Your company and your shadow too – the incomplete story of Dheeru and Khushboo in Hindi Short Stories by Dhiru singh books and stories PDF | तेरा साथ भी, तेरा साया भी – धीरु और खुशबू की अधूरी दास्तां

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तेरा साथ भी, तेरा साया भी – धीरु और खुशबू की अधूरी दास्तां

धीरु सिंह, एक शांत लेकिन रहस्यमयी युवक, जिसकी आंखों में दर्द भी था और इरादों में कोई चुप्पी भी थी, छोटे से गांव रतनपुर में अपने दादी के साथ रहता था, मां-बाप की मौत बचपन में एक भयानक हादसे में हो गई थी, और तब से धीरु का दिल कभी पूरी तरह हंसा नहीं था, लेकिन वह हर किसी की मदद करता था, बच्चों को पढ़ाता, बड़ों की सेवा करता, और उस पर गांव की हर लड़की का दिल आ जाता, पर धीरु किसी की आंखों में ठहरता नहीं था, जब तक उसकी जिंदगी में खुशबू की एंट्री नहीं होती, खुशबू शहर से आई थी, गांव में अपने नाना-नानी के पास रहने कुछ महीनों के लिए आई थी, पढ़ाई से ब्रेक लेने के लिए, और जैसे ही उसकी नजरें धीरु से मिली, उसे लगा जैसे किसी पहाड़ी झरने ने उसकी रूह छू ली हो, वह उस दिन गांव के मंदिर में पहली बार धीरु को देखी थी, सफेद कुर्ता पहने, माथे पर तिलक और आंखों में चुप सा समुंदर लिए हुए, वो जैसे किसी दूसरी दुनिया का इंसान था, और फिर हर दिन, खुशबू उसे दूर से देखने लगी, कभी तालाब के पास, कभी स्कूल के बाहर, और फिर एक दिन हिम्मत कर वो उसके पास पहुंची, "तुम बहुत अलग हो…" धीरु ने मुस्कराते हुए कहा, "अलग नहीं, बस अधूरा हूँ शायद", वो जवाब सुनते ही खुशबू को समझ आ गया कि इस लड़के की रूह में कुछ ऐसा है जो उसे हर दिन खींचता रहेगा, फिर दोनों की मुलाकातें बढ़ीं, खेतों में टहलना, पुरानी हवेली के पास बैठना, पेड़ों के नीचे किताबें पढ़ना और चुपचाप एक-दूसरे को महसूस करना, लेकिन एक दिन जब दोनों उस पुरानी हवेली के पास गए, खुशबू ने महसूस किया कि धीरु हर बार उस हवेली को देखते ही थोड़ी देर के लिए चुप हो जाता है, उसका चेहरा पीला पड़ जाता है, और जैसे ही हवेली की बात होती, वह बात को टाल देता, खुशबू ने एक दिन पूछ ही लिया, "इस हवेली से तुम्हारा क्या रिश्ता है?" धीरु की आंखों में कुछ पल के लिए आंसू तैर गए, लेकिन वो बोला नहीं, फिर कुछ दिनों बाद, बारिश की रात, जब गांव में बिजली नहीं थी, धीरु ने खुद बुलाया खुशबू को उस हवेली के पास, और कहा, "आज सब बताऊंगा", हवेली की दीवारें टूटी हुई थीं, पर दरवाजा अब भी डराता था, अंदर जाते ही ठंडी हवा का झोंका दोनों को चुभ गया, और फिर धीरु ने कहा, "इस हवेली में मेरी मां और पापा को जिंदा जला दिया गया था", खुशबू सिहर उठी, "किसने?" धीरु की आंखों में आग थी, "गांव के कुछ ताकतवर लोग, जिन्होंने मेरे पापा से जमीन हड़पने की कोशिश की थी, मां ने सच बोल दिया था, तो सबको मार डाला", "तुम कैसे बचे?" "मैं एक खिड़की से भाग गया था, लेकिन वो रात अब भी मेरा पीछा करती है", तभी हवेली की दीवारें कांपने लगीं, और एक तेज चीख गूंजी, "धीरूऊऊऊ!", खुशबू डर के मारे कांप गई, पर धीरु शांत खड़ा रहा, "ये मेरी मां की आत्मा है, जो अब भी यहीं है, उसे शांति नहीं मिली", खुशबू ने डर कर कहा, "यहां से चलो", पर धीरु ने उसका हाथ पकड़ लिया, "तुमसे प्यार करता हूँ खुशबू, और जब तुम साथ हो तो अब किसी डर से डर नहीं लगता", वो पल दोनों के लिए खास था, पर तभी कुछ गिरा, एक भारी चीज, और पीछे से आवाज आई, "इसने हमें जला डाला था…अब तू जलेगा", एक परछाई दीवार से निकली और धीरु पर टूट पड़ी, खुशबू चिल्लाई, "नहीं!", उसने पास रखी दीपक की लौ लेकर परछाई की तरफ फेंकी, और हवा तेज हुई, दीवारों से लाल खून बहने लगा, पर छाया फिर गायब हो गई, अगले दिन गांव में चर्चा थी कि हवेली में कुछ तो है, लेकिन कोई अब भी वहां जाता नहीं, धीरु ने बताया कि उसकी मां की आत्मा अब खुश है, क्योंकि खुशबू ने बिना डरे उसका साथ दिया, अब वो हवेली एक मंदिर में बदल दी गई, जहां लोग दीप जलाने आते हैं, और धीरु और खुशबू का रिश्ता अब और भी गहरा हो गया था, लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं होती...

