Ek Musafir Ek Hasina - 60 in Hindi Thriller by Swati Grover books and stories PDF | एक मुसाफ़िर एक हसीना: A Dangerous Love Story - 60

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एक मुसाफ़िर एक हसीना: A Dangerous Love Story - 60

60

इंतज़ार

 

 

ईशान  की खून से लथपथ  लाश  देखकर ईशा  बुरी  तरह  टूट  गई। उसके अंतिम  संस्कार  के बाद वह अपने कमरे में  बैठी  ईशान की  फोटों  को देखकर आँसू  बहा रहीं है। अश्विन  उसके पास आता है और उसके कंधे  पर हाथ रखते हुए कहता  है, “ईशान  और बाकी  शहीद  पुलिसवालों  को सरकार ने  सम्मान देने के लिए  हमें  दिल्ली  बुलाया  है। ईशा  के एक नज़र  उसे देखा और उसका हाथ  अपने  कंधे से  हटाते  हुए कहा,  “भाड़ में  और तुम  तुम्हारी  सरकार।“ अश्विन  ईशा  के इस रूप  को देखकर हैरान हो रहा है। मगर  ईशा  उसकी नज़रों  को नज़र अंदाज़  करते  हुए लगातार  बोली जा रही है, “मेरे भाई  के जान  उस  फ्लॉपी  के सामने बहुत  सस्ती  लगी ना  तुम्हें,  यही कोई मंत्री  का बेटा  होता तो  तुम्हारी  सरकार  एक मिनट  भी नहीं  लगाती,  उसे छुड़ाने  में, मेरे पास परिवार के नाम पर मेरा एक भाई था, वो भी  इस देश  की बलि  चढ़  गया।“ “ईशा मेरी बात सुनो, “ अश्विन  ने उसके पास  आने की कोशिश  की तो वह उससे दूर  जाते  हुए बोली,  “यह सब तुम्हारी  वजह से हुआ है।“ “मेरी वजह से????” अश्विन  हैरान  है। “हाँ तुम्हारी  वजह से, तुम उसके सीनियर  थे, तुम  उसे इस मिशन  में  ले जाने से मना  कर सकते  थें।“ “अच्छा!  मैं  तो खुद  ही नहीं चाहता  था कि  इस  मिशन में  वो मेरे साथ जाए पर वो नहीं माना  और तुम तो उसकी बहन थी, तुम उसे पुलिस  के स्पेशल सेल का  हिस्सा  बनने  के लिए इस प्रोफेशन में  आने से मना  कर सकती  थी।“ अब ईशा  ने अपने आँसू  पोंछते  हुए कहा,  “बस बहुत हो गया।  मैं अपने भाई की  मौत का बदला खुद  लूँगी।“ “क्या मतलब?” “ मैं सम्राट  के पीछे  जा रहीं  हूँ और उसे मारकर  ही अपने भाई  की मौत को श्रद्धांजलि  दूँगी।“ अश्विन   ने उसे हैरानी  से घूरते  हुए कहा,

 

 

“पागल हो क्या!!! सम्राट  कोई हलवा नहीं है जो आसानी  से हाथ आ जायेगा ।“

 

“अश्विन  तुम यह क्यों भूल जाते  हो कि  मैं भी पुलिस  की स्पेशल  स्क्वॉड  टीम  का हिस्सा  हूँ।“

 

“जस्टशटअप !! तुम कहीं नहीं जा रही हूँ, मैं खुद सम्राट  के पीछे  जाऊँगा।“

 

“नहीं!!! मुझे तुम पर भरोसा  नहीं रहा।“ ईशा  के यह कहते ही  अश्विन  के दिल में  एक ज़ोर का दर्द उठा। उसने  अब ईशा को बड़े  प्यार  से देखते हुए  कहा,

 

“प्लीज ईशा, कोई पागलपन  नहीं करना और सर भी तुम्हें  इस तरह के मिशन  में  जाने नहीं देंगे।“

 

“मैंने  जॉब से रिजाइन  दे दिया है अब मैं वही करूंगी  जो मुझे सही लगेगा।“  यह कहकर  ईशा  कमरे से बाहर जाने लगी तो अश्विन  ने उसका हाथ  पकड़ते  हुए कहा,  “तुम कहीं  नहीं जाऊँगी, समझी !!!, फिर विनीत स्वर में बोला, “ईशा  प्लीज कुछ दिन आराम करो, फिर  बात करते हैं।“

 

“ठीक है, फ़िलहाल  के  लिए मुझे अकेला  छोड़  दो।“ यह कहकर ईशा  वहाँ  रखें  सोफे  पर सिर  झुकाकर  बैठ  गई तो अश्विन उसे भरी  आँखों से देखता हुआ  वहाँ  से चला  गया।

 

अगली सुबह  जब वह ईशा  के सरकारी  क्वॉर्टर  में  आया  तो कामवाली ने उसे एक चिठ्ठी  पकड़ाते  हुए कहा,  “मैडम  एयरपोर्ट  की तरफ गई  है।“ अश्विन ने उससे चिठ्ठी  ली और गाड़ी  की तरफ दौड़ा।  गाड़ी  में  बैठते  ही उसने चिठ्ठी  खोली,

 

“अश्विन!! मुझे भूल जाना, ईशान  की मौत के साथ हमारे  रिश्ते की भी मौत हो चुकी  है। मुझे अपने  भाई  की मौत का बदला लेना है और वो मैं  लेकर  ही रहूँगी, गुडबाय ।“

 

ईशा !!!

