Chandrvanshi - 2 - 2.1 in Hindi Women Focused by yuvrajsinh Jadav books and stories PDF | चंद्रवंशी - अध्याय 2 - अंक 2.1

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चंद्रवंशी - अध्याय 2 - अंक 2.1


शहर के बिलकुल बीचों-बीच चार रास्तों पर एक बड़ी बिल्डिंग थी और वह भी पूरी काँच की। “श्रीवास्तव पावर कॉम्प्लेक्स” वह बिल्डिंग का नाम अंग्रेज़ी में लिखा हुआ था। वह नाम साधारण बोर्ड पर नहीं बल्कि डिजिटल बोर्ड पर लिखा गया था, जिससे रात में भी उसका नाम दिखता रहे।

जीद टैक्सी की खिड़की से रास्ते पर एक साथ चल रही कई गाड़ियों और बसों को देखकर ही चौंक गई थी। जीद को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वह लंदन आ गई हो। जीद की नजर उस बिल्डिंग पर पड़ी। बिल्डिंग को देखते ही उसकी नजर डिजिटल बोर्ड पर अटक गई। जीद एकटक होकर देखने लगी, जिस पर लिखे नाम के अक्षरों का रंग एक के बाद एक बदलता रहता था।

थोड़ी ही देर में दूर से दिखने वाली वह बिल्डिंग बिलकुल पास आ गई और उसी बिल्डिंग के पास उनकी टैक्सी रुक गई। माही ने ड्राइवर को टैक्सी का किराया दिया।

“हमको इस बिल्डिंग में जाना है?” जीद ने माही की तरफ देखकर पूछा।

“हाँ, यही हमारी ऑफिस है। यहीं हमें काम करना है।” माही ने हँसते हुए जवाब दिया।

बिल्डिंग की दूसरी मंज़िल पर उनकी ऑफिस थी। ऑफिस पहुँचकर माही जीद को पहले से ही उसके मेम यानी ऑफिस के मुख्य सदस्य के पास ले जाती है और ऑफिस के बाहर खड़े होकर माही बोली, “कमिंग मेम।”

जैसे ही आवाज़ ऑफिस में बैठी श्रेया के कानों में गई, अंदर से आवाज़ आई, “यस श्योर।”

माही और जीद दोनों ऑफिस में जाती हैं। तो श्रेया जीद की तरफ देखकर बोली, “हाय, आई ऐम श्रेया।”

“नाइस टू मीट यू मेम। आई ऐम जीद।”

“केन यू स्पीक हिंदी एंड इंग्लिश?” श्रेया ने जीद की तरफ देखकर एक सवाल किया।

“यस मेम, आई केन स्पीक हिंदी एंड इंग्लिश।” जीद ने हामी भरते हुए कहा।

माही के हाथ में एक फाइल थी। श्रेया माही की तरफ मुँह करके बोली, “सो माही, ये फाइल जीद की ही है न?”

“हाँ मेम।”

“ये फाइल मुझे दे दो और तुम काम पर लग जाओ।”

माही जीद की तरफ देखकर हिचकिचाते हुए बोली, “मेम रुकीए, इसमें कुछ पर्सनल यादें भी हैं, तो मैं उसे निकाल कर आपको देती हूँ।”

श्रेया तुरंत बोली, “नहीं-नहीं, कुछ मत निकालो, मुझे वो सब ही... भी...” कहकर अटक जाती है और बात बदलते हुए, “मेरा मतलब कि कंपनी को उसकी सारी डिटेल्स चाहिए।”

माही को थोड़ा शक हो जाता है, इसलिए फाइल खोलती है। श्रेया कुछ कहने ही वाली थी कि माही बोल पड़ी, “ओह... सीट।”

श्रेया माही की तरफ आश्चर्य से देखकर बोली, “क्या हुआ?”

