रोम की बात सुनकर जिद हँस पड़ी। उसके दोनों हाथ उसके मुँह को ढाँकने में नाकाम रहे। उसके गाल के गड्ढे को देख रहा वह अनजान लड़का बस एकटक उसे देखता रहा।
“ओ तेरी…” रोम बोल पड़ा।
“देख रोम, मैं तुझे इसलिए कहता हूँ कि तू एक दिन मुझे मरवा ही डालेगा।”
काले शर्ट वाला लड़का ध्यान हटाकर झेंपते हुए रोम से कहता है।
तभी जिद हँसते हुए : “इट्स ओके, यू आर वेरी फनी।” कहकर वहाँ से चली जाती है। थोड़ा आगे जाकर पीछे मुड़कर देखती है और मुस्कराकर फिर चलने लगती है।
रोम अब उस काले शर्ट वाले को नाम से बुलाकर कहता है :
“हम्म… विनय तू अब तक गलत लड़की को लाइन मारता था। गुजरात की शेरनी तो यही है।”
विनय ने झेंपते हुए उसकी ओर देखा।
“अरे... टप्पा तू चुप हो जा और चल मेरे साथ।”
रोम का हाथ पकड़कर विनय उसे साथ ले जाता है। रोम उस एयर होस्टेस को लाइन मारने के लिए पीछे देखने जाता है कि तभी वह एयर होस्टेस उनके पास ही आ जाती है।
एयर होस्टेस के सफेद हाथ में लाल नाखून देखकर रोम जैसे किसी और दुनिया में जाने लगता है और जाते-जाते एयर होस्टेस के कमल की पंखुड़ी जैसे होंठ खुलते देखता है।
“सर... आपका पासपोर्ट।”
रोम पहले ही सपनों में चला गया था। लेकिन जैसे ही उसकी आवाज़ सुनाई दी, रोम विनय के हाथ से अपना हाथ छुड़ाकर उसके सामने खड़ा हो गया।
रोम को इस अंदाज़ में देखकर एयर होस्टेस भी रुक जाती है। रोम के मुँह से कुछ निकले, उससे पहले ही एयर होस्टेस को छींक आ जाती है।
“हाक छी...”
प्लेन में होने की वजह से जैसे उसने अपनी छींक रोक ली हो, ऐसा लग रहा था। रोम तो एयर होस्टेस की अधूरी छींक से ही डर गया और सीधा उसकी ओर मुड़कर खड़े विनय से लिपट गया।
“विनू... आई हेट जुकाम मेरे यार। मेरी हर लव स्टोरी में यही छींक पानी फेर देती है। अब, यह भी मेरे हाथ से गई।”
रोम विनय के कंधे पर चढ़कर बंदर के बच्चे की तरह चिपककर बोलता है।
विनय पहले उसे नीचे उतारता है और एयर होस्टेस से अपना पासपोर्ट लेकर,
“थैंक यू।” कहता है। फिर रोम को उसकी सीट की ओर खींचने लगता है। जैसे कि वह रोम की पागलपंती का आदी हो गया हो। रोम मूर्ति की तरह खिसक रहा था और मुँह बनाकर विनय का साथ देता हुआ प्लेन में खिसक रहा था। लेकिन रोम सब कुछ छोड़कर तिरछी नजर से प्लेन में बैठी गुजराती और बाहर की या कोई भी मस्त लगती लड़कियों को देखता-देखता विनय से एक सवाल करता है।
“हे अरे विनू! क्या सच में वो तुझे पसंद आ गई?”
विनय भी रोम को खींचते-खींचते हँसकर बोला :
“कौन? वो नीली साड़ी वाली एयर होस्टेस?”
“ना... ना। वो तो तेरी भाभी है, मैं तो उस हँसने वाली की बात कर रहा हूँ।”
रोम की बात सुनकर विनय और भी हँसने लगता है और जैसे जिद के बारे में सोचता हो, हँसकर इनकार कर देता है। उसी समय दोनों की सीट आ जाती है। वहाँ रोम अपनी सीट पर लिखा हुआ अपना नाम देखता है। वह लाइन में दो सीटें थीं, जिसमें बाहर की ओर बैठने वाले का नाम लिखा होता है। रोम के दिमाग में एक लाइट जलती है और वह फिर से अपना स्टटर खोलता है।
“विनय क्या तू उसका नाम जानता है?”
“मैं कैसे जानता होऊँ? जैसे वो कलकत्ता की ही हो और हम साथ बड़े हुए हों, वैसे बेकार सवाल करता है तू रोम। चुपचाप बकवास किए बिना सो जा।”
“तुझे उसका नाम जानना है?”
विनय के मन में भी थोड़ी लालच जागी हो जैसे वह हल्के से मुस्कराया। तो रोम ने समझकर खाँसते हुए कहा :
“हाँ चल सो ही जाएँ, वैसे भी मुझे प्लेन में नींद बहुत आती है और तुझे कहाँ वो पसंद है। आ...ह...अ।”
आलस करते जैसे कोई बड़े एक्सिडेंट के बाद बेहोश हो जाए, वैसे रोम भी आलस करते-करते उठकर सीट से टकराता है और सो जाता है।
नाटकबाज़ रोम का यह नाटक विनय तो जानता ही था। लेकिन, अब उसे भी लालच हो गई थी। साथ ही मन में एक सवाल भी था। (कौन है वो लड़की जिसकी ओर मैं खिंचता जा रहा हूँ?) इसलिए विनय रोम को जगा कर :
“तू मेरी नींद उड़ा कर सो गया है। कैसा दोस्त है तू! तेरी करतूतों से तो दुश्मन अच्छा।”
रोम जानबूझकर आँखें खोलते हुए आधी आँखें खोलकर :
“तेरी नींद! ये साला उल्लू अब नींद कब से आने लगी?”
