Ek Musafir Ek Hasina - 45 in Hindi Thriller by Swati Grover books and stories PDF | एक मुसाफ़िर एक हसीना: A Dangerous Love Story - 45

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एक मुसाफ़िर एक हसीना: A Dangerous Love Story - 45

45

सोच

 

राठी  को उसके  वकील  ने जग्गा  की मौत  के बारे में  बताया तो वह  समझ  गया कि जग्गा  ही गद्दार  था,  उसने ही सम्राट का  खत  पुलिस  तक पहुँचाया  था,  साथ  ही उसके पल-पल की खबर वह ही पुलिस  को दे रहा था और सम्राट  को यह बात  मालूम  हो गई  तो उसने उसे  इस हरकत  की सजा भी दे दी l अब  उसके वकील  ने उसे भरोसा  दिलाया  कि  वह  बहुत जल्द  उसे  यहाँ से रिहा  करवा  लिया जायेगा तो उसने उसे मना  करते हुए  कहा,  “नहीं,  उसकी कोई ज़रूरत  नहीं है, फ़िलहाल  मैं  जेल  में  ज्यादा सुरक्षित  हूँ”  “पर क्यों सर?”  वकील  हैरान  है l  “क्योंकि  बेवकूफ  इंसान  मुझे सम्राट के हाथों मरना नहीं है l” राठी ने  उस पर चिल्लाते  हुए  कहा  l अब थोड़ी  देर की बातचीत  के बाद वकील  चला गया और राठी  सोचने  लगा,  “मैंने अपने  आदमियों  पर कुछ  ज्यादा  ही भरोसा  कर लिया था ज़ाहिर सी बात है, जग्गा ने ही ख़त निकाला था इसलिए फुटेज के बारे में उसने मुझसे झूठ बोलाl”

 

 

अश्विन पुलिस  हेड  क्वॉर्टर  में  25  दिसंबर  को  सम्राट के प्लान को फेल करने और उसे धरने की योजना  बना रहा है l उसने अपने  साथी पुलिस  अफसर  को पूरा  प्लान  समझाते  हुए  कहा,  “ध्यान  रहें, हमें  स्टेडियम  में  भी भेस  बदलकर  रहना  होगा  और हाँ  ज़रा  सी  भी चूक  होने की गुंजाईश  नहीं होनी  चाहिए l”  उसके इस  बात पर  सभी ने  सहमति जताईl  अनुज  देवेन  की बंद  पड़ी  फैक्ट्री   के बाहर  यश और विवेक  के साथ खड़ा  है  l अब उसने फैक्ट्री  पर लगे  ताले  को देखते  हुए कहा,

 

“तुम पिछली  बार आये थे तो यह ताला  कैसे खोला  था?”

 

“सर,  हमने  खोला  नहीं था,  हमने तो बस  खिड़की  से एक नज़र  फैक्ट्री  के अंदर  डाली और  यहाँ  से निकल गए l”

 

“चलो, अब  इसी  खिड़की  से चलते  हैं l”

 

अब तीनों फैक्ट्री  के अंदर  दाखिल  हुए  तो   देखा कि  अंदर  बहुत सारे  गत्ते  के बॉक्सेस  रखें  हैं l अब यश ने  अनुज की सवालियाँ  नज़रों  को भाँपते  हुए  कहा,  “सर इन  बॉक्सेस  में  कुछ   पेन  और कॉपी ही लग रहें  हैं”  अब अनुज खुद  ही सभी बॉक्सेस  को देखने  लगा l  उसने गौर  किया कि  हरे  रंग  के पेन  के डिब्बे बहुत सारे  हैं l उसने और बाकी दोनों ने भी सभी  डिब्बों  को देखा और  सबमे  में  स्टेशनरी  का सामान  है,  अब उसकी नज़र  एक संदूक  पर गई  जिस पर  ताला  लगा है l हमें  इसे खोलना  पड़ेगा,  अब उन दोनों  ने संदूक को हिलाया  तो वह काफी  हल्का  महसूस  हुआ l  “सर  यह तो खाली  लग रहा हैl “ यश  ने कहा  l “नहीं यश  इसे खोलो, कई बार हमारी  सोच  ही हमें  धोखा  दे देती है l” अनुज के कहने  पर  यश  ने पूरे  गोदाम  में  देखा तो उसे कहीं  कुछ  नज़र  नहीं आया  जिससे  उस ताले  को खोला  जा सकें l अब उसने अनुज की तरफ देखा तो उसने अपनी पेंट  की जेब से  पिस्तौल  निकाली और उस  ताले  को तोड़  दिया l संदूक  खोलने  पर उनकी  आँखें  अंदर  रखे  सामान  को देखकर  खुली  की खुली  रह  गई l

 

 

पुलिस  हेडक्वॉर्टर  से निकलते  ही  अश्विन  ने अनुज  को फ़ोन किया तो उसने बताया  कि वह  देवेन  की फैक्ट्री  में  है l उसने भी अपनी  गाड़ी  उसी  तरफ  घुमा  दी l  जब वह वहाँ  पहुँचा  तो अनुज  ने उसे संदूक  में  रखा  वह सामान  दिखाया, उसमे  काले  रंग  के कपड़े  थें,  काला कुरता, काला  नकाब और   काला  पजामा  l  अब अश्विन  ने गहरी  साँस  लेते हुए पूछा,

 

“क्यों, यह भी बहुत  बड़ा  सबूत  है ?”

