लिफ्ट में फंसे दानिश और समीरा
लिफ्ट के बाहर, दानिश अपने बॉडीगार्ड्स के साथ खड़ा था। उसकी नज़रें मोबाइल स्क्रीन पर थीं, लेकिन जैसे ही लिफ्ट खुली, उसकी निगाहें अचानक ऊपर उठीं और वह कुछ पलों के लिए ठिठक गया। लिफ्ट के अंदर खड़ी लड़की को देखकर उसकी आँखों में एक अलग ही चमक आ गई। वह कोई और नहीं, बल्कि समीरा थी। समीरा फोन पर व्यस्त थी, शायद किसी ज़रूरी कॉल में। उसने सामने खड़े दानिश को देखा ही नहीं।
दानिश ने अपनी सांसों को संयमित किया। समीरा के साथ वो रात सब कुछ एक पल में उसके दिमाग में घूम गया। उसने जल्दी से अपने बॉडीगार्ड्स को एक इशारा किया, और वे बिना कुछ पूछे वहां से चले गए। अब लिफ्ट में केवल वह और समीरा थे।
कुछ ही सेकंड्स बाद, समीरा ने अपनी कॉल खत्म की। उसने फोन को बैग में रखते हुए जैसे ही सिर उठाया, सामने खड़े शख्स को देखकर उसकी आंखें बड़ी हो गईं। वह चौंक गई।
"तुम...?" समीरा की आवाज़ हल्की-सी कांप गई।
दानिश ने हल्की मुस्कान छिपाते हुए सिर झुका लिया, फिर उसकी ओर देखकर बोला, "एक्सक्यूज़ मी, क्या तुमने मुझसे कुछ कहा?"
समीरा ने गुस्से से अपनी आँखें छोटी कर लीं। "और नहीं तो क्या? यहाँ तुम्हें कोई और भी दिख रहा है?"
दानिश हल्का-सा मुस्कुराया। समीरा के तैश में आने का अंदाज़ बहोत प्यारा लगा । लेकिन वह कुछ बोलता, उससे पहले ही—
'धड़ाम!'
अचानक लिफ्ट में ज़ोर का झटका लगा, और लिफ्ट झटके के साथ रुक गई। एक हल्की-सी बिजली की चमक हुई और फिर रोशनी मंद हो गई।
"ओह माई गॉड!" समीरा घबराकर एकदम से दीवार से टिक गई। "ये क्या हुआ?"
दानिश ने नज़रें ऊपर की और फिर बेफिक्री से जेब में हाथ डाल लिया, मानो उसे पहले से पता हो कि यह होने वाला था।
"लगता है लिफ्ट रुक गई," उसने बिना किसी चिंता के कहा।
"ओह, तुम्हें क्या लगा?" समीरा ने चिढ़ते हुए कहा, "कि मैं नहीं जानती कि लिफ्ट रुकी है? लेकिन यह रुकी क्यों?"
दानिश ने हल्के से सिर हिलाया, "शायद मेंटेनेंस प्रॉब्लम?"
"शायद?" समीरा का डर अब गुस्से में बदल गया था। "तुम इतनी बेफिक्री से कैसे खड़े हो सकते हो? मुझे बहुत डर लग रहा है!"
समीरा को घबराया हुआ देख दानिश ने हल्की-सी मुस्कान दबा ली। "डरने की क्या बात है? जब तक कोई आएगा, हम यहीं रहेंगे। बस कुछ देर की बात है।"
"कुछ देर? अगर घंटों लग गए तो?" समीरा का चेहरा और भी घबराया हुआ लगने लगा।
"तो फिर तुम्हें मेरी कंपनी में रहना पड़ेगा," दानिश ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा।
समीरा ने उसे गुस्से से देखा। "तुम्हें मज़ाक सूझ रहा है?"
"हाँ, क्योंकि तुम्हारा चेहरा देखो। तुम इतनी डरी हुई हो जैसे भूत देख लिया हो!"
"दानिश!" समीरा ने पर्स से छोटा सा टिशू निकालकर उसकी ओर फेंका, जो सीधे उसके सीने पर गिरा।
दानिश ने हल्की हंसी रोकने की कोशिश की। समीरा एकदम _थोड़ी नाटकीय, थोड़ी गुस्सैल, लेकिन बहुत प्यारी।
थोड़ी देर तक लिफ्ट में खामोशी छाई रही। समीरा दीवार से टिककर खड़ी हो गई और हल्के-हल्के सांसें लेने लगी।
दानिश ने उसकी तरफ देखा। "तुम ठीक हो?"
