------- बाजार( 9)----
फोटो पर कलिक करता, " तुम बहुत सुंदर हो कुमुदनी.... " देव ने जैसे राहत की सास लीं। पहाड़ियों पर बर्फ पड़ी हुई, पेड़ लदे हुए हुए थे।रास्ते भी लदे हुए थे। घाटिया मे एक आवाज़ के मगर कितनी ही आवाजे जुड़ जाती थी। वो रेस्ट हॉउस मे थे... उम्र का एक पड़ाव ढल रहा था।
" हमारे खुशखबरी नहीं हो सकती। " देव को जैसे उसने एक निराश्ता भरे लहजे से पूछा लिली ने।
" कयो नहीं.... आज ही डॉ से पूछते हैं। " देव ने उसके कंधे को थपकी देकर कहा।
" इम्पोर्टमेंट ले लीजिये आज ही... " लिली ने देव को ख़ुशी मे कहा.... " देव भी कभी तो खिलायेगा ननी जान को... " फिर दोनों हस पड़े खूब जोर से।
रेस्ट हॉउस को छोड़ कर, दोनों कार मे बैठे, बम्बे को आ रहे थे, पहाड़ो की इतनी कटाई थी, कि पूछो मत।
तभी मोबाईल की घंटी वजी। देव ने फोन उठाया ही था... तभी फोन कट कर गया। फिर वो दोनों कुदरत के बिखरे रंग देखते देखते लिली ने सिर को देव के कंधे से सटा लिया था। दोनों एक नये सरूर से ताक रहे थे कुदरत के बिखरे रंगो को.... समय कोई दुपहर का होगा ठीक एक के करीब...
तभी मोबाईल की घंटी वजी।
अब कोई कटाई नहीं थी बस उत्तराई ही उत्तराई थी, ट्रेफक बहुत जल्दी से ओवरटेक करता हुआ आगे बड़ जाता था। देव ने फोन उठाया था " हेलो आप कौन बोल रहे हैं ---" उधर से आवाज़ आयी थी, " माया आपकी कया लगती हैं, जनाब। " देव एक दम से अचबित हुआ।
" हेलो -----!! ! कया हुआ " देव ने एक दम से कहा।
" माया बम्बे के हॉस्पिटल मे एडमिट हैं, उसको ब्रेन हेमरज हो चूका हैं, आप ज़ब भी धन्यवाद हमव हॉस्पिटल मे आये, तो रजिस्ट्रेशन नंबर "तीन सो ट्रेपन" बोल दें। थैंक्स के--" बाद फोन बंद हो चूका था। देव जैसे सहम सा गया, एक नये भय से। लिली ने पूछा ---" कया हुआ देव " देव ने नजरें बचाते हुए कहा ---" कुछ भी नहीं, सोच रहा था, आगे फ़िल्म का रोल करू या नहीं " उसने वैसे ही कोई और पटाका फोड़ डाला। " कया रोल,कौनसा,बोलो भी। " उसने देव के कंधे से सटकते हुए कहा।
कार को धीरे धीरे उसने सड़क की एक ओर उता र लिया था। तभी -----------एकाएक लिली बोली " कया हुआ देव। "
"मर जाऊ कैसा रोमांटिक बोला था। " देव ने सिगरेट और लाइटर पकड़ा ही था। तभी फिर फोन वज उठा " हैल्लो हांजी मैं देव... " उधर सनाटा था।
" हम धन्यवाद हमव से बोल रहे हैं, माया नाम की पेशंट अभी अभी मर चुकी हैं... जान कर आपको बेहद दुःख लगेगा, हम के पुरे प्रयासों के बाद भी हम उनको बचा नहीं सके। " फोन कट चूका था, लेकिन देव का सब कुछ ही तबाह हो चूका था। वो आपने आपको रोक नहीं सका था, जल्दी से सीट से उठ कर वो बाहर निकल आया था... कि लिली को शक न पड़ जाए। सिगरेट पीता खूब रोया था... किसी आदमी को कभी रोते नहीं देखा पता कयो, पर जिसके पास एकाएक माँ हो वोह भी माया तो भला वो कया करे।
तभी ----------------- लिली ने कहा... " मोम के लिए हम गुलाबों का बुगा ले चले, वो बहुत खुश होती हैं, उसे खसबू बहुत लुबाती हैं " ये सुन कर देव और रो पड़ा था। फिर वो दुबारा से सीट पे बैठा बेल्ट बाधी, और कार आगे चल पड़ी।
(चलदा )----------------------------(नीरज शर्मा )
शहकोट, जालंधर।
पिन कोड :- 144702