 

अब अश्विन  ने  गाड़ी  एयरपोर्ट  की तरफ दौड़ाई  और वह भागता हुआ अंदर  आ पहुँचा तो उसे अथॉरिटी  ने  बताया  कि  “न्यूयोर्क  जाने वाली आख़िरी  फ्लाइट जा चुकी  है और इसके बाद कोई भी फ्लाइट  नहीं है क्योंकि कुछ  व्यावासिक  कारणों  से हम एयरपोर्ट  बंद कर रहें  हैं।“ वह अब सड़क पर आकर हवाईज़हाज़  को आसमान  पर जाते हुए देखकर   ज़ोर से चिल्लाया,  “ईशा !!!!!”

 

अब अनुज ने उसके कंधे  पर दोबारा हाथ रखा तो उसे वर्तमान  में  होने का एहसास  हुआ। “तो क्या ईशा  न्यूयोर्क  गई  थी? “ अनुज ने सवाल किया। “नहीं, मैंने अपने  सोर्स  से पता लगाया  कि ईशा  अर्जेंटीना   में सम्राट  की सल्तनत  के अंदर  है, मैं उसके पीछे  जाने ही वाला था कि  फिर मुझे पता  चला कि  सम्राट  वहाँ  से निकल गया है और ईशा  का कुछ  पता नहीं है। मैंने  तब भी हार नहीं मानी और पता लगा लिया कि  ईशा  यूरोप  के किसी  देश में  है, मुझे यही सोचकर  तस्सली  हो गई कि  चलो मुझसे दूर  सही पर कम  से कम  वह ज़िंदा  तो है पर कल  रात जब उस कुत्ते सम्राट  का फ़ोन आया तो  उसकी बातों   सुनकर  समझ आया कि  ईशा  ईशान  के  पास चली गई  है।“ यह कहते हुए उसने अपनी आँखें  बंद कर ली। “सम्राट  का  फ़ोन? “ अनुज  हैरान  है। “हम्म किसी  सैटलाइट   फ़ोन से कॉल  कर रहा था।“ “इसका  मतलब सम्राट  भी लंदन  से पहले यूरोप  में  था? “ “यार उस आदमी  के पचास  देशों  में  घर  है,  कल उसकी बातें  सुनकर लगा कि  ईशा  ज़रूर  उसके  पीछे  यूरोप  गई  होगी और उसने......इसलिए  मैं उस सम्राट  को जान से मारना  चाहता था क्योंकि पहले  उसने ईशान  को मारा, जिसकी  वजह से ईशा मुझसे  दूर हुई और अब  तो ईशा की मौत का जानकर, उस सम्राट को  मौत से भी बदत्तर  सजा  दूँगा।“  यह कहते हुए उसने गुस्से में अपने  दाँत  भींच  लिए। अब अनुज कुछ सोचते हुए बोला,  “ईशा  के माँ तो बचपन में ही चली गई थी पर उसके डैड  कैसे मरे?” “उन्हें  ईशान  की मौत से छह महीने पहले हार्टअटैक  आया  था, “ अब अश्विन घास पर से खड़ा  हुआ और शहीदों के  स्मारक  की तरफ जाने लगा तो अनुज  भी उसके पीछे  चलने लगा । दोनों कुछ  स्मारक  के पास  आकर रुक गए और फिर अनुज ने देखा कि  एक स्मारक  के  ऊपर “ईशान राठौर, फिर दूसरे पर संजय सिंह, फिर तीसरे पर  रौनक कुमार, फिर आदिल गौतम और हर्षित राजपूत लिखा हुआ है साथ ही कुछ कमांडर के नाम भी अन्य स्मारक पर लिखे हुए हैं ।  “मुझे तो यहाँ आकर हमेशा  सकूँ  मिलता था पर अब उस मिशन के बाद से  ईशान और ईशा को याद करते हुए बहुत ज्यादा सकूँ  मिलता है।“

 

अश्विन की आँख फिर भर आई। अब अनुज  की नज़र  ईशान  की फोटो  पर गई  तो उसे देखकर  उसकी भी आँख नम हो गई। दोनों कुछ देर उन स्मारकों के सामने ऐसे  ही खड़े  रहें फिर अनुज के फ़ोनकॉल  ने उसका ध्यान  खींचा,  उसने देखा कि  कोमल  का फ़ोन है। उसने उससे बात करकर अश्विन  को कहा,  “यार मुझे वो नंबर दे, जिससे सम्राट  ने फ़ोन किया था,”  अश्विन  ने उसे नंबर दिया तो वह नंबर को देखकर  बोला, “मैं कुछ तो पता लगा ही लूँगा  और सुन मैं  तेरे साथ हूँ भले  ही मुझे भी कालापानी  की सजा हो जाए।“ यह कहते  हुए अनुज ने उसे गले  लगा लिया और फिर उससे विदा  लेकर वहाँ  से चला गया।

 

अश्विन  लिफ्ट से अपने फ्लोर  पर पहुँचा  तो अपने दरवाजे  पर खड़े  अभिरंजन  को उसका इंतज़ार  करते देखकर उसे   महसूस  हुआ कि  उसका वनवास  खत्म होने वाला है ।