“तू बात को बदलेगा नहीं।” विनय बोला।
“उसने मुझसे बात की थी कब? हूँ तो सो रहा था। तुझे पता नहीं!” रोम ने जवाब में कहा।
विनय गुस्से में जैसे रोम की शर्ट की कॉलर पकड़ कर :
“लगता है प्लेन क्रैश होने वाला है।”
रोम बचने के लिए दोनों हाथ बीच में रखकर बोला :
“ठहर! ठहर! मेरी एक के लिए सबको नो मार दूँगा।”
“तेरा मतलब है कि, बाकी सबको जो होना है हो, मुझे एक को छोड़ दे।”
विनय रोम को अच्छे से जानता था।
रोम झूठा हँसते हुए बोला :
“मैं भी समझ गया तेरा मतलब। तू उसका तोता नहीं वो तेरी मैना, ओहो... ओहो…”
रोम गाते-गाते रुक जाता है।
“ओ तेरी! ये सफेद कौआ कहाँ से आ गया।”
“सर प्लीज़ साइलेंट। डू नॉट डिस्टर्ब मेनी कस्टमर्स।”
एयर होस्टेस रोम की ओर देखकर बोली।
“सॉरी... सॉरी… उसके लिए मैं सॉरी कहता हूँ।” विनय बोला।
“कई सालों बाद एक लड़की लाइन दे रही थी, वो भी तुझे नहीं जमी। कबाब में हड्डी।”
रोम विनय की ओर तिरछी नजर से देखकर।
“ग... ग...गमी कैसे नहीं।”
विनय हकलाते हुए।
“हाँ तो बीच में क्यों बोला।”
“वो... वो... वो तो तू मुझे उसका नाम बताने वाला था, बस वो याद आ गया।”
“मैना की बात इस तोते को कहाँ, मैंने तो खुद के पैर में कुल्हाड़ी मार ली।”
रोम अपना दायाँ हाथ माथे पर रखकर बोला।
“हाँ तो अब बताओ ना।”
तभी रोम अपना ज़बरदस्त आइडिया विनय के कान में बताता है।
उसका आइडिया सुनकर विनय भी थोड़ा मुस्कराया और तुरंत ही सीरियस होकर बोला :
“प्लेन में प्लेन बनाया है। अगर गड़बड़ हुआ तो याद है ना, हमारे पिछले मिशन में तेरा मुँह श्रुति मैडम ने भी काला किया था और पूरे पुलिस स्टेशन में मैं ही बचा था। अगर कोई प्रॉब्लम खड़ा किया, तो समझ ले कि मैं प्लेन के बीच में तेरा मुँह काला कर दूँगा।”
“हाँ... हाँ... बहुत देखे काले मुँह करवाने वाले, तू अभी अपने काले मुँह से प्लेन में यूँ-यूँ घुमा देना, फिर मुझे मत कहना!”
दोनों प्लेन में उस लड़की को ढूँढने लगते हैं।
रोम उसे ढूँढते-ढूँढते एक सीट पर चढ़ जाता है। उसके सामने देखता है तो सीट पर पहले से बैठा एक लड़का बोलता है :
“अंकल, क्या आप कुछ खोज रहे हैं?”
यह सुनकर रोम चिढ़कर बोला :
“हाँ, मेरी पैंट से तोता उड़ गया है। साले, कहाँ गया यही ढूँढ रहा हूँ। अंकल आप कुछ खोज रहे हैं वाली बात मत कर।”
तभी उस लड़के की मम्मी के पैर पर पानी की बोतल गिरती है और वह चिल्लाने लगती है।
“अंकल, लगता है जो आप ढूँढ रहे हैं वो मेरी मम्मी को मिल गया…”
लड़का रोम की पैंट खींचकर कहता है।
रोम उस लड़के की ओर देखता है। अपनी जीभ बाहर निकालकर दाँत दिखाता है और एकदम नीचे उतर आता है। सिक्योरिटी गार्ड भी वहाँ आ जाता है और रोम को उसकी सीट पर बिठा देता है।
दूसरी ओर विनय को जिद दिखाई देती है और वह उसकी सीट नोट कर लेता है, ताकि उसे ढूँढ सके।
दो घंटे बाद प्लेन के लैंडिंग का समय आता है।
सब उतर जाते हैं लेकिन विनय और रोम उस जगह पर जाते हैं जहाँ जिद बैठी थी और वहाँ जाकर उसकी सीट पर उसका नाम होता है।
उस सीट पर उसका नाम ‘जिद’ था।
विनय उसका नाम लेकर
आँखें बंद करके एक बार फिर वही दृश्य देखता है जिसमें वह और जिद टकराए थे।
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