 

“हाँ है तो पर जब देवेन  से पूछा  जायेगा तो  उसका जवाब  यही होगा मुझे नहीं पता यह कहाँ  से आया l “अनुज ने चिढ़ते  हुए कहा l

 

“सही है, इस केस  ने तुझे क्रिमिनल  माइंड को  पढ़ना  सिखा  दिया है “  अश्विन  एक फीकी  हँसा l

 

“हम्म!!! और मुझे यह भी पता है कि  इस संदूक  के ऊपर   देवेन  की उँगलियों के  निशान भी नहीं होंगे और ना  ही इस कुर्ते  पर l”  अनुज ने एक गहरी  साँस  लेते हुए कहा l 

 

“यह देवेन है कहाँ ?”

 

“अभी तो इसे ज़मीन  और आसमान  दोनों  निगल चुके  है और मज़े  की बात देख वो अपना  फ़ोन पंचमढ़ी  छोड़कर  आया है  हमने  जो लोकेशन  ट्रेस  की वह वहीं  की है l “

 

“अच्छा  इसका  मतलब  इसने जो पंचमढ़ी  में  नया नंबर  लिया है वह इसने वहीं  छोड़  दिया l” अश्विन  के यह  कहते  ही वह  बोला,  “तू चाहे  तो अपने आदमी से कन्फर्म  कर लें l”  अनुज ने ज़वाब दिया l अब अश्विन  की नज़र फैक्ट्री  का मुआयना  करते  यश  और विवेक पर गई  तो वह बोला,  “क्या हुआ यश, उस दीवार   को क्यों देख रहें हो?” “ सर यह दीवार  कच्ची  लग रही  है l”  यश ने हैरानी  से ज़वाब  दिया तो अनुज, अश्विन और विवेक  उसी  दीवार  के पास आयेl  विवेक  वह संदूक लाओ, उसने वहीं  किया और दीवार  पर दे मारा और दीवार  बड़े  आराम से  टूट  गई, दरअसल वह दीवार  सिर्फ एक दरवाजे  की ढाल   थी जिसे छुपाया  गया था l अब चारों  ने दरवाजे  को गौर से  देखा, लकड़ी   के दरवाजे  पर छोटा  सा लोहे का  ताला  लगा थाl

 

अब यश  ने उस ताले   को ज़ोर से खींचा  और वह  ताला  उसके हाथ  में  आ गयाl  वह उस दरवाजे  के अंदर  गए तो देखा  एक कमरा  बना  हुआ  है, जिसमे तरह-तरह  के औजार  रखें  हुए हैंl  कई डिब्बों  में भी, चाकू, छूरी,  छोटी आरी जैसे कई हथियार  है और कुछ डिब्बों में  पेचकस, नट और बोल्ट  है तो कई  डिब्बों  में  हथोड़ियाँ  रखी  हैl  अब अनुज ने  कुछ  बड़े  से डिब्बे  खोलकर देखे  तो उनमे  कट्टा  यानी  पिस्तौल  रखी  हैl  चारों के चारों  हर सामान  को  बड़ी हैरानी  से  देख रहें  है l  

 

“यार! यह वह देवेन इन  सबका  क्या करता होगा?”  अनुज के  यह पूछने  पर अश्विन  ने कहा,  “मैं भी वो ही सोच  रहा हूँ, एक काम  करते है,  दो पुलिस वाले  इस फैक्ट्री  के आसपास  छोड़ते  है,  अगर वह देवेन यहाँ आया तो उसे धर  लेंगेl” “ हम्म!!” अनुज ने अश्विन  की बात  सुनकर  सिर  हिलाया और फिर वह इस कमरे  में पूरा  घूमकर  वापिस  बाहर  की तरफ आ गए पर तभी  अश्विन  की नज़र  उस कमरे  में  बनी  खिड़की  पर पड़ी  जो बंद  थी  पर उस कोई चिटकनी  नहीं थीl “अनुज  अगर   कोई फैक्ट्री के इस कमरे  में  आना चाहे तो बड़े  आराम  से यहाँ  से भी  आ सकता है”  “पर सर एक बात समझ नहीं आई, इसने यह पतली सी दीवार  इस दरवाजे को छुपाने के लिए क्यों  बनवायी और यह दीवार  कुछ दिन पहले ही बनी है,”  यश  के यह कहने  पर सब सोच  में  पड़  गएl