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मौत
25 दिसम्बर की सुबह अश्विन ने अपने घर के जिम में किक बॉक्सिंग की फिर नाश्ता करने के बाद वह पुलिस हेडक्वॉर्टर की तरफ चला गयाI वहीं अनुज भी कुछ देर की कसरत करने के बाद कोमल के हाथ के बने परांठे खाकर अपने अपार्टमेंट से निकला और पटेल जी से मिलने जा पहुँचाI उनकी पत्नी ने उसे बताया कि वह कहीं गए है और रात को आएंगे I अनुज उन्हें फिर आने का बोलकर पुलिस स्टेशन की तरफ निकल गयाI
अनुज ने वहाँ पहुँचते ही यश से देवेन के बारे में अपडेट लिया तो उसने बताया कि उस फैक्ट्री के आसपास कोई नहीं आया है पर उसकी तलाश ज़ारी हैI वही अश्विन भी अपनी टीम के साथ ध्यानचंद स्टेडियम की तरफ जा रहा हैI उनके प्लान के मुताबिक वह कुछ कमांडर और पुलिसवालों के साथ सादा कपड़ों में छुपकर स्टेडियम पर नज़र रखने वाले हैं और बाकी अफसर सर्वेश को घेरकर चलेंगे और फिर स्टेडियम के चारों तरफ सिक्योरिटी तो है हीI
पंचमढ़ी में रेवा रिसोर्ट के लॉन में बैठी फ़ोन पर सीरियल किलर से सम्बंधित न्यूज़ देखकर परेशान हो रही हैI तभी रेहान उसके गाल चूमकर कहता है, “गुडमॉर्निंग जान !!!” “बारह बज गुडआफ्टरनून होता हैंI” रेवा ने तुनककर कहाI “हाँ यार! पर मैं भी क्या करो, कल रात नॉवेल के चक्कर में देर तक जागा थाI अब उसने उसका परेशां चेहरा देखकर पूछा,
“तुम्हारे खूबसूरत चेहरे पर बारह क्यों बजे हुए हैंI”
“उस सीरियल किलर ने एक और मर्डर कर दियाI”
“अच्छा !!! तुम्हें कैसे पता?” रेहान हैरान है I
“दो दिन से न्यूज़ में यही फ़्लैश हो रहा हैI”
“ओह !!! यह तो बहुत बुरा हुआ, पता नहीं कौन वो सायको किलर है I” उसने अब सोनू को अपनी तरफ आने का ईशारा किया और उसके आते हो उसे अपना नाश्ता लाने के लिए कहाI अब उसने रेवा की तरफ देखते हुए कहा,
“पर यार तुम क्यों परेशान हो रही होI”
“मैं परेशां नहीं हूँ बस सोच रहीं हूँ कि ये चारों नमूने रिसोर्ट से गायब है और फिर यह मर्डर!!!”
“यार! राजीव और देवेन तो बता कर गए है कि वह दिल्ली गए है पर नंदिश और समर तो अपने शहर में किसी काम से गए हैं और इससे यह साबित नहीं होता कि वह किलर हैI “ रेहान ने टोस्ट का टुकड़ा मुँह में डालते हुए कहाI रेवा के उसकी बात सुनकर बालों में हाथ फेरते हुए सिर हिला दियाI
ध्यानचंद स्टेडियम में सैनिक परिवारों के साथ-साथ आम जनता और कुछ वीआईपी भी मौजूद हैI चारों तरफ चहल-पहल और ख़ुशी का माहौल हैI हर किसी की अच्छे से तलाशी ली जा रही हैI अश्विन ने सिर पर हैट लगा रखी है और चेहरे पर अपनी दाढ़ी के साथ मिलाकर बड़ी दाढ़ी लगाई हुई हैI वह उस समय जीन्स और शर्ट के साथ जैकेट में सिर्फ एक टूरिस्ट ही लग रहा हैI उसके साथी अफसर ने भी इसी तरह का पहनावा पहन रखा हैI आसमान में ड्रोन से हिफाजत की जा रही हैI सीसीटीवी के साथ-साथ उन सभी अफसर की जैकेट पर भी माइक्रोमिनी कैमरा लगा हुआ हैI अश्विन की चील जैसी नज़रें पूरे स्टेडियम में घूम रही हैI अब सर्वेश वर्मा, गृहमंत्री के साथ और कई अन्य मंत्री और अधिकारियो के साथ दस-बारह बॉडीगार्ड से घिरे हुए स्टेडियम में प्रवेश करता हैI वे सब आम लोगों का हाथ जोड़कर अभिनन्दन करते हुए स्टेज पर आते हैं और सर्वेश वर्मा अपने भाषण से कार्यक्रम की शुरूआत करते हैं,