“सॉरी मेम, मैंने गलती से जल्दी में अपनी फाइल उठा ली।” माही बोली।

श्रेया गुस्से में आ गई। “व्हाट! ये कैसा घटिया मज़ाक है? तुम एक काम भी ठीक से नहीं कर रही हो और मुझसे पगार बढ़ाने की उम्मीद में हो। बेवकूफी की भी एक हद होती है। जाओ अपने काम पर लग जाओ। पूरा मूड खराब कर दिया।” श्रेया का गुस्सा उसके चेहरे पर साफ़ दिख रहा था।

माही फाइल लेकर अपनी गलती से दुखी सी ऑफिस से बाहर निकलकर अपने काम में लग जाती है।

जीद, श्रेया मेम से बात करती है। “सॉरी मेम, बाय चांस मुझसे ही गलती हो गई होगी।”

श्रेया शांत होकर बोली, “इट्स ओके। अब मैं अपने असिस्टेंट को बुलाती हूँ। वो तुम्हें तुम्हारा काम दिखा देगा। लेकिन, हाँ, कल अपनी फाइल भूल मत जाना।”

असिस्टेंट ऑफिस में आता है। उसने दूधिया रंग की शर्ट पहनी हुई थी। वह असिस्टेंट कम और रोमियो ज़्यादा लग रहा था। श्रेया ने उसे देखकर थोड़ी मुस्कराते हुए जीद को उसका काम समझाने को कहा। तो वह रोमियो असिस्टेंट भी जीद की तरफ देखकर हँसते हुए बोला, “आई ऐम मेम, मैं आपको आपका काम समझा देता हूँ।”

जीद उसकी तरफ देखकर हामी भरते हुए श्रेया की ऑफिस के बाहर निकलती है।

उसी समय जीद ऑफिस में आए बाकी मेम्बर्स को भी देखती है और सबसे खास बात यह थी कि पूरी ऑफिस में एक ही लड़का था। बाकी पूरी ऑफिस में हेड से लेकर उसकी टीम तक सब महिलाएँ थीं।

जीद को वह रोमियो एक कंप्यूटर के पास ले जाता है। वहाँ जीद जैसी चार और लड़कियाँ भी कंप्यूटर पर बैठी थीं। सबका काम अलग-अलग था। कोई रोज़ आने वाले कारीगरों का रिकॉर्ड रखती, कोई कागज़ में लिखी रॉयल्टी का ध्यान रखती, कोई रोज़ के स्टॉक के प्रोडक्शन पर नज़र रखती। मतलब कि पूरी खदान को डिजिटल बना दिया था।

उस समय ऐसा काम सिर्फ विदेशियों से ही होने की उम्मीद की जाती थी — यह सोचकर ही जीद को हैरानी हो रही थी।

जीद का काम यह था कि उसे इन सभी चीज़ों के लेन-देन के पैसों की गिनती (काउंटिंग) रखनी थी।

जीद अपने टेबल पर पड़े फोटो को देखती है।

जीद से पहले जो उस कंप्यूटर पर बैठकर काम करती थी, उसका फैमिली फोटो था। मतलब, एक बेटी, उसका पति और वह महिला। हाँ, उसकी बेटी का चेहरा दोनों से थोड़ा अलग था लेकिन वह शायद उनकी ही बेटी थी।

असिस्टेंट की तरफ देखकर उस फोटो की ओर उंगली दिखाते हुए जीद बोली, “ये कौन है?”

“ये...! स्नेहा है, जो तुमसे पहले यहाँ पर काम करती थी।” रोमियो बोला।

“स्नेहा ने क्यों नौकरी छोड़ दी?” जीद ने असिस्टेंट से फिर सवाल पूछा, तो कुछ छुपाने जैसा अजीब चेहरा बनाते हुए असिस्टेंट बोला: “उसने नौकरी छोड़ी नहीं थी, बल्कि, अपनी श्रेया मेम ने उसे निकाल दिया। तभी आपकी फ्रेंड के डॉक्युमेंट्स में से आपका भी एक डॉक्युमेंट मिला जिससे मेम ने आपको यह जॉब ऑफर की।”

जीद ने फिर एक सवाल पूछा, “मेरे आने तक इस काम को कौन कर रहा था?”

“वो श्रेया मेम कुछ-ना-कुछ कर ही लेती थीं।” श्रेया की तारीफ़ करता रोमियो बोला।

“लेकिन, मेम ने सिर्फ एक डॉक्युमेंट देखकर मुझे नौकरी देने का क्यों सोचा? जबकि माही को इस कंपनी में नौकरी के लिए ट्रेनिंग लेनी पड़ी?”

