कहते हैं कि हर इंसान की ज़िंदगी में कोई न कोई ऐसा होता है जिसे वो चाहकर भी भुला नहीं पाता। Dhiru की ज़िंदगी में ऐसे चार नाम थे – Simran, Sonam, Bhumi, और एक अधूरा एहसास।
Dhiru एक सीधा-सादा लड़का था, जिसकी दुनिया किताबों और ख्वाबों में ही सिमटी थी। कॉलेज का पहला दिन था जब उसने Simran को पहली बार देखा – एक शांत, गहरी आंखों वाली लड़की जो खामोश रहते हुए भी बहुत कुछ कहती थी। Dhiru को पहली ही नजर में कुछ महसूस हुआ, लेकिन उसने इसे सिर्फ आकर्षण समझकर अनदेखा किया।
धीरे-धीरे Simran और Dhiru की दोस्ती गहराने लगी। वो दोनों लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ते, कैंटीन में एक ही टेबल शेयर करते, और घंटों छत पर खामोश रहकर चांद को निहारते। पर Simran के मन में कोई और बसता था – Kabir। वो अक्सर Dhiru से उसकी बातें किया करती थी। Dhiru सब सुनता रहता, मुस्कुराता रहता, लेकिन अंदर से टूटता रहता।
Simran को कभी ये अहसास नहीं हुआ कि Dhiru उसे कितना चाहता था। Dhiru ने कभी कहने की कोशिश भी नहीं की, क्योंकि उसे Simran की मुस्कान में ही अपना प्यार नजर आता था।
फिर एक दिन, Simran ने Kabir को आखिरी बार फोन किया और सिसकते हुए कहा, “अब और इंतज़ार नहीं कर सकती...”। Kabir ने सिर्फ एक लाइन में जवाब दिया – “हमारा साथ यहीं तक था।”
उस दिन Simran पूरी तरह टूट गई। Dhiru ने उसे संभाला, चुपचाप उसके आंसुओं को अपने दिल में समेट लिया। लेकिन उस रात के बाद, Simran ने धीरे-धीरे खुद को Dhiru से दूर कर लिया। शायद उसे एहसास हो गया था कि Dhiru उससे कितना प्यार करता है।
कुछ समय बाद, Dhiru की जिंदगी में आई Sonam। Sonam बिल्कुल अलग थी – हँसमुख, बोलचाल में तेज, हर समय कुछ न कुछ शरारत करती रहती। वो Dhiru की खामोशी को चुपचाप पढ़ लेती थी। उसने Dhiru से दो टूक कहा – “तुम Simran को भुला नहीं सकते, लेकिन क्या मुझे थोड़ा सा अपनाने की कोशिश कर सकते हो?”
Dhiru ने कोशिश की। उसने खुद को Sonam के साथ बदलने की कोशिश की। लेकिन दिल का रिश्ता जबरदस्ती नहीं बनता। एक दिन Sonam ने कहा – “मैं जा रही हूं, तुम्हारी जिंदगी में कभी भी सिर्फ एक जगह थी, जो किसी और की थी... मैं सिर्फ उसका इंतज़ार कर रही थी कि शायद खाली हो जाए... लेकिन अब मैं थक गई हूं।”
Sonam चली गई। Dhiru फिर अकेला रह गया।
सालों बीत गए।
अब Dhiru एक स्कूल में पढ़ाता था। वहीं पर उसकी मुलाकात हुई Bhumi से – एक सुलझी हुई, समझदार और बेहद संवेदनशील लड़की। Bhumi ने कभी Dhiru से उसके अतीत के बारे में ज्यादा नहीं पूछा। वो बस इतना जानती थी कि Dhiru एक टूटा हुआ इंसान है, जिसे सच्चे प्यार की ज़रूरत है।
Dhiru और Bhumi की नजदीकियां बढ़ीं। वो दोनों साथ चाय पीते, लॉन्ग वॉक पर जाते, और बिना बोले घंटों एक-दूसरे के पास बैठते। Bhumi ने धीरे-धीरे Dhiru के दिल की दीवारों को तोड़ना शुरू किया।
एक दिन Bhumi ने Dhiru से कहा –
“क्या तुम मुझसे प्यार करते हो?”
Dhiru चुप रहा।
“क्या तुम आज भी Simran या Sonam को याद करते हो?”
Dhiru की आंखों में आंसू थे।
“तो फिर मैं तुम्हारी क्या हूं?”
Dhiru सिर्फ इतना कह सका –
“तुम वो हो, जो मेरी अधूरी कहानी को मुकम्मल बना सकती थी... लेकिन मैं अब भी अधूरा हूं।”
भूमि ने कुछ नहीं कहा। वो बस मुस्कराई और वहां से चली गई – हमेशा के लिए।
आज Dhiru एक मशहूर लेखक है। वो अपनी कहानियों में Simran की खामोशी, Sonam की मुस्कान और Bhumi की आँखों का दर्द बयां करता है।