“सरकार ने सैनिक भाईयों के परिवारों को संरक्षण देने के लिए यह योजना आरम्भ की हैI हमारे देश के सैनिक जो वीरगति को प्राप्त होते है, उनके जाने के बाद, उनके परिवार को आजीवन किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना ना करना पड़े, इसके लिए सरकार ने ‘अमृतसागर’ नाम की योजना शुरू की हैI जिसके अंतगर्त शहीद परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और उसके अलावा कई और भी सुविधा भी मिला करेंगीI” यह सुनकर हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँजने लगाI
अश्विन ने जनता की तरफ देखा तो एक शख्स को देखकर उसका माथा ठनका तो वह उसकी तरफ गया पर फिर कुछ देर की तालाशी के बाद उसे ऐसा कुछ नहीं मिला जिससे उसे पकड़ा या मारा जा सकेंI
रेवा नंदिश के कमरे में गई तो देखा कि वह अपना सभी सामान लॉक करकर गया हैI अब उसने बिस्तर उठाकर देखा तो भी उसे कुछ नहीं मिलाI अब पिंकी उसके कमरे में आई और बोली,
“दीदी आप यहाँ क्या कर रही हैI”
“कुछ नहीं बस इसका कमरा देख रही थीI”
“ये दोनों भी लगता है, दिल्ली गए हैI” यह सुनकर रेवा चौंक गईI अब वह झाड़ू लगाती पिंकी से पूछने लगी, “तुम्हें कैसे पता?”
“अरे ! दीदी मेरा फ़ोन खराब हो गया था तो मैं रेलवे स्टेशन के पास जो दुकान है, वहाँ गई थी, तभी मैंने इन दोनों को दिल्ली की तरफ जाती ट्रैन पकड़ते हुए देखाI” पिंकी का ध्यान अब भी सफाई करने में है, रेवा सोचने लगी, “21 को यह नंदिश और समर यहाँ से निकले थें और 23 को मर्डर हो गया और मुझे कह रहें थे, इसी शहर में कुछ काम है, इसका मतलब.....?” अब रेवा ने डर के मारे अपनी सोच को यही विराम दे दियाI
अनुज को भी यह बात पता चल चुकी है कि ये चारों दिल्ली में ही विचरण कर रहें है I उसने अब देवेन और राजीव के साथ-साथ इन दोनों के पीछे भी पुलिस अफसर लगा दिएI
ध्यानचंद स्टेडियम में कार्यक्रम खत्म हो चुका है और सर्वेश वर्मा अन्य मंत्री सहित सही सलामत वहाँ से जा चुके हैंI अश्विन सोच रहा है कि ‘सम्राट ना ही डरपोक है और ना ही अपने इरादे से पीछे हटने वाला फिर उसने उस पर वार क्यों नहीं कियाI’ अब जब पूरा स्टेडियम खाली हो गया तो वह भी पुलिस स्टेशन की तरफ चला गयाI वहाँ अनुज के साथ शाम बिताकर अपने घर की ओर निकल गया तो वहीं अनुज भी पटेल जी से मिलता हुआ अपने अपार्टमेंट में आ गयाI अश्विन ड्रिंक करते हुए सोच रहा है, कुछ न कुछ तो गड़बड़ है तो वहीं अनुज और कोमल में फिर कहासुनी हो गई क्योंकि पटेल जी ने दुकान कल ही किसी और को दी हैI अब नशे ने अश्विन को सुला तो दिया पर सुबह सात बजे उसे अनुज की फ़ोन कॉल ने जगाया,
“हाँ अनुज बोल!!!”
“तूने टीवी में न्यूज़ देखीं ?”
“तुझे पता है, मैं टीवी नहीं देखताI”
“यह देख ले यार !!” यह सुनते ही उसने हॉल में लगा एलईडी ऑन किया और न्यूज़ चैनल पर यह न्यूज़ फ़्लैश होती देखकर उसके हाथ से फ़ोन छूट गया,
“रक्षा मंत्री सर्वेश वर्मा की कल रात पौने बारह मौत हो गईI”