जीद के सुनने के बाद भी असिस्टेंट ने उसके सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं दिया और श्रेया की ऑफिस की ओर चलने लगा।

जीद अब कोई और सवाल नहीं करती, बस उस पहली वाली महिला के फैमिली फोटो को देख रही थी।

अचानक ही उसके सामने एक ऑरेंज कलर की टोपी पहने एक हैंडसम लड़का आता है। लंबे बाल, हाथ में जलाई हुई बीड़ी का धुआँ खींचते हुए एक बड़ा धुएँ का गोला जीद के सामने रखे उस फैमिली फोटो पर छोड़ता है। फिर वह उस फोटो को उठाता है और देखते ही देखते अपने लाइटर से जला देता है।

जीद घबरा गई और तुरंत वहाँ से दूर चली गई। जीद को वह स्वीट फैमिली बहुत पसंद आई थी। शायद उसका भी सपना था कि उसके मम्मी-पापा भी ऐसे ही उसके साथ एक फोटो में हों। लेकिन वह अनजानी फैमिली फोटो को भी एक अजनबी लड़के ने बस एक मिनट में ही उसकी आँखों के सामने जला दिया।

माही अपने काम में लगी हुई थी और जब वह अपनी ऑफिस से बाहर आई, तो उसकी नजर जीद पर पड़ी।

जीद को देखकर माही उसके पास जाती है। घबराई हुई जीद को संभालते हुए पानी की बोतल देकर माही हल्के आवाज़ में बोली, “क्या हुआ जीद, इतनी घबराई हुई क्यों है?”

जीद पानी गले से नीचे उतारकर (घबराए हुए आवाज़ में) उस अजनबी लड़के की ओर उंगली करके बोली, “वो कौन है?”

माही उस लड़के को देखकर बोली, “ओह वो। वो तो मेरे अंकल के पार्टनर का बेटा है। लेकिन उसने “उसने मेरे पहले उस कंप्यूटर पर बैठने वाली स्नेहा की फैमिली फोटो मेरे सामने ही जोर से फेंक दी। मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है।” जीद के पसीने छूट गए थे।  

माही जीद के कंधे पर हाथ रखकर (आश्वासन देते हुए) बोली, “जीद, कोई गड़बड़ नहीं है। मैं यहां पिछले छह महीने से काम कर रही हूं। सैलरी भी महीने की पहली तारीख को मिल जाती है और रही बात उस लौफर की, वो तो ऑफिस में बहुत ही कम आता है। वो उसके बाप की बिगड़ी औलाद है।” इतना कहकर माही चुप हो गई और जीद की…  

माही के पीछे आकर खड़ी हुई श्रेया मैम को देखकर चौंक गई थी।  

श्रेया गुस्से से देख रही थी। जीद माही को देखकर, अपनी पीठ पीछे देखे उससे पहले ही श्रेया की असिस्टेंट जीद को बुलाती है। “जीद, आपका ऑफिस यहाँ है और जहाँ तक मुझे पता है, ऑफिस में बातें करना अलाउड नहीं है। सो प्लीज़ कम इन योर ऑफिस।”  

जीद ने हामी में सिर हिलाया और माही की आंखों में देखकर घबराई आवाज़ में धीरे से बोली, “शाम को मिलते हैं।”  

माही जीद को जवाब देते हुए श्रेया से नजर हटाकर बोली, “हाँ, रात को बात करते हैं।”  

दोनों फिर से काम पर लग गईं। श्रेया माही से कुछ नहीं कहती। माही के अंकल के पार्टनर का बेटा जीद के पहुँचने से पहले ही वहां से निकल गया था।  

जीद कोल माइन्स का अकाउंटिंग संभालने के लिए सारी चीजों की लिस्ट निकालने लगी और धीरे-धीरे सारी फाइलें देखना शुरू कर दिया। जीद का इतना अच्छा काम देखकर उसके साथ बैठी बाकी चार लड़कियां इंप्रेस हो गईं। उनमें से एक उठकर जीद के पास आई।  

“हाय, आई एम साइना फ्रॉम कलकत्ता। एंड यू?”  

“आई एम जीद एंड आई एम फ्रॉम गुजरात।”  

“सो, कैन यू स्पीक गुजराती? आई एम राइट?”  