एक दिन जब दोनों शादी की बात करने वाले थे, गांव में एक नया चेहरा आया – एक तांत्रिक, जो दावा करता था कि हवेली में अब भी एक शैतानी आत्मा है, जो धीरु से बदला लेना चाहती है, धीरु ने उसे मजाक समझा, पर कुछ ही दिनों में गांव में अजीब घटनाएं होने लगीं, बच्चों का गायब होना, रात में चीखें, और सबसे डरावना – खुशबू के कमरे में खुद-ब-खुद दरवाजों का खुलना-बंद होना, खुशबू ने देखा कि एक औरत की परछाई उसके पीछे चलती है, और आईने में वो खुद को नहीं बल्कि किसी और को देखती है, वो डर के मारे रोने लगी, धीरु ने एक रात ध्यान दिया कि खुशबू कुछ अजीब तरह से बर्ताव कर रही है, उसकी आंखें लाल, आवाज भारी और चेहरा अलग, "तुम खुशबू नहीं हो", उसने चिल्लाकर कहा, तभी खुशबू बेहोश हो गई, तांत्रिक को बुलाया गया, जिसने कहा, "इस पर एक शैतानी आत्मा का साया है, जो तुमसे जुड़ी है धीरु", तांत्रिक ने हवन किया, मंत्र पढ़े, और खुशबू की आत्मा को मुक्त किया, पर जाते-जाते आत्मा एक वाक्य छोड़ गई, "तेरा प्यार तो मिला, पर मेरी मौत का बदला नहीं", सब चुप हो गए, तब तांत्रिक ने कहा, "कोई आत्मा तब तक चैन नहीं पाती जब तक उसका अधूरा काम पूरा न हो", तब धीरु ने कसम खाई कि अपने मां-बाप के कातिलों को कानून के हवाले करेगा, उसने सबूत इकट्ठा किए, पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई, और अंततः वो चार लोग पकड़े गए, कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद दी, तभी धीरु की मां की आत्मा एक रात सपने में आई और बोली, "अब तुझे आशीर्वाद देती हूँ बेटा, अब मैं मुक्त हूँ", अगली सुबह धीरु का चेहरा और भी शांत था, और खुशबू अब पूरी तरह ठीक, दोनों ने मंदिर में शादी की, उसी हवेली के सामने, जहां अब शांति थी, पेड़ हरे हो गए थे, और जहां डर था वहां अब प्रेम की छाया थी, गांव वाले अब उन्हें ‘प्रेम का प्रतीक’ कहते थे, लेकिन रात को जब सब सोते हैं, हवेली से कभी-कभी वो पुरानी चीख अब भी आती है, शायद कोई और आत्मा अब भी मुक्ति की राह देख रही है, पर जब तक धीरु और खुशबू साथ हैं, कोई भी डर टिक नहीं सकता, क्योंकि उनका प्यार सिर्फ इंसानी नहीं, रूहानी था – एक ऐसा बंधन जो मौत से भी बड़ा था।