंग और काले बिखरे बालों वाला एक बहुत ही आकर्षक लड़का था।
वो लड़का भी अब प्रणाली को ध्यान से देखने लगा।
कपड़े तो उसके बिल्कुल साधारण थे, पर उसकी सादगी उस लड़के को छू गई।
प्रणाली की गहरी भूरी आंखें, खुले बाल, और वो नाज़ुक-सा शरीर — शेरनी जैसी हिम्मत... शायद ही कहीं और मिले।
वो लड़का बोला: अच्छा... तो तुम फूल वाली हो?
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और उसकी आंख खुली।
रात्रि: फिर एक सपना... ये ज़रूर अविराज होगा।
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सुबह-सुबह उसका फोन बजा।
ये कोई अननोन नंबर है।
रात्रि: हेलो...?
कॉल पर: हेलो... मिस रात्रि मित्तल बात कर रही हैं?
रात्रि: हां जी, बोलिए...
कॉल पर: मैं एवी सर के घर से बात कर रहा हूं।
रात्रि: हां...
कॉल पर: जी, कल से एवी सर को बहुत तेज़ बुखार है और वो बस आपका नाम ले रहे हैं।
रात्रि थोड़ी परेशान हुई: कल तक तो ठीक था, अचानक क्या हुआ?
कॉल पर: वो तो नहीं पता... पर आप आ जाएंगी तो थोड़ा ठीक होगा। उनके डैड भी यहां नहीं हैं, तो वो बहुत अकेले हैं।
रात्रि: ठीक है... मैं आती हूं।
(कॉल कट)
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रात्रि तैयार होने लगी। तभी अनुज आया रूम में।
रात्रि: भईया आप...? आइए न...
अनुज अंदर आया और रात्रि के माथे पर हाथ लगाया और बोला:
अनुज: क्या तू ठीक है?
रात्रि: हम्म... मुझे क्या होगा।
अनुज: कुछ भी हो जाए, तेरा भाई हमेशा तेरे साथ है।
वो अनुज के गले लगी:
रात्रि: मुझे पता है भैया...
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दूसरी तरफ — एवी लेटा हुआ अपनी पुरानी याद को सोच रहा है।
(Flashback शुरू)
अविराज: प्रणाली... सामने आइए, मुझे पता है आप यहीं हैं।
प्रणाली सोचने लगी — उसे कैसे पता चला?
वो नम आंखों से उसके सामने आई।
अविराज ने अपने गले से एक माला निकाली और प्रणाली के गले में डाल दी, और बोला:
अविराज: महाराज... आपकी पुत्री अब हमारी अमानत है। ध्यान रखिएगा, ये सीकरपुर की कुलवधू है।
अविराज ने प्रणाली के आंसू पोंछे और बोला:
अविराज: तुम्हारी खुशी के लिए तुमसे दूर जा रहा हूं... मेरे लिए अपना खयाल रखना।
प्रणाली: तुम सच में किसी युद्ध पर जा रहे हो?
अविराज: हम्म...
(अविराज जाने लगता है)
प्रणाली: तुम भी अपना खयाल रखना...? मुझे मेरा सबसे अच्छा दोस्त और मेरे होने वाले पति सही-सलामत चाहिए।
अविराज (नम हो गया): ज़रूर...
(और चला गया)
(Flashback End)
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रात्रि एवी के घर के लिए निकली और खुद से बात कर रही है:
रात्रि: पता नहीं क्या हुआ उसे... कहीं ये कल की लड़ाई की वजह से तो नहीं हुआ...?
अरे यार... अब दोनों को लड़ने का एक और टॉपिक मिल जाएगा।
दोनों पिछले जन्म में जानी दुश्मन होंगे, इतना लड़ते hai
रात्रि उसके घर पहुंच गई।
बेल रिंग की।
नौकर ने डोर ओपन किया।
नौकर: आप आ गईं, साब ऊपर हैं।
रात्रि: ओके।
वो ऊपर जाने लगी।
एवी के कमरे में बिलकुल अंधेरा है।
रात्रि (धीरे से): एवी... इतना अंधेरा क्यों है? तुम सो रहे हो क्या...?
तभी हल्की सी लाइट का फोकस रात्रि पर आया और अचानक सारी लाइट्स जल गईं...
इतनी सुंदर सजावट — चारों तरफ सितारों वाली लाइट्स, फूलों और प्रणाली की पेंटिंग से सजा हुआ कमरा, फूल उसकी राहों में बिछे हुए... एक टेबल...
एवी उसके पास आया, उसका हाथ थामा और अपने साथ उन फूलों पर चलाकर उसे पेंटिंग तक लाया...
एवी: रात्रि, इससे मिलो — ये है प्रणाली, मेरा पहला प्यार।
और अब... (पेंटिंग की तरफ देखकर बोला) प्रणाली... इससे मिलो — ये है मेरा आख़िरी प्यार।
एवी (धीरे से): किसी को कैसे प्यार न हो इस शख्स से...
रात्रि मुस्कुराई और बोली: ये क्या बोल रहे हो... ये तो मैं ही हूं!
एवी: हां तो मैं भी तो सच बोल रहा हूं।
एवी: तुम्हें याद है...? एक कहानी सुनाता हूं तुम्हें।
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(Flashback शुरू)
महाराज अग्रेण की पुत्री के रूप में एक लड़की ने जन्म लिया, जिसका नाम था — राजकुमारी प्रणाली।
प्रणाली एक बेइंतहा खूबसूरत और उतनी ही बुद्धिमान स्त्री थी।
किंतु अभी तक राजा अग्रेण को ये नहीं पता था कि प्रणाली में परी की शक्तियां हैं या नहीं।
अगर ऐसा हुआ तो बीजापुर को उसका खोया हुआ रुतबा वापस मिल जाएगा...
आज प्रणाली बहुत खुश है, क्योंकि कल उसका सबसे प्यारा दोस्त वापस आने वाला है।
प्रणाली अपनी दासियों के साथ बाग में है और घूम रही है,
तभी किसी ने सामने पेड़ से कूद कर उसे डरा दिया — प्रणाली के तो जैसे प्राण ही निकल गए!
फिर उसने होश संभाला और सामने देखा...
प्रणाली: अविराज...? तुम यहां...? आज...? तुम तो कल आने वाले थे?
अविराज (हँसते हुए): हां... आने वाला तो था, फिर मैंने सोचा — अपनी होने वाली रानी से एक दिन पहले मिल लूं।
प्रणाली (शरारत से): अच्छा जी... अगर तुम्हारे पिताजी को पता चला कि तुम अपने राज्य अभिषेक से पहले... दूसरे राज्य की स्त्रियों पर डोरे डाल रहे हो, तो तुमसे पहले हमारा सर कलम करवा देंगे।
अविराज (गुस्से में झूठमूठ): खबरदार! जो मरने-मारने की बात की तो।
और दूसरी बात... पराई स्त्री के लिए मेरे पास समय नहीं है।
मेरे दिल, दिमाग, और वक्त... सब पर बस एक ही नाम लिखा है — प्रणाली, प्रणाली और प्रणाली!
प्रणाली: वो सब तो ठीक है लेकिन तुम पहले मुझे पकड़ के तो दिखाओ!
तुम मुझे नहीं पकड़ पाओगे, अविराज!
अविराज: अच्छा, तो ये बात है...? तो भागो — मैं भी देखूं!
(दोनों भागने लगते हैं। अविराज ने प्रणाली को पीछे से पकड़ लिया और प्यार से गले लगा लिया।)
प्रणाली (शरारती अंदाज़ में): वो देखो, मेरी दासी आ गई!
अब तो तुम्हारे पिताजी को पता चल जाएगा कि तुम कहां हो...
अविराज डर गया और बोला: क्या...? कहां...? कहां...? मैं छुप जाता हूं!
(प्रणाली ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगी)
प्रणाली: अरे वाह! क्या बहादुरी है तुम्हारी!
अविराज ने प्रणाली को देखा और मुस्कराया: तुम...
प्रणाली: अच्छा ठीक है, अभी तुम्हें जाना चाहिए। वरना सच में कोई आ जाएगा।
तुम्हारा राज्य अभिषेक है अगले हफ्ते।
अविराज: अभी जा रहा हूं। लेकिन आऊंगा... और इस बार तुम्हें जीत कर ले जाऊंगा।
(वो चला गया...)
Narration: अविराज सीकरपुर का राजकुमार है और रहा माहेंन का पुत्र।
बीजापुर और सीकरपुर के संबंध बहुत अच्छे हैं।
दोनों के पिता घनिष्ठ मित्र भी हैं।
इसलिए दोनों एक-दूसरे को बचपन से जानते थे...
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(Flashback End)
एवी (धीरे से):
कितनी पुरानी ये कहानी है...
उतनी ही पुरानी है — मेरी इश्क की उम्र भी...
रात्रि (इमोशनल होकर): मैं जानती हूं तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो...
और ये सरप्राइज़ भी बहुत प्यारा है।
पर मुझे समझ नहीं आ रहा कि इस प्यार का बदला मैं कैसे चुकाऊं...