“एब्सोल्यूटली राइट। कैन यू स्पीक गुजराती?”  

“यस, आई कैन स्पीक गुजराती।”  

जीद ने गहरी सांस लेते हुए कहा, “हाः... कोई तो है मेरी ऑफिस में जो गुजराती है।”  

साइना हँसते हुए बोली, “ये पूरी कंपनी ही गुजराती की है और तुम ऑफिस की बात कर रही हो!”  

साइना के पास एक फाइल लेकर दूसरी लड़की उसकी तरफ आई और जीद की ओर देखकर बोली, “हाय!” फिर तुरंत साइना की ओर देखकर बोली, “साइना मैम, आपको श्रेया मैम बुला रही हैं।”  

“क्या उनको पता है कि मैं अभी यहाँ जीद से बात कर रही हूँ?”  

“नहीं मैम, उनको तो आपसे कोई दूसरा काम है।”  

“अच्छा, तुम चलो मैं आती हूँ।” इतना कहकर  

साइना श्रेया के ऑफिस में चली जाती है। जीद भी काम में लग जाती है।  

इस तरह जीद का पहला दिन ऑफिस में बीत गया।  

शाम को जीद और माही ऑफिस से बाहर निकल गए। जीद से मिलकर माही बोली,  

“कैसा रहा आज का दिन?”  

“हम्म... थोड़ी-थोड़ी मजा आने लगी है अब।”  

दोनों दरवाज़े के बाहर निकले तो देखा कि बारिश चालू थी। सामने लगभग सौ-डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर एक टैक्सी खड़ी थी। माही ने जीद से उसका पर्स लेकर टैक्सी वाले के पास दौड़ लगाई। टैक्सी वाला बारिश में कहीं भी जाने से मना कर देता है। उसी समय रोम अपनी महिंद्रा जीप लेकर श्रीवास्तव बिल्डिंग के पास पहुँचा। जीद रोम को देखकर चौंक गई और आसपास देखकर विनय को ढूंढने लगी।  

थोड़ी देर में श्रेया से बात करती हुई श्रुति बाहर निकली। रोम के साथ आए एक कॉन्स्टेबल ने नीचे उतरकर छतरी खोली। श्रुति बिल्डिंग से बाहर निकली और श्रेया को चेतावनी देती हुई उंगली दिखाई। श्रेया ने सिर हिलाकर हामी भरी।  

श्रेया की नजर जीद पर पड़ी तो वह उसके पास जाकर बोली,  

“क्या हुआ, टैक्सी नहीं मिली?”  

“वो माही टैक्सी वाले के पास गई है।”  

“चलो, मैं तुम दोनों को ड्रॉप कर देती हूँ।”  

माही भीगती-भीगती वापस दौड़कर आई। वो कुछ बोले उससे पहले ही श्रेया बोल पड़ी,  

“मेरी कार में मेरे साथ बैठ जाओ।”  

“थैंक यू मैम।” कहकर माही ने जीद से अपना पर्स लिया और साथ चलने को कहा।  

माही और जीद दोनों श्रेया की गाड़ी में बैठ गईं। श्रेया ने गाड़ी स्टार्ट की और घर की तरफ रवाना हो गई। आधे घंटे बाद माही के घर के पास पहुंचे।  

श्रेया ने गाड़ी बाहर ही रोक दी और दोनों को उतारकर निकल गई।  

माही और जीद घर के पास पहुँचकर दरवाज़े के बायीं तरफ लगी बेल बजाती हैं। माही की मम्मी दरवाज़ा अंदर से खोलती हैं। अब माही जीद की तरफ देखकर धीमे स्वर में (थोड़ी खुश होकर) बोली, “ओह जीद... वो देखो अंकल जॉर्ज।”  

जीद जॉर्ज की तरफ देखकर चौंक गई और बोली, “ये अंकल तो उस फोटो वाले से काफी अलग लग रहे हैं न!”  

“हाँ! लेकिन वो यहाँ क्या कर रहे हैं?” माही भी सोचने लगी।  

जॉर्ज अपने चढ़े हुए चेहरे के साथ माही के पास आता है और एकटक जीद को देखने के बाद अपने हाथ उठाकर जोर से ताली बजाता है और फिर माही की तरफ देखकर खुश होकर बोलने लगता है,  

“हैप्पी बर्थ डे टू यू... हैप्पी बर्थ डे टू यू... हैप्पी बर्थ डे डियर माही... हैप्पी बर्थ डे टू यू...”  