समीरा ने सिर हिलाया, "बस... मुझे बंद जगहों से डर लगता है।"
दानिश का चेहरा हल्का-सा गम्भीर हो गया। उसने नरमी से कहा, "डरो मत, मैं यहीं हूँ।"
समीरा ने उसकी ओर देखा।
"तुम इतने शांत कैसे रहते हो?" समीरा ने धीमी आवाज़ में पूछा।
दानिश ने कंधे उचकाए, "शायद आदत हो गई है।"
समीरा ने कुछ सोचते हुए धीरे से कहा, "काश, मैं भी इतनी बेफिक्र हो पाती..."
दानिश ने हल्की मुस्कान दी। "सीख जाओगी, बस थोड़ा वक्त लगेगा।"
लिफ्ट में फंसे दानिश और समीरा – एक रोमांटिक मोड़
लिफ्ट की मंद रोशनी में समीरा की हल्की घबराहट अब भी बनी हुई थी। वह खुद को शांत रखने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था। दानिश ने देखा कि उसकी उंगलियां घबराहट में एक-दूसरे को कसकर पकड़ रही थीं।
"समीरा," दानिश ने नरम आवाज़ में कहा, "डरो मत। मैं हूँ ना?"
समीरा ने उसकी ओर देखा। उसकी गहरी आँखों में एक अजीब सा सुकून था, मानो वह उसकी चिंता खुद पर ले लेना चाहता हो।
"तुम समझ नहीं रहे, " समीरा की आवाज़ धीमी थी, "मुझे क्लौस्ट्रोफोबिया है। मुझे बंद जगहों से बहुत डर लगता है। मेरी सांसें तेज़ हो रही हैं…"
इतना कहते ही उसने अपना सिर पीछे टिका लिया और गहरी सांस लेने लगी।
दानिश को पहली बार एहसास हुआ कि यह मज़ाक नहीं था। वह सच में घबराई हुई थी। उसने धीरे से एक कदम उसकी ओर बढ़ाया और कहा, "एक काम करो, मेरी तरफ देखो। सिर्फ मेरी आँखों में देखो।"
समीरा ने अनिच्छा से उसकी तरफ देखा। उसकी आँखों में हल्की नमी थी।
"गहरी सांस लो," दानिश ने नरमी से कहा, "एक... दो... और धीरे से छोड़ो।"
समीरा ने वैसा ही किया, लेकिन उसका ध्यान उसकी गहरी आवाज़ पर चला गया। वह एक पल को भूल गई कि वह किसी लिफ्ट में बंद थी।
"देखा?" दानिश हल्के से मुस्कुराया। "अब सांसें थोड़ी बेहतर लग रही हैं?"
समीरा ने हल्का-सा सिर हिलाया, लेकिन उसकी बेचैनी अब भी बाकी थी। अचानक लिफ्ट हल्का-सा झटके से हिली, और समीरा डर के मारे एकदम से पीछे हट गई। पर वह दीवार से टकराने के बजाय सीधा दानिश की बाहों में समा गई।
वह दोनों कुछ पलों के लिए वैसे ही खड़े रहे। समीरा की सांसें तेज़ थीं, और दानिश को उसकी नज़दीकी का एहसास हो रहा था। उसके लंबे, सिल्की बाल उसके चेहरे को हल्के-हल्के छू रहे थे।
"श्श्श...," दानिश ने फुसफुसाते हुए कहा, "डरो मत। मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा।"
समीरा को महसूस हुआ कि वह उसके बहुत करीब आ चुका था। उसकी सांसों की गर्माहट उसके चेहरे पर महसूस हो रही थी।
"तुम्हें नहीं लगता... कि तुम थोड़े ज़्यादा करीब हो?" समीरा की आवाज़ धीमी और हल्की लड़खड़ाती हुई थी।
दानिश ने हल्का-सा मुस्कराते हुए कहा, "हो सकता है… लेकिन तुम चाहो तो हट सकती हो।"
समीरा ने महसूस किया कि उसकी उंगलियां खुद-ब-खुद दानिश की शर्ट को पकड़ चुकी थीं। वह हड़बड़ाकर पीछे हटने लगी, लेकिन तभी लिफ्ट फिर से हल्का-सा झटके से हिली, और वह दोबारा दानिश से टकरा गई।
"क्या लिफ्ट को भी यही सही लगा?" दानिश ने हल्की शरारती मुस्कान के साथ कहा।
समीरा ने गुस्से से उसकी तरफ देखा, लेकिन उसकी आँखों में अब पहले जैसा डर नहीं था। वह कुछ कहने ही वाली थी कि दानिश ने धीरे से उसके चेहरे पर आई एक लट को हटाया।
"तुम जब डरती हो, तो और भी…" वह रुका, और फिर धीरे से बोला, "खूबसूरत लगती हो।"
समीरा ने हैरानी से उसे देखा। उसका दिल एक पल के लिए तेज़ हो गया।