Samraat - Apne Sach se Anjaan - 9 in Hindi Anything by Khushwant Singh books and stories PDF | सम्राट- अपने सच से अनजान - 9

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सम्राट- अपने सच से अनजान - 9

पिछली कहानी में हमने पढा़ कि सम्राट और आयांशी की एक बार फिर मुलाकात होती हैं। 

अब आगे....... 

            आयांशी अपनी कार में बैठकर राजपुत विला से चली जाती है पर सम्राट अभी भी वहीं खडा़ था। आयांशी के जाने के बाद सम्राट विला के अंदर आता है तो वो देखता है कि प्रीत और नैना जी उसे एक श़क की नज़र से देख रहे थे। पर सम्राट उन्हें ऐसे देखकर वहाँ से अपने कमरे में चला जाता हैं। सम्राट को ऐसे जाते देख नैना जी और प्रीत एक-दूसरे को ही देखे जा रही थीं। 

आयांशी का घर

आयांशी जैसे ही अपने घर पहुँचती है वो अपना पर्स गुस्से में हॉल में रखे सोफे पर फेंक वहाँ से अपने कमरे में चली जाती हैं। आयांशी अपने कमरे में आते ही शीशे के सामने खडी़ हो जाती हैं। और खुद से ही बोलती हैं- उस डे़विल की हिम्मत कैसे हुई मुझे छूने की और मुझे उसने किस कैसे किया??? यह सब बोलकर वो खुदको आईने में देखती हैं तो वो पाती हैं कि उसके लिप्स से हल्का सा खून निकल रहा है और उसके हाथ पर लगी चोंट का निशान अब नीला पड़ गया था। यह सब देखकर उसकी आँखों से आँसू निकलने लगते है और वो जाकर अपने बेड़ पर रोती हुई सो जाती हैं। 

तीन दिन बाद

रात के 8 बजे.....

      आयांशी अपने पैरेन्टस के साथ बैठकर डिनर कर रही थी कि तभी उसके फॉन पर किसी का कॉल आता हैं। वो फॉन चेक करती है तो देखती है कि वो तो प्रीत का कॉल आ रहा था। वो जल्दी से कॉल रिसीव करती है तभी प्रीत- हाय आयांशी।

आयांशी- हाय प्रीत, बोलो क्या हुआ। तुमने इतनी रात को कॉल किया। सब ठीक हैना।

प्रीत- ओहो! तुम इतनी मत घबराओं यहाँ सब ठीक हैं। तुम्हें यह बताने के लिए कॉल किया था कि कल विजय और वियांशी का 23rd बर्थडे़ है सो तुम्हें कल हमारे घर पार्टि में आना हैं। 

घर आने का सुनकर आयांशी को सम्राट की सब बातें याद आती है तो वो जल्दी से प्रीत को मना कर देती है कि वो नहीं आ पाएगी।

प्रीत- अगर तुम नहीं आई तो मैं सम्राट भाईसाहब को तुम्हें लेने भेजूँगी। 

सम्राट का नाम सुनते ही आयांशी ड़र जाती है और वो पार्टि में जाने के लिए हाँ बोल देती हैं। 

प्रीत-  ओके! तो तुम कल शाम को 6 बजे के राजपुत विला आ जाना। ठीक हैं।

फिर प्रीत कॉल कट कर देती हैं। आयांशी राजपुत विला का नाम सुनते ही घबरा जाती है और खाना छोड़कर कमरे में चली जाती हैं। वो मन ही मन खुद को समझाती हैं कि कल वैसा कुछ नहीं होगा और वो कल सम्राट के सामने तो बिल्कुल ही नहीं जाएगी। 

अगले दिन लगभग 4 बजे 

आयांशी तैयार हो रही थी पर अभी भी वो सब बातें उसके माइंड़ में घुम रही थी और जैसे-तैसे तैयार होकर खुदके मन को शांत करती हैं। और अपनी कार में बैठकर राजपुत विला के लिए निकल जाती हैं।

राजपुत विला

आयांशी अपनी कार से उतरती है और राजपुत विला के अंदर जाने के लिए आगे बढ़ती है पर उसके कदम आगे बढ़ ही नहीं रहे थे। वो मन को मनाकर अंदर जाती है और सामने का नजा़रा देख वो शोक्ड़ हो जाती हैं।