जॉर्ज का चढ़ा हुआ चेहरा मुस्कुरा रहा था लेकिन फिर भी वो डरावना ही लग रहा था।  

माही और जीद को एकदम याद आ गया — आज तो माही का बर्थडे है और अभी रात को बर्थडे पार्टी है।  

दोनों हँसने लगी क्योंकि वे दोनों भूल ही गई थीं।  

उन्होंने घर के अंदर आकर देखा कि ऑफिस का लगभग आधा स्टाफ माही की बर्थडे पार्टी में आया था।  

ये पार्टी माही के अंकल जॉर्ज ने रखवाई थी।  

वहाँ माही के अंकल के पार्टनर का बेटा भी आया था।  

माही और जीद जल्दी से अपने बेडरूम में जाकर नए कपड़े पहनकर बाहर आ गईं।  

सब बर्थडे पार्टी एन्जॉय करने लगे। थोड़ी देर बाद माही के पास उसके बॉस यानी जॉर्ज के पार्टनर का बेटा आया और माही की तरफ हाथ बढ़ाकर बोला,  

“हाय... आई एम रोहित। विश यू मेनी मेनी हैप्पी रिटर्न्स ऑफ द डे, माही।”  

माही ने हाथ के साथ चेहरा भी हिलाकर हँसते हुए कहा,  

“थैंक यू वेरी मच एंड नाइस टू मीट यू।”  

रोहित ने केसरी रंग की टी-शर्ट और एक महंगी घड़ी पहनी थी। रोहित ने अपनी आंखों पर गॉगल्स चढ़ा रखे थे।  

उसने माही से नजर हटाई और जीद की ओर देखा।  

जीद को देखते ही उसने अपने बाएं हाथ से अपने चश्मे को नाक की नोक तक नीचे किया।  

जिससे रोहित की हल्की भूरी आंखें, उसकी घड़ी और उसके महंगे गॉगल्स एक साथ दिखे।  

रोहित ने जीद की ओर अपना हाथ बढ़ाया।  

जीद को सुबह की बात याद आ गई।  

हालाँकि, सुबह वो इतना सजा-धजा नहीं था।  

लेकिन फिर भी अब वो माही की बर्थडे पार्टी में आया है और हाथ बढ़ाया है,  

तो जीद ने उस नालायक का सबके सामने अपमान न हो इसलिए केवल दिखावे के लिए अपने दोनों हाथ जोड़कर ‘नमस्ते’ किया।  

“ओह सिट...” माही के मुँह से निकल गया।  

रोहित की नजर माही पर पड़ी। लेकिन, आज अमीर बाप की बिगड़ी औलाद गुस्से में नहीं हुई।  

रोहित आज पहली बार अपना गुस्सा छोड़कर मुस्कुराया।  

माही के अंकल जॉर्ज को आश्चर्य हुआ।  

उसे लगा कि शायद रोहित को माही पसंद आ गई होगी या कोई और वजह होगी।  

नहीं तो उसे खुद का जरा भी अपमान होना पसंद नहीं था।  

उसी समय माही के पापा डिलीवरी बॉय से केक लेकर आ गए।  

सबकी नजर रोहित और जीद से हटकर केक की तरफ चली गई।  

माही को लेकर जीद उन्हें सामने रखे टेबल पर रखे केक के पास ले गई।  

केक के पास जाकर माही जीद की तरफ हँसकर देखने लगी।  

तो जीद ने कैंडल की तरफ इशारा किया।  

माही ने कैंडल को फूंक मारी।  

उसके साथ माही की मम्मी और पापा समेत बाकी सभी लोग एक साथ बोले:  

**“हैप्पी बर्थडे टू यू...  

हैप्पी बर्थडे टू यू...  

हैप्पी बर्थडे डियर माही...  

हैप्पी बर्थडे टू यू...”

और सब तालियाँ बजाने लगे।  

माही ने केक काटा और सबसे पहले जीद के मुँह में डाला और फिर सबको दिया।क्